Madhuri Dixit Movie: 8 करोड़ की 'ये रास्ते हैं प्यार के' 3 साल ठंडे बस्ते में, माधुरी का स्टारडम भी बेअसर, करिश्मा ने ठुकराया था रोल
Madhuri Dixit Movie - 8 करोड़ की 'ये रास्ते हैं प्यार के' 3 साल ठंडे बस्ते में, माधुरी का स्टारडम भी बेअसर, करिश्मा ने ठुकराया था रोल
बॉलीवुड में ऐसी कई फिल्में हैं, जिनमें बड़े सितारे होने के बावजूद वे बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाईं। ऐसी ही एक फिल्म है साल 2001 में रिलीज हुई 'ये रास्ते हैं प्यार के', जिसने दर्शकों और समीक्षकों दोनों को हैरान कर दिया। 8 करोड़ रुपये के बजट में बनी यह फिल्म, जिसमें माधुरी दीक्षित, अजय देवगन और प्रीति जिंटा जैसे बड़े नाम शामिल थे, तीन साल तक ठंडे बस्ते में पड़ी रही और अंततः बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिर गई। इसकी असफलता की कहानी आज भी फिल्म प्रेमियों के लिए एक पहेली बनी हुई है, खासकर जब इसमें इतने लोकप्रिय चेहरे शामिल थे।
स्टारडम का बोझ और करिश्मा का इनकार
'ये रास्ते हैं प्यार के' को मूल रूप से एक व्यावसायिक मनोरंजक फिल्म के रूप में देखा गया था, जिसका उद्देश्य माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर की सफल जोड़ी को फिर से पर्दे पर लाना था, जिन्होंने 'दिल तो पागल है' में अपनी केमिस्ट्री से दर्शकों का दिल जीता था। हालांकि, यह योजना शुरुआती चरण में ही विफल हो गई। करिश्मा कपूर को उस भूमिका के लिए पहली पसंद माना गया था, जिसे बाद में प्रीति जिंटा ने निभाया। करिश्मा को यह भूमिका पसंद नहीं आई और उन्होंने इसे। ठुकरा दिया, जिसके बाद यह प्रस्ताव प्रीति जिंटा को मिला। इस बदलाव ने फिल्म के प्रति दर्शकों के शुरुआती उत्साह को कम कर दिया, क्योंकि एक स्थापित जोड़ी को फिर से देखने की उम्मीद टूट गई थी।आमिर खान की 'दिल चाहता है' से टक्कर
फिल्म की रिलीज में लगभग तीन साल की लंबी देरी हुई, जिसने इसके भाग्य पर गहरा असर डाला। IMDb के अनुसार, फिल्म के गाने 1998 में ही जारी हो गए थे, लेकिन फिल्म खुद 2001 में सिनेमाघरों तक पहुंची। उस दौर में इतनी लंबी देरी बहुत असामान्य थी, और इसने फिल्म के चारों ओर बने शुरुआती 'बज़' को पूरी तरह से खत्म कर दिया। जब तक फिल्म आखिरकार रिलीज हुई, तब तक इसका संगीत, जिसने शुरुआत में थोड़ी चर्चा पैदा की थी, लोगों की यादों से लगभग मिट चुका था। दर्शकों की रुचि और अपेक्षाएं समय के साथ बदल जाती हैं, और तीन साल का अंतराल किसी भी फिल्म के लिए घातक साबित हो सकता है, खासकर जब वह अपनी रिलीज से पहले ही अपनी ताजगी खो चुकी हो।
'ये रास्ते हैं प्यार के' की असफलता का एक और बड़ा कारण इसकी रिलीज का समय था। यह फिल्म आमिर खान की 'दिल चाहता है' के साथ रिलीज हुई थी। 'दिल चाहता है' एक ऐसी फिल्म थी जिसने न केवल बॉलीवुड के पुराने ढर्रे को तोड़ा, बल्कि एक कल्ट क्लासिक का दर्जा भी हासिल किया। जहां फरहान अख्तर की 'दिल चाहता है' ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार उड़ान भरी और युवाओं के बीच एक नया ट्रेंड सेट किया, वहीं दीपक शिवदासानी द्वारा निर्देशित 'ये रास्ते हैं प्यार के' दर्शकों को आकर्षित करने के लिए संघर्ष करती रही। आमिर की हल्की-फुल्की, आधुनिक और शहरी जीवन पर आधारित ड्रामा की ताजगी ने दर्शकों को अपनी ओर खींचा, जबकि अजय देवगन की डबल-रोल थ्रिलर, जो एक अधिक पारंपरिक बॉलीवुड मसाला फिल्म थी, दर्शकों को सिनेमाघरों तक लाने में नाकाम रही।बॉक्स ऑफिस पर निराशाजनक प्रदर्शन
इन सभी कारकों के संयोजन ने 'ये रास्ते हैं प्यार के' के बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित किया। 8 करोड़ रुपये के बजट में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर केवल 14. 55 करोड़ रुपये ही कमा पाई। यह आंकड़ा, भले ही लागत से थोड़ा अधिक दिखता हो, लेकिन उस समय के मानकों और फिल्म में शामिल बड़े सितारों को देखते हुए इसे एक बड़ी व्यावसायिक विफलता माना गया। फिल्म 2001 की सबसे बड़ी फ्लॉप फिल्मों में से एक साबित हुई, जिसने यह साबित कर दिया कि केवल बड़े नाम होना ही। सफलता की गारंटी नहीं होता, बल्कि सही समय पर रिलीज, दर्शकों की बदलती पसंद और एक मजबूत कहानी भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है।
'ये रास्ते हैं प्यार के' की कहानी बॉलीवुड के लिए एक सबक है कि कैसे एक मजबूत स्टार कास्ट, एक अच्छी अवधारणा और एक बड़े बजट के बावजूद, गलत निर्णय और खराब समय फिल्म के भाग्य को पूरी तरह से बदल सकते हैं। यह फिल्म आज भी इस बात का उदाहरण है कि कैसे दर्शकों की नब्ज को समझना और समय के साथ बदलना कितना आवश्यक है।