राजस्थान में आरक्षण के लिए आंदोलन: आंदोलनकारियों ने रखी 3 मांगें, मंत्री विश्वेंद्र सिंह बोले- हाईवे से धरना हटाएं, फिर बात होगी

राजस्थान में आरक्षण के लिए आंदोलन - आंदोलनकारियों ने रखी 3 मांगें, मंत्री विश्वेंद्र सिंह बोले- हाईवे से धरना हटाएं, फिर बात होगी
| Updated on: 15-Jun-2022 08:30 AM IST
राजस्थान के भरतपुर जिले में आरक्षण के लिए सैनी, माली, कुशवाह, मौर्य और शाक्य समाज का नेशनल हाईवे-21 पर टेंट लगाकर धरना जारी है। आंदोलनकारियों ने सरकार के सामने तीन मांगे रखी है। जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया जाए। मुकदमे वापस लिए जाए और समाज की बात को सरकार तक पहुंचाया जाए। मंगवार देर रात आंदोलानकारियों की सरकार के साथ वार्ता हुई। लेकिन वार्ता में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह शामिल नहीं थे। भरतपुर संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा ने आंदोलनकारियों से वार्ता की। आंदोलनकारियों ने वार्ता को सकारात्मक बताया। आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक मुरारी लाल ने कहा कि नेशनल हाईवे- 21 पर धरना जारी रहेगा। 12 परसेंट आरक्षण की मांग जारी रहेगी। कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलनकारी पहले हाईवे से धरना हटाएं, फिर बात होगी। 

संभागीय आयुक्त बोले- हालात नियंत्रण में है

संभागीय आयुक्त सांवरमल वर्मा का कहना है कि आंदोलन कर रहे आरक्षण संघर्ष समिति के सदस्यों में ही सहमति नहीं बनी है। इसलिए मंगलवार को बात करने के लिए कोई भी मंत्री विश्वेंद्र सिंह से मिलने के लिए नहीं पहुंचा। हालात नियंत्रण में है। प्रशासन सहमति बनाने का पूरा प्रयास कर रहा है। उल्लेखनीय है कि भरतपुर के अरौदा गांव में चल रहे आंदोलन के मामले में लखनपुर थाने में 58 आंदोलनकारियों का नाम दर्ज कराया गया। साथ ही एक हजार अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। आरक्षण संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि हमारे युवाओं को नौकरी से बर्खास्त करने, तबादला करने और जान से मारने की धमकिया दी जा रही है। मुराली लाल के मुताबिक उनके टीचर बेटे का तबादला बाड़मेर कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि नेशनल हाईवे पर चक्काजाम को देखते हुए प्रशासन ने जिले की 4 तहसील नदबई, उच्चैन, वैर और भुसावर में इंटरनेट सेवा 15 जून तक के लिए बंद कर दी है। 

आबादी का सर्वे कराने पर ही मांग पूरी 

ओबीसी के 21 प्रतिशत आरक्षण में सैनी, माली, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग तभी पूरी हो सकती है जब सरकार इन समाजों की आबादी का सर्वे कराए या जातिगत आधारित जनगणना हो। पूर्व में जस्टिस इसरानी आयोग ने नवंबर 2012 में विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लेकर जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। उसमें भी इन समाजों की आबादी से जुड़े आंकड़े नहीं थे। उसे सार्वजनिक भी नहीं किया गया। फिलहाल राज्य में ओबीसी में 92 जातियां शामिल है जो 21 प्रतिशत आरक्षण का लाभ ले रही हैं। गुर्जर सहित पांच समाज जो ओबीसी में आते थे, उन्होंने भी अलग से आरक्षण के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार ने 5 प्रतिशत एमबीसी आरक्षण दिया। सहालांकि, यह आरक्षण दिए जाने से प्रदेश में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक हो गई और इसे कोर्ट में चुनोती भी दी गई जो अब भी विचाराधीन है। अब यदि माली, सैनी, मौर्य, कुशवाहा और सूर्यवंशी समाज जो ओबीसी में ही आते हैं, उन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया तो ओबीसी आरक्षण कोटे में शामिल जाट सहित अन्य समाज इससे नाराज हो सकते हैं। 

 


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