जहांगीरपुरी में बुलडोजर: तोड़फोड़ के बाद बाशिदों की बढ़ गई चिंता, बोले- अब कैसे करेंगे गुजर-बसर
जहांगीरपुरी में बुलडोजर - तोड़फोड़ के बाद बाशिदों की बढ़ गई चिंता, बोले- अब कैसे करेंगे गुजर-बसर
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Updated on: 21-Apr-2022 09:52 AM IST
बुधवार को जहांगीरपुरी में बुलडोजर चलने के बाद जमीला को चिंता सता रही है कि अब परिवार का गुजर बसर कैसे होगा। ठीक इसी तरह अपनी दुकान के हटने से परेशान रशीदा ने भी कार्रवाई पर रोष जताते हुए कहा कि मेरे बच्चों का पालन पोषण कौन करेगा। न दुकान और न कमाई का जरिया, कुछ भी नहीं बचा। इस कार्रवाई ने कई और परिवारों की खुशियां और कमाई का जरिया छीन लिया।पुराने कपड़े बेचकर परिवार की गुजर बसर करने वाले जमीला अब दूसरे रोजगार के लिए जमीन तलाशती नजर आईं। हिंसा के पांचवें दिन बुधवार के अभियान ने इस महिला का सब कुछ छीन लिया। जमीला का कहना है कि पहले रोजाना 300 से 400 रुपये की कमाई हो जाती थी, अब तो पता नहीं 100 रुपये कमाने के लिए भी क्या करेंगी।...घर से बाहर निकलने के लिए सीढ़ी भी नहींवसीम ने कहा कि बिरयानी बेचकर परिवार का गुजारा कर रहे थे। दुकान तोड़ने के साथ ही घर में लगी लोहे की सीढ़ियां भी तोड़ दी गई। कमाई का जरिया खत्म हो गया है। बुजुर्ग पिता हो या माता कैसे उतरेंगे, यह चिंता सता रही है। अब नए सिरे से काम तलाशना होगा।दस्तावेज होने के बाद भी किसी ने नहीं सुनीकबाड़ी मार्केट में गणेश गुप्ता का कहना है कि वह 1977 से दिल्ली में रह रहे हैं और जूस बेचते हैं। आरोप है कि दस्तावेज होने के बाद भी दुकान में तोड़फोड़ की गई। किसी ने एक भी नहीं सुनी। इस दुकान से चार लोगों का परिवार चलता है अब इसे दोबारा शुरू करने में लाखों का खर्च आएगा।पशुओं के लिए चारा नहीं, सताने लगी रोजी रोटी की चिंतानूर मोहम्मद का कहना है कि दुकान के घर की छत उजड़ गई है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि अब दोबारा काम की शुरुआत नहीं कर सकते हैं। पशुओं के लिए चारा तो दूर, परिवार के लिए रोटियां कहां से आएंगी, यही सवाल परेशान कर रहा है। अपने एक भाई के साथ पिछले कुछ वर्षों से कमाई कर रहे नूर के चेहरे पर मायूसी बयां कर रही थी। नूर ने कहा कि पिछले दिनों की घटना से कोई लेना देना नहीं था, फिर भी उन पर कार्रवाई की गई।कौन करेगा चार बच्चों का पालनरशीदा का कहना है कि अब न तो दुकान है और न ही कमाई का जरिया। आखिरकार चार बच्चों का पालन पोषण कौन करेगा, क्या सरकार करेगी। अब और अत्याचार बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। बच्चों के पिता नहीं हैं। मैं मेहनत कर चार बच्चों का पालन कर रही थी। भावुक होते हुए रशीदा ने कहा कि इससे अच्छा तो यह होता कि सभी के साथ ऐसा कुछ करते कि ऐसे हालात देखने न पड़ते।
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