देश: गुप्तकालीन मंदिर के 1500 साल पुराने अवशेष यूपी में मिले; सीढ़ियों की तस्वीरें हुईं जारी

देश - गुप्तकालीन मंदिर के 1500 साल पुराने अवशेष यूपी में मिले; सीढ़ियों की तस्वीरें हुईं जारी
| Updated on: 11-Sep-2021 07:38 AM IST
आगरा: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को यूपी के एटा जिले के एक गांव में 1500 साल पुराने मंदिर के अवशेष मिले हैं। पांचवीं शताब्दी का यह मंदिर गुप्तकालीन बताया जा रहा है। एटा के बिलसढ़ गांव में एएसआई की नियमित सफाई के दौरान इस प्राचीन मंदिर का पता चला है।

श्री महेंद्रादित्य का सांख्यलिपि में जिक्र

पिछले महीने खुदाई में मंदिर के जो अवशेष मिले हैं, उनमें सांख्यलिपि का इस्तेमाल है। एएसआई ने पुष्टि की है कि इनमें श्री महेंद्रादित्य नाम का उल्लेख गुप्तकालीन शासक कुमारगुप्त प्रथम के लिए है। कुमारगुप्त प्रथम ने पांचवीं शताब्दी के दौरान 40 साल शासन किया था। उनका शासनक्षेत्र वर्तमान उत्तर मध्य भारत का इलाका था।

1928 से ही संरक्षित है गुप्तकालीन साइट

1928 से ही बिलसढ़ का यह इलाका संरक्षित क्षेत्र में आता है। इसकी पहचान महत्वपूर्ण गुप्तकालीन साइट के रूप में है। एएसआई आगरा सर्कल के पुरातत्व अधीक्षक वसंत स्वर्णकार कहते हैं, 'वहां से दो नक्काशीदार खंभे मिले हैं, जो एक-दूसरे के आसपास मौजूद हैं। यहां पहले ही लघु मानव मूर्ति मिल चुकी है। उनके महत्व को समझने के लिए हमने और खुदाई कराई, जिसके बाद वहां सीढ़ियां मिलीं।'

चौथी से आठवीं शताब्दी में सांख्यलिपि का प्रयोग

स्वर्णकार ने आगे बताया, 'हमने इन पर सांख्यलिपि में कुछ लिखा पाया। इसमें श्री महेंद्रादित्य का जिक्र किया गया, जो गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम का नाम था।' सांख्यलिपि एक अलंकारिक और प्राचीन शैली की लिखावट है, जिसका इस्तेमाल चौथी से आठवीं शताब्दी के बीच नाम और हस्ताक्षर के लिए होता था।

नियमित साफ-सफाई के दौरान मंदिर के अवशेषों की खोज हुई। हर मॉनसून के आसपास एएसआई अपने संरक्षित स्मारकों और साइटों की सफाई करवाता है। स्वर्णकार बताते हैं कि इस बार वह सफाई की निगरानी कर रहे थे और उन्होंने सोचा कि इस जगह की खुदाई होनी चाहिए। इसी दौरान एएसआई की टीम सीढ़ियों के रास्ते प्राचीन मंदिर के अवशेषों तक पहुंच गई।

लखीमपुर खीरी में मिली घोड़े की मूर्ति जैसा

एटा में जो शिलालेख मिले हैं उसी तरह के अवशेष लखीमपुर खीरी में मिली एक घोड़े की मूर्ति में भी थे। इसे अब लखनऊ में स्टेट म्यूजियम में रखा गया है। लेकिन स्वर्णकार इतने से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने अवशेषों की तस्वीर मशहूर पुरालेख स्पेशलिस्ट डॉक्टर देवेंद्र हांडा को भेजीं। इसी दौरान एएसआई के अधिकारियों ने घोड़े की मूर्ति वाले शिलालेख को देखने के लिए लखनऊ का दौरा किया। दोनों तरफ से पुष्टि हुई कि यह वास्तव में सांख्यलिपि है। चूंकि शिलालेख पर कुमारगुप्त प्रथम लिखा था, इसलिए अवशेषों को उनके शासनकाल का माना जा रहा है।

गुप्तकाल का मिला सिर्फ तीसरा मंदिर

एटा में जिस पुरावशेष का पता चला है, वह अब तक गुप्तकाल का मिला सिर्फ तीसरा मंदिर है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के प्रोफेसर मानवेंद्र पुंडीर कहते हैं, 'गुप्त शासक पहले थे, जिन्होंने ब्राह्मणों, बौद्ध और जैन अनुयायियों के लिए संरचनात्मक मंदिरों का निर्माण कराया था। इससे पहले सिर्फ चट्टानों को काटकर मंदिर बनाए जाते थे।'

एटा के मंदिर की वास्तुशैली पहले से ज्यादा विकसित

प्रोफेसर पुंडीर आगे बताते हैं, 'इससे पहले सिर्फ दो गुप्तकालीन संरचनात्मक मंदिरों का पता चला था- देवगढ़ का दशावतार मंदिर और कानपुर देहात का भितरगांव मंदिर। एटा में जो मंदिर के स्तंभ मिले हैं, उनकी वास्तुशैली पहले से ज्यादा बेहतर है। इनके सिर्फ निचले हिस्से में ही नक्काशी है। सजावटी खंभों के साथ ही सीढ़ियां भी पहले मिले अवशेषों से ज्यादा विकसित हैं।'

एएसआई अब इन गुप्तकालीन अवशेषों को संरक्षित कर रहा है। यहां पर एक शेड लगाया गया है, साथ ही आगंतुकों के लिए इस जगह के महत्व की जानकारी देते हुए एक साइनबोर्ड लगाया है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।