कोरोना वायरस: 'आरोग्य सेतु' का कमाल, WHO भी हुआ प्रभावित, गरीब देशों के लिए लॉन्च करेगा ऐसा ही ऐप

कोरोना वायरस - 'आरोग्य सेतु' का कमाल, WHO भी हुआ प्रभावित, गरीब देशों के लिए लॉन्च करेगा ऐसा ही ऐप
| Updated on: 09-May-2020 03:25 PM IST
जिनेवाः विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) जल्द ही आरोग्य सेतु जैसा ऐप लॉन्च करने जा रहा है, जिसमें वो सारी तकनीकि खासियतें होंगी, जो आरोग्य सेतु में है। कोरोना वायरस (Coronavirus) का संक्रमण रोकने के लिए भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप को लॉन्च किया था। इस ऐप को अभी तक 9 करोड़ से अधिक लोग डाउनलोड कर चुके हैं।

WHO के ऐप में होंगी ये खासियतें

विश्व स्वास्थ्य संगठन जो ऐप लॉन्च करने जा रहा है, उसमें ब्लूटूथ से लोगों को कोरोना वायरस के लिए ट्रेक किया जा सकेगा। ऐप लोगों से उनके रोग के लक्षणों के बारे में पूछेगा, साथ ही इनका निदान भी बताएगा। संगठन के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी बर्नाडो मारिआनो ने रॉयटर्स को बताया कि इसके लोगों को यह भी बताया जाएगा कि कैसे वो इस बीमारी की जांच करवा सकते हैं। हालांकि यह देश के ऊपर निर्भर होगा कि वो कैसे जांच करवाएगा।

जल्द ही ऐप स्टोर्स पर लॉन्च होगा 

मारिआनो ने कहा कि WHO जल्द ही ऐप को प्ले स्टोर और आईओएस पर लॉन्च करेगा। इस ऐप की तकनीक को कोई भी सरकार ले सकेगी, उसमें नए फीचर डालकर के अपना वर्जन लॉन्च कर सकती है। 

भारत के अलावा इन देशों ने लॉन्च किया ऐप

भारत के अलावा फिलहाल ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम अपना खुद का वायरस को ट्रेक करने वाला ऐप लॉन्च कर चुके हैं। इन ऐप्स के जरिए लोगों को आसानी से ट्रेक किया जा सकता है और अगर ये किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो भी पता चल जाता है।

इन कंपनियों के पूर्व इंजिनियर तैयार कर रहे हैं ऐप

गूगल और माइक्रोसॉफ्ट में पहले काम कर चुके कुछ इंजिनियर्स और डिजाइनर्स इस ऐप पर काम कर रहे हैं। मोबाइल में कॉटैक्ट ट्रेसिंग ऐप हो, तो लोगों के बारे में ये पता लगाया जा सकता है कि वो कहां आए- गए। और कहीं वो किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में तो नहीं आए। इसके लिए ये ऐप ब्लूटूथ सेंसर का इस्तेमाल करता है। अगर वो किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के आस पास होंगे, तो तुरंत उनके पास एलर्ट का मैसेज जाएगा। इस ऐप का एक फायदा ये भी है कि लोगों को पहले के दौर में किसी कोरोना संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बारे में पता सकते हैं। कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पहले लोगों और मरीज़ों से बात करके की जाती थी। लेकिन, इसमें काफ़ी समय और मेहनत लगती है। फिर लोग ये भूल भी जाते हैं कि वो किस किससे मिले थे। फिर अगर वो किसी अजनबी से मिले तो उसे पहचान पाना उनके लिए मुश्किल होता है।


इसलिए हो रहा है ब्लूटूथ का इस्तेमाल

मोबाइल कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप के लिए जीपीएस के बजाय ब्लूटूथ तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। वजह ये है कि इसमें फोन की बैटरी कम खर्च होती है। ये ज्यादा सटीक होते हैं और जीपीएस अक्सर बहुमंजिला इमारतों में काम नहीं करते।

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