Qatar-India: आखिर कोनसा है वो कानून, जिसके दम पर भारत 8 पूर्व नौसैनिकों को बचा सकता है

Qatar-India - आखिर कोनसा है वो कानून, जिसके दम पर भारत 8 पूर्व नौसैनिकों को बचा सकता है
| Updated on: 27-Oct-2023 09:00 AM IST
Qatar-India: कतर में भारतीय नौ सेना के आठ पूर्व जवानों को मौत की सजा सुनाई गई है. यह सभी कतर की अल दहरा कंपनी में काम करते थे. 2022 में 30 अगस्त को इन्हें हिरासत में लेकर जेल में डाल दिया गया था. खास बात ये है कि कतर के अधिकारियों की ओर से अब तक भारत सरकार को इन लोगों की गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया. एक साथ आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाए जाने से विदेश मंत्रालय खुद हैरान है.

कतर में आठ पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा दिए जाने के मामले में विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत हर कानूनी विकल्प पर विचार कर रहा है. माना जा रहा है कि भारत इस मामले में वही रुख अपना सकता है, जो उसने इटली मरीन्स केस में अपनाया था. उस केस में भारत ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों, समुद्री क्षेत्र अधिनियम 1976, भारतीय दंड संहिता, और UNCLOS 1982 के तहत लड़ाई लड़ी थी. कतर में अपने पूर्व नौसेना कर्मियों को बचाने के लिए भी भारत UNCLOS और अन्य अंतरराष्ट्रीय कानूनों की मदद ले सकता है.

क्या है UNCLOS 1982?

UNCLOS यानी संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि. यह 1982 में निर्धारित एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो विश्व के समुद्रों और महासागरों के उपयोग के लिए नियामक ढांचा प्रदान करती है. हालांकि इसमें देशों की संप्रभुता से जुड़े मामलों, सामुद्रिक जोनों के उपयोग और अधिकारों का निर्धारण और देशों के नौसैनिक अधिकारों के लिए भी प्रावधान है. यदि भारत इसके भाग XV का तर्क देता है तो यह मामला या तो इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ में जाएगा, जो जर्मनी में है. या इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस इस मामले की सुनवाई करेगा. इसमें तीसरा विकल्प तदर्थ मध्यस्थता यानी आपस में विवाद सुलझाने का है.

इटली मरीन्स केस में क्या हुआ था?

2012 में इटली के नौसैनिकों ने केरल तट के पास दो भारतीय मछुआरों की हत्या कर दी थी. इसे एनरिका लेक्सी नाम दिया गया था. इस मामले को UNCLOS के तहत पहले घरेलू स्तर पर निपटाने का प्रयास किया गया. बाद में इटली इसे इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर लॉ ऑफ द सी के समक्ष ले गया. ट्रिब्यूनल ने भारत में नौसैनिकों के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को खत्म करने का आदेश दिया था. इसके बाद यह मामला PCA के समक्ष गया था. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने अपने फैसले में कहा था कि भारत के पास इटली के दोनों नौसेना अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार का आपराधिक मुकदमा चलाने का अधिकार नहीं है, क्योंकि वे एक राष्ट्र की ओर से काम कर रहे थे.

इन पूर्व नौ सैनिकों को हुई है सजा

कतर में कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश को सजा सुनाई गई है. यह सभी कतर की अल दहरा ग्लोबल कंपनी में कार्यरत थे. यह कंपनी कतर की सेना को ट्रेनिंंग देती थी. यह सभी कतर की अमीरी नौसेना बल में इतावली U212 स्टील्थ पनडुब्बियों को शामिल करने का मामला देख रहे थे. 30 अगस्त को इन्हें उस वक्त गिरफ्तार किया गया, जब ये भारत वापस लौट रहे थे, तब से अब तक ये सभी जेल में हैं.

मामले में कब क्या हुआ

30 अगस्त 2022 को अल दहरा कंपनी में काम करने वाले 8 पूर्व नौसैनिकों को दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार कर एकांत कारावास में डाल दिया गया था.

1 अक्टूबर को दोहा में भारत के राजदूत और मिशन के उप प्रमुख ने आठों नौसैनिकों से मुलाकात की.

3 अक्टूबर को अल दहरा ग्लोबल के सीईओ खामिस अल अजमी इनकी जमानत के लिए पहुंचे तो उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया और दो माह तक एकांत कारावास में रखा गया, इसके बाद इन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया.

1 मार्च 2023 को इन 8 पूर्व नौसैनिकों के लिए दायर की गई जमानत याचिकाओं में से आखिरी याचिका भी खारिज कर दी गई.

25 मार्च को सभी आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए. चार दिन बाद यानी 29 मार्च को कतर के कानून के तहत सभी पर मुकदमा दर्ज हुआ.

30 मई को अल दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और कंपनी के सभी पूर्व कर्मचारी जिनमें ज्यादातर भारतीय थे वे घर लौट आए.

अगस्त में एकांत कारावास से बाहर निकाला

कतर अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए गए भारत के आठ पूर्व नौसेनिकों को तकरीबन 11 माह बाद अगस्त माह में एकांत कारावास से मुक्ति मिली. इसके बाद इन्हें जेल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. हर सेल में दो आदमी रखे गए. 26 अक्टूबर को इनके खिलाफ लगे आरोप की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सभी आठ भारतीयों को मौत की सजा सुना दी.

सजा पर विदेश मंत्रालय हैरान

कतर में गिरफ्तार 8 पूर्व नौसेना के अधिकारियों को मौत की सजा सुनाए जाने पर भारतीय विदेश मंत्रालय खुद हैरान है. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में ये कहा गया है कि सरकार मामले पर नजर रखे हैं, गिरफ्तार नावकिों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी. मामले को राजनयिक और राजनीतिक स्तर पर भी उठाया गया है. भारत और कतर के अधिकारी भी लगातार बातचीत कर रहे हैं.

‘कतर के अमीर’ दे सकते हैं क्षमादान

कतर में भारत के 8 पूर्व नौसैनिकों को बचाने के लिए भारत सरकार तो प्रयास कर रही है, कर्मियों के परिवार भी कोशिश में जुटे हैं. परिवारों की ओर से ‘कतर के अमीर’ के समक्ष दया याचिका दायर की गई है, जो रमजान और ईद के दौरान क्षमादान देने के लिए जाने जाते हैं. वर्तमान में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी हैं.

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