Operation Baam: पाकिस्तान के बलूचिस्तान और अन्य प्रांतों में पिछले चार दिनों में करीब 70 आतंकी हमले हुए हैं। इन हमलों की जिम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (BLF) ने ली है, जिसने इन्हें अपने सैन्य अभियान 'ऑपरेशन बाम' का हिस्सा बताया है। BLF ने 8 जुलाई, 2025 को इस अभियान की शुरुआत का ऐलान किया था, और तब से हमले लगातार जारी हैं। इन हमलों ने पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था और आर्थिक हितों को गहरी चोट पहुंचाई है।
शुक्रवार को पंजाब में अज्ञात बंदूकधारियों ने बसों से नौ यात्रियों का अपहरण कर उनकी हत्या कर दी। इस घटना की जिम्मेदारी किसी समूह ने नहीं ली, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने दावा किया कि इसके पीछे 'फितना अल हिंदुस्तान' का हाथ है। हालांकि, विशेषज्ञों और स्थानीय सूत्रों का मानना है कि इस हमले में भी BLF का हाथ हो सकता है। BLF के प्रवक्ता मेजर ग्वाहरम बलूच ने एक बयान में कहा कि ऑपरेशन बाम के 80% लक्ष्य चार दिनों में ही पूरे कर लिए गए हैं।
बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री मीर सरफराज ने आतंकियों को "जड़ से मिटाने" की कसम खाई है, जबकि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया, "हम एकता और ताकत के साथ आतंकवाद के अभिशाप का सामना करेंगे।"
'ऑपरेशन बाम' बलूच लिबरेशन फ्रंट का पाकिस्तान सरकार के खिलाफ एक घोषित सैन्य अभियान है, जिसे 8 जुलाई, 2025 को शुरू किया गया। BLF इसे बलूच राष्ट्रीय मुक्ति संग्राम की "नई सुबह" बताता है। इस अभियान का उद्देश्य मकरान तटीय इलाके से कोह-ए-सुलेमान पर्वत तक बड़े भूभाग पर घातक हमले करना है। BLF प्रवक्ता मेजर ग्वाहरम बलूच के हवाले से जियो न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह ऑपरेशन बलूच लड़ाकों की व्यापक सैन्य क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए शुरू किया गया है।
ऑपरेशन बाम शुरू होने के कुछ घंटों बाद ही BLF ने पंजपुर, सुरब, केच और खारन में 17 हमलों की जिम्मेदारी ली। समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेजर ग्वाहरम ने दावा किया कि चार दिनों में 70 से अधिक हमले किए गए हैं। इन हमलों में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और आर्थिक हितों को निशाना बनाया गया, जिससे संपर्क और रेल सेवाएं बाधित हुईं। विशेष रूप से, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के प्रमुख खंड भी प्रभावित हुए हैं।
बलूच लिबरेशन फ्रंट बलूचिस्तान की आजादी की मांग करता है। यह संगठन 1964 से पाकिस्तान सरकार पर क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा जमाने और स्थानीय लोगों के बुनियादी अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाता रहा है। ऐतिहासिक रूप से, ब्रिटिश भारत से स्वतंत्रता के समय बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र राज्य घोषित किया गया था, लेकिन 1948 में इसे पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया। तब से, बलूच समुदाय आजादी की मांग को लेकर संघर्षरत है।