जयपुर: कैंसर से जंग लड़ते एसीबी इंस्पेक्टर विक्रमसिंह शेखावत का निधन

जयपुर - कैंसर से जंग लड़ते एसीबी इंस्पेक्टर विक्रमसिंह शेखावत का निधन
| Updated on: 24-Sep-2019 06:03 PM IST
जयपुर. राजस्थान की एसीबी टीम के मजबूत स्तंभ युवा और उर्जावान निरीक्षक विक्रमसिंह शेखावत का मंगलवार को नारायणा अस्पताल में उपचार के दौरान निधन हो गया। वे कैंसर से पीड़ित थे और बीते कई दिनों से वेंटिलेटर पर थे। उनके लिए दुआओं का दौर जारी था, लेकिन इस गंभीर बीमारी से विक्रम नहीं बच पाए। विक्रम के परिवार में अब 8 साल का पुत्र शौर्य, माता, पत्नी भाई और परिवार हैं। परिजनों के अनुसार विक्रम का अंतिम संस्कार उनके पैतृक सीकर जिले के गांव छोटी खुड़ी में बुधवार सुबह किया जाएगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने विक्रम के निधन पर शोक प्रकट करते हुए दिवंगत के परिजनों को दुःख सहन करने की कामना की है। 

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बीते दस सालों में राजस्थान की एसीबी ने देशभर में नाम कमाया। भ्रष्टाचारी आईएएस, आईपीएस, खनन माफिया और न्यायाधीश तक को एसीबी ने नहीं बख्शा। बहुत सारे आपरेशन के चलते पूरे देश में भ्रष्टाचारियों के बीच आतंक का पर्याय बनी राजस्थान एसीबी की लड़ाई में पर्दे के पीछे का हीरो विक्रमसिंह के निधन से राजस्थान के पुलिस विभाग और एसीबी में शोक की लहर छा गई है। राज्य के पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्रसिंह, एसीबी के महानिदेशक आलोक त्रिपाठी, महानिरीक्षक वीके सिंह, दिनेश एम.एन, पुलिस कमीश्नर आनन्द श्रीवास्तव, पूर्व महानिदेशक अजीतसिंह शेखावत समेत अधिकारियों और उनके पूरे स्टाफ ने विक्रम के निधन पर शोक व्यक्त किया है। सभी का कहना है कि राजस्थान एसीबी की इस प्रतिष्ठा की जो इमारत खड़ी हुई उसकी नींव में सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान विक्रमसिंह शेखावत का रहा। 

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गहलोत ने पूछे थे हाल
विक्रम जब तक अस्पताल में रहे। नियमित उन्हें मिलने पुलिस के दर्जनों अधिकारी आते और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी विक्रमसिंह के भाई दीपेन्द्रसिंह शेखावत ने फोन पर बात कर और सरकार की तरफ से हरसंभव प्रयास का आश्वासन दिलाया था। 

कर्तव्य के प्रति गजब की निष्ठा
विक्रमसिंह की कर्तव्य के प्रति गजब की निष्ठा थी। अधिकारी जब भी विक्रमसिंह से मिलने पहुंचते वह ठीक होकर दफ्तर लौटने की बात जरूर करते। राजस्थान पुलिस के पूर्व महानिदेशक अजीतसिंह शेखावत के लम्बे समय तक विक्रम अधीनस्थ रहे। जब मिलने आए तब उनका कहना था कि विक्रम ने अजमेर और कोटा पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले, अजमेर के जिला जज के खिलाफ मामले, नकली घी प्रकरण, एनआरएचएम में हुए घोटाले समेत कई प्रकरणों के खुलासे और अपराधियों की धरपकड़ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अजीतसिंह के अनुसार बड़े मामलों में सफलता मिल पाना बहुत मुश्किल होता है। उसमें दबाव बहुत रहता है, लेकिन विक्रम जैसे अफसरों के हौसलों की बदौलत ही एसीबी यह कर पाई। उनका निधन राजस्थान पुलिस के लिए बहुत बड़ी क्षति है।

मिहीर जैन को लाने में उल्लेखनीय भूमिका
आपको 2008 में जयपुर में हुए मिहीर जैन अपहरण काण्ड के खुलासे में विक्रमसिंह की भूमिका प्रभावी रही थी। विक्रमसिंह ने आठ दिन तक ड्राइवर और वॉचमैन की भूमिका निभाते हुए जिस अंदाज से यह केस ओपन करने में महत्ती भूमिका निभाई थी कि मिहीर के परिजनों की आंखें आज भी गीली हो जाती है। 

