Udaipur City Palace: महाराणा प्रताप के वंशज का राजतिलक, 40 साल पुरानी गद्दी की लड़ाई, जिसमें भिड़े 2 युवराज

Udaipur City Palace - महाराणा प्रताप के वंशज का राजतिलक, 40 साल पुरानी गद्दी की लड़ाई, जिसमें भिड़े 2 युवराज
| Updated on: 26-Nov-2024 08:55 AM IST
Udaipur City Palace: राजस्थान में महाराणा प्रताप के वंशज और उदयपुर के राजपरिवार के सदस्य एवं पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म पर सोमवार को बवाल हो गया. राजतिलक को लेकर विश्वराज सिंह और उनके चाचा के परिवार के बीच विवाद बढ़ गया है. महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने विश्वराज के राजतिलक पर नाखुशी जताई है. ऐसे में राज तिलक की परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस के गेट बंद कर दिए गए थे. आखिर दोनों परिवारों के बीच ऐसी क्या दुश्मनी है चलिए जानते हैं…

दरअसल, चित्तौड़गढ़ का उत्तराधिकारी घोषित किए जाने के बाद विश्वराज सिंह (Vishvaraj Singh Rajtilak) का राजतिलक हुआ. इसके बाद विश्वराज सिंह उदयपुर सिटी पैलेस में स्थित धूणी माता के दर्शन करना चाहते थे. मौजूदा समय में सिटी पैलेस के ट्रस्टी विश्वराज सिंह मेवाड़ के चाचा अरविंद सिंह हैं. मेवाड़ के पूर्व राजघराने की नई पीढ़ियों में मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है. इनका मैनेजमेंट 9 ट्रस्ट के पास है. राजघराने की गद्दी को संभालने के लिए महाराणा भगवत सिंह ने महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन’ संस्था शुरू की थी. यह संस्था उदयपुर में सिटी पैलेस संग्रहालय चलाती है. इन सभी ट्रस्ट को विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ और चचेरे भाई लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ (Lakshyaraj Singh Mewar) ही संभालते हैं.

महाराणा प्रताप के वंशज

विश्वराज और लक्ष्यराज दोनों ही सिसोदिया राजवंश से ताल्लुक रखते हैं. सिसोदिया राजवंश वही है, जिसमें राणा कुम्भा, राणा सांगा और महराणा प्रताप (Maharana Pratap) जैसे महावीर हुए हैं. दोनों राजकुमार महाराणा प्रताप के खानदान से हैं. मान्यता है कि सिसोदिया क्षत्रिय भगवान राम के कनिष्ठ पुत्र लव के वंशज हैं.

यहां से शुरू हुआ विवाद

मेवाड़ में साल 1955 में भगवंत सिंह महाराणा बने. उनके जीवनकाल में ही संपत्ति को लेकर यह विवाद शुरू हो गया था. जब भगवंत सिंह ने मेवाड़ में अपनी पैतृक संपत्तियों को बेचना या लीज पर देना शुरू किया तो यह बात उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह को पसंद नहीं आई. नाराज महेंद्र सिंह ने अपने पिता के खिलाफ केस दायर कर दिया और पैतृक संपत्तियों को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बांटने की मांग की. इसके बाद भगवंत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह को संपत्तियों का एक्ज्यूक्यूटर बना दिया. साथ ही महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से बेदखल कर दिया गया. वहीं उसी साल तीन नवंबर को भगवत सिंह का निधन हो गया.

‘लक्ष्यराज सिंह का राजगद्दी पर हक’

महेंद्र सिंह के परिवार और उनके अलग हुए छोटे भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के बीच तभी से विवाद चल रहा है. अरविंद सिंह ने दस्तूर कार्यक्रम के तहत विश्वराज के एकलिंग नाथ मंदिर और उदयपुर में सिटी पैलेस में जाने के खिलाफ सार्वजनिक नोटिस जारी किया है. आपसी पारिवारिक विवाद के बीच अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इसे पूरी तरीके से गैरकानूनी कहा है. अरविंद सिंह मेवाड़ का कहना है कि मेवाड़ राजघराना एक ट्रस्ट के जरिए चलता है, जिसका संचालन उनके पिता ने उन्हें दे रखा है. ऐसे में राजगद्दी का अधिकार मेरे और मेरे बेटे (लक्ष्यराज सिंह) का है.

