Israel-Iran War: मध्य पूर्व में तनाव अब विस्फोटक स्थिति में पहुंच गया है। शुक्रवार को इज़राइल ने ईरान की कई अहम परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाते हुए बड़ी सैन्य कार्रवाई की। इस हमले में सबसे ज़्यादा नुकसान ईरान की नतांज न्यूक्लियर फैसिलिटी को पहुंचा है, जिसे अब पूरी तरह तबाह बताया जा रहा है। ईरान के एटॉमिक एनर्जी प्रमुख ने खुद स्वीकार किया है कि नतांज अब अस्तित्व में नहीं बचा।
ईरान के इस संवेदनशील परमाणु स्थल की रणनीतिक और तकनीकी अहमियत बहुत अधिक थी। राजधानी तेहरान से लगभग 220 किलोमीटर दूर स्थित नतांज फैसिलिटी भूमिगत संरचनाओं के ज़रिए हवाई हमलों से सुरक्षित मानी जाती थी। यहां यूरेनियम संवर्धन के लिए उन्नत सेंट्रीफ्यूज मशीनों की कैस्केड्स लगी थीं, जो 60% तक यूरेनियम संवर्धन में सक्षम थीं। यही तकनीक परमाणु बम के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जाती है।
नतांज साइट पहले भी कई बार हमलों की चपेट में आ चुकी है। 2010 में स्टक्सनेट नामक साइबर अटैक के ज़रिए इज़राइल और अमेरिका ने यहां के कई सेंट्रीफ्यूजों को निष्क्रिय कर दिया था। इसके अलावा 2020 और 2021 में दो बार और इसमें तोड़फोड़ हुई, जिनका शक भी इज़राइली खुफिया एजेंसियों पर गया। 2002 में जब इस साइट का पहली बार सैटेलाइट तस्वीरों से दुनिया को पता चला था, तब से यह वैश्विक परमाणु निगरानी एजेंसियों की नज़र में है।
हमले से ठीक एक दिन पहले अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने दो दशकों में पहली बार ईरान की तीखी आलोचना करते हुए कहा था कि तेहरान एजेंसी के साथ पारदर्शिता नहीं बरत रहा। जवाब में ईरान ने न सिर्फ यूरेनियम संवर्धन की दर बढ़ाने की घोषणा की, बल्कि और अधिक एडवांस्ड सेंट्रीफ्यूज लगाने की भी बात कही थी।
हाल ही में अमेरिका और ईरान के बीच चल रही बातचीत में प्रतिबंधों में राहत के बदले यूरेनियम संवर्धन पर सीमाएं तय करने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन अब इज़राइली हमले और नतांज के विनाश के बाद यह प्रक्रिया गंभीर रूप से बाधित होती नजर आ रही है। इससे न सिर्फ पश्चिम एशिया में अशांति गहराएगी, बल्कि वैश्विक परमाणु स्थिरता पर भी संकट मंडराने लगा है।