शहीद पिता का नाम आगे बढ़ाया
सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ तहसील की छोटी खुड़ी के मूल निवासी विक्रमसिंह के पिता शिवपालसिंह शेखावत ने पुलिस में ही उप निरीक्षक के तौर पर काम करते हुए 1999 में शहादत पाई थी। वे झुंझुनूं जिले में बगड़ थाना प्रभारी के तौर पर कार्यरत थे 11 नवम्बर 1999 को दो माली परिवारों के बीच आपसी झगड़े में एक परिवार के दो लोगों की मौत हो गई थी। थाना प्रभारी शिवपाल सिंह व थाना जाप्ता के साथ मुल्जीमानों की गिरफ्दारी के लिए मुख्य अभियुक्त बदरूराम माली के घर बणियां की ढाणी तन बगड़ पहुंचे और दो मुल्जिमों को गिरफ्तार कर पुलिस जिप्सी को रवाना किया। उन्होंने शेष मुल्जिमानों के बारे में जानना चाहा तो वहां मौजूद 8-10 आदमियों व औरतों ने उन पर हमला कर दिया। शिवपाल सिंह ने बहादुरी से उनका मुकाबला किया, लेकिन वे मौके पर ही शहीद हो गए। विक्रम ने अपने पिता की शहादत के बाद परिवार को संभाला और पुलिस में उप निरीक्षक के तौर पर पदस्थापित होने के बाद ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को ही सदा प्राथमिकता से निभाते रहे।

यह था ज़िंदगी को लेकर लेकर फ़लसफ़ा विक्रम के अभिन्न मित्र वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत के शब्दों में 
"जिन्दगी तो हजार साल की भी कम होती है । मैं जल्द निकल भी गया तो क्या ? एक सुकून के साथ तो जाऊंगा कि मैं बिका नहीं, डिगा नहीं । मैंने मेरा काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से किया । बच गया तो और काम करेंगे ।" ये शब्द मेरे कानों में गूंज रहे हैं और मैं गमजदा परिवार को लिए उनके उसी गांव की डगर पर हूं,जो उनकी रग रग में बसता था ।
बीते एक दशक से राजस्थान में भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी मुहिम में अगुवा रहे  पुलिस इंसपेक्टर विक्रम सिंह जी शेखावत आज कैंसर से जीवन की जंग हार गए। 1976 मेँ सीकर जिले के खुडी -लक्षमनगढ में जन्मे विक्रम सिंह बीते दस सालों से एंटी करपश्न ब्यूरो में चुपचाप काम करते हुये कई घोटालों को खोलने ,कई नामी गिरामी, बड़ी पहुँच वाले आईएएस ,आईपीएस ,जज ,जैसे ओहदेदार घूसखोरों को जेल भिजवाने में सुत्रधार बने। एसीबी मेँ पदस्थ रहे हर ड़ीजी ,एडीजी ,आईजी य़ा अन्य साथियों की अपने काम की बदौलत जरूरत और पसंद रहे विक्रम सिंह 6 जून की रात अचेत हुए थे। मुम्बई टाटा से इलाज कराया। फिर अभी नारायणा अस्पताल में भर्ती थे।  उनके अंतिम समय मे  हम सब इस जांबाज मित्र को वेंटिलेटर पर एक एक सांस के लिए संघर्ष करते हुए बेबस होकर देख रहे थे।  हम सब ईश्वरीय सत्ता के आगे असहाय होकर अपनी आंखों के सामने पल पल घुट घुट कर जी रहे दोस्त को मौत के आगोश में धीरे धीरे जाते हुए देखते रहे। बेबस और लाचार होकर हम विक्रम सिंह जी को उनका हाथ थामकर अपने आंसू चुपचाप पीते रहे और जल्दी ठीक होने की उम्मीद पालते  रहे। 
बीते सालों में ब्यूरो द्वारा की गयी कार्यवाही और अदालतों में पेश चार्जशीट पर गौर करें तो करप्ट सिस्टम के लिए काल साबित होते रहे विक्रम सिंह शेखावत को आप भी सलाम किये बिना नहीं रहेंगे. 
विक्रम सिंह की कुछ कार्यवाहियां काबिले गौर रही -
मसलन -
-Deputy Secretary Home Anil Paliwal trap case
-INC advisor Mahesh Sharma trap case
- SP Ajmer Rajesh Meena trap case
-Distt.Session Judge Ajay Sharda case
-11 cases of nakli desi ghee 
-SP Kotta city Satveer Singh trap case
-Senior  IAS Ashok Singhvi mining corruption case
-  NRHM corruption cases 
- PHED corruption case  
जैसे कई बडे़ भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा करने मे अहम कडी बने विक्रम सिंह जी करीब दस साल पहले कोटा में अपने ही अफसरों की साजिश का शिकार हो नौकरी छोड़ खेती बाड़ी का मन बना चुके थे लेकिन फिर एंटी करप्शन ब्यूरो में आये और ईमानदार अफसरों का आशीर्वाद मिला तो सर्विलांस के बूते करप्ट सिस्टम के लिए काल बनते चले गए. हालांकि इस दौरान उन्हें ऐसे लोगों ने जी भर दिल पर जख्म भी दिये जिन्हें वह अपने परिजनों से ज्यादा सम्मान देते रहे। 


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