जोधपुर । गलवान घाटी में 15 जून की रात भारतीय सैनिकाें से खूनी संघर्ष के बाद चीन की पीएलए एयरफोर्स अब पाक से सटी राजस्थान सीमा के पास भी तेजी से सक्रिय हो गई है। यूं तो राजस्थान से सटी सीमा पर चीन करीब दाे दशक से तेल, गैस, कोयले की खोज और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की आड़ में सक्रिय है। मगर खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इन दिनों यह सक्रियता बढ़ी है। यही नहीं, हवाई ताकत में कमजोर चीन अब पीएलए स्थित एयरबेस पर युद्धाभ्यास में जोर-शोर से जुट गया है।
हाल ही में स्कार्डू एयरबेस पर चीन के मिड एयर रिफ्यूलर आईएल 78 सहित कई लड़ाकू विमान देखे गए हैं। दरअसल, भारत के मुकाबले चीन की हवाई ताकत कमजोर है, क्योंकि हिमालय की चोटियों में चीन का काेई बड़ा एयरबेस नहीं है। इसके अलावा चीन की वायुसेना को अभी तक एक भी युद्ध लड़ने का अनुभव नहीं है। ऐसे में वो अपनी हवाई ताकत मजबूत करने के लिए युद्धाभ्यास में जुटा है।
चीन ने पाकिस्तान की सीमा चौकियों पर कई बंकर भी बनाए हैं, हालांकि ये बंकर पाकिस्तानी सेनाओं के इस्तेमाल के लिए बनाए गए हैं। यही नहीं, चीन-पाकिस्तान इकाेनाॅमिक काॅरिडाेर (सीपीईसी या सीपेक) की वजह से 30 हजार से ज्यादा चीनी इंजीनियर्स व विशेषज्ञ यहां पहले से सक्रिय हैं। बाड़मेर के सामने जवाहर शाह, शामगढ़ से लगती सीमा पर सुई गैस फील्ड में भी चीनी कंपनियां काम कर रही हैं।
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इकाेनाॅमिक इन्वेस्टमेंट की आड़ में सक्रिय चीन
राजस्थान से सटी सीमा के सामने चीन इकाेनाॅमिक इन्वेस्टमेंट की आड़ में गत दो दशक से सक्रिय है। थार के रेगिस्तान की तरह चीन ने पाक में भी तेल, गैस व कोयले की खोज की है। इसकी आड़ में उसने पाक सेना की मदद की और इंफ्रास्ट्रक्चर भी बढ़ाया। इंटेलीजेंस एक्सचेंज भी हो तो बड़ी बात नहीं है।
- शेरसिंह, मेजर जनरल (रिटायर्ड)