धूणी दर्शन की परंपरा

उदयपुर जिला प्रशासन के मुताबिक, नए महाराणा के राजतिलक के बाद धूणी दर्शन की परंपरा है. इसके बाद राजा को एकलिंग जी मंदिर में भी दर्शन करने होते हैं. राजतिलक की रस्म के बाद विश्वराज सिंह मेवाड़ भी धूणी दर्शन और एकलिंग मंदिर जाने के लिए मेवाड़ सिटी पैलेस पहुंचे थे, लेकिन उन्हें सिटी पैलेस में घुसने से रोक दिया गया.

बीजेपी विधायक हैं विश्वराज सिंह

विश्वराज सिंह राजसमंद से बीजेपी विधायक भी हैं. यहीं से उनकी पत्नी महिमा कुमारी मौजूदा सांसद हैं. विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ की मौत के 12 दिन बाद उनके राज्याभिषेक का ऐलान हुआ था. ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले में एक पारंपरिक राज्याभिषेक समारोह में औपचारिक रूप से उन्हें मेवाड़ राजवंश का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था. विश्वराज सिंह मेवाड़ एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान होंगे.

अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे दोनों पक्ष

बता दें कि महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई और विश्वराज के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने परंपरा निभाने से रोकने के लिए सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए हैं। विश्वराज सिंह को परंपरा के तहत धूणी दर्शन के लिए सिटी पैलेस में जाना था। माहौल नहीं बिगडे इसके लिए जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल और एसपी योगेश गोयल सिटी पैलेस पहुंचे। दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने की कोशिश की गई लेकिन दोनों अपनी बात पर अड़े रहे। ऐसे में अंत में तीन गाड़ियों को अंदर ले जाने की अनुमति मिली। 

चित्तौड़ में खून से किया गया राजतिलक

इससे पहले, चित्तौड़गढ़ में विश्वराज सिंह मेवाड़ को गद्दी पर बैठाने की परंपरा निभाई गई। लोकतंत्र आने के बाद राजशाही खत्म हो गई है, लेकिन प्रतीकात्मक यह रस्म निभाई जाती है। सोमवार को चित्तौड़गढ़ किले के फतह प्रकाश महल में दस्तूर (रस्म) कार्यक्रम के दौरान खून से राजतिलक की रस्म हुई।

कौन हैं लक्ष्यराज सिंह?

उदयपुर के प्रिंस लक्ष्य राज सिंह मेवाड़ ने स्कूली शिक्षा उदयपुर महाराजा मेवाड़ स्कूल, अजमेर के मेयो कॉलेज और मुंबई के जीडी सोमानी कॉलेज से पूरी की है. इन्होंने ऑस्ट्रेलिया के ब्लू माउंटेन स्कूल से ग्रेजुएशन किया है. फिलहाल वह एचआर ग्रुप ऑफ होटल्स के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. ऑस्ट्रेलिया के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद वह हॉस्पिटेलिटी का कोर्स करने सिंगापुर चले गए थे. पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक वेटर के तौर पर किया. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के कई होटल्स और कैफे में काम किया. इसके बाद उदयपुर लौट आए और फेमिली बिजनेस पढ़ाने के लिए काम करने लगे.

ओडिशा की राजकुमारी से की शादी

मेवाड़ राजघराने में 28 जनवरी 1985 में जन्में लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की शादी ओडिशा के बालांगीर के पूर्व रियासत परिवार की निवृत्त कुमारी देव से हुई है. निवृत्त कुमारी ने उदयपुर शाही सिटी पैलेस में 21 जनवरी 2014 को बहू के तौर पर कदम रखा था.\

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