Debt On America: अमेरिका खुद भारी कर्ज में डूबा, फिर भी पाकिस्तान को दिलाई 'भीख': कैसे पार होगी नैया?

Debt On America - अमेरिका खुद भारी कर्ज में डूबा, फिर भी पाकिस्तान को दिलाई 'भीख': कैसे पार होगी नैया?
| Updated on: 10-Dec-2025 09:48 AM IST
वैश्विक वित्तीय परिदृश्य अक्सर विरोधाभासों से भरा होता है, और। हालिया घटनाक्रम इस विरोधाभास को स्पष्ट रूप से उजागर करता है। जहां एक ओर वैश्विक आर्थिक महाशक्ति अमेरिका ने अपने सहयोगी पाकिस्तान को एक महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता दिलाने में मदद की है, वहीं दूसरी ओर उसकी अपनी आर्थिक नींव कर्ज के एक विशाल बोझ तले दबती दिख रही है। यह जटिल स्थिति दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की स्थिरता और घरेलू वित्तीय उथल-पुथल के बीच उसकी विदेश नीति के निर्णयों के निहितार्थों के बारे में महत्वपूर्ण सवाल उठाती है।

पाकिस्तान को मिली महत्वपूर्ण IMF संजीवनी

आर्थिक पतन के कगार पर खड़े पाकिस्तान को एक महत्वपूर्ण वित्तीय बढ़ावा मिला है। व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आसिफ मुनीर के बीच एक उच्च-स्तरीय मुलाकात के बाद, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने दक्षिण एशियाई राष्ट्र के लिए 1. 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 10,782 करोड़ भारतीय रुपये) के ऋण को मंजूरी दे दी है। इस मंजूरी को राजनयिक पर्यवेक्षकों द्वारा ट्रंप प्रशासन के पाकिस्तान के प्रति "सॉफ्ट कॉर्नर" के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में देखा जा रहा है, जिसने प्रभावी रूप से देश को उसके गंभीर वित्तीय संकट से अस्थायी राहत प्रदान की है। इस ऋण का समय और प्रकृति विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है, खासकर भारत की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बार-बार दी गई चेतावनियों को देखते हुए कि पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता अक्सर अनजाने में आतंकवाद को बढ़ावा देती है। इन आपत्तियों के बावजूद, राजनयिक पैंतरेबाजी ने इस महत्वपूर्ण बेलआउट का मार्ग प्रशस्त किया है, जिससे पाकिस्तान को अपनी तत्काल आर्थिक दबावों को प्रबंधित करने के लिए अस्थायी राहत मिली है।

अमेरिकी विरोधाभास: कर्ज में डूबा एक राष्ट्र

यह कहानी तब एक आश्चर्यजनक मोड़ लेती है जब कोई उस राष्ट्र के वित्तीय स्वास्थ्य की जांच करता है जिसने कथित तौर पर पाकिस्तान के बेलआउट का आयोजन किया था और जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे IMF पर काफी प्रभाव रखता है, जिससे वह अन्य देशों के लिए ऋण की सुविधा प्रदान कर सकता है, उसकी अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था एक अभूतपूर्व और खतरनाक ऋण संकट में फंसी हुई है। यह एक गहरा विरोधाभास प्रस्तुत करता है: एक देश जो दूसरों के लिए वैश्विक वित्तीय निर्णयों को प्रभावित करने में सक्षम है, वह एक साथ एक भारी ऋण बोझ से जूझ रहा है जो उसकी दीर्घकालिक स्थिरता को खतरे में डालता है। वैश्विक वित्तीय उत्तोलन और आंतरिक राजकोषीय चुनौतियों के बीच तीव्र अंतर एक जटिल और संभावित रूप से अस्थिर आर्थिक वास्तविकता को रेखांकित करता है।

बढ़ता कर्ज: एक अभूतपूर्व वित्तीय बोझ

अमेरिका के कर्ज का पैमाना चौंकाने वाला है, जो पिछले रिकॉर्डों को बौना करते हुए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। कुल राष्ट्रीय कर्ज अब एक आश्चर्यजनक 105 और 2 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है। इस आंकड़े को परिप्रेक्ष्य में रखने के लिए, यह संयुक्त राज्य अमेरिका के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 3. 5 गुना है, जो उधार पर गहरी निर्भरता का संकेत देता है। यह विशाल राशि केवल सरकारी खर्च के कारण नहीं है; यह अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को शामिल करने वाली एक बहुआयामी समस्या है।

संघीय सरकार अकेले एक बड़ा हिस्सा बनाती है, जिसका कर्ज 38. 2 ट्रिलियन डॉलर है। सरकार से परे, अमेरिकी परिवार और व्यक्ति भी बुरी तरह कर्ज में डूबे हुए हैं, जो कुल आंकड़े में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। व्यक्तिगत कर्ज कुल 26 और 4 ट्रिलियन डॉलर है, जबकि बंधक कर्ज (मुख्य रूप से आवास ऋण से) 21. 3 ट्रिलियन डॉलर है और इसके अलावा, छात्र ऋण, कई युवा अमेरिकियों के लिए एक बढ़ती चिंता, इस विशाल ऋण ढेर में 1. 8 ट्रिलियन डॉलर और जोड़ता है और यह व्यापक विश्लेषण सरकार के उच्चतम स्तर से लेकर उसके व्यक्तिगत नागरिकों तक, ऋण पर गहराई से निर्भर समाज को दर्शाता है। वर्तमान ऋण संकट कोई अचानक घटना नहीं है, बल्कि दशकों के बढ़ते राजकोषीय विस्तार का परिणाम है। ऐतिहासिक आंकड़े ऋण संचय की चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाते हैं।

अक्टूबर 1995 में, संघीय कर्ज अपेक्षाकृत प्रबंधनीय 4. 9 ट्रिलियन डॉलर था। एक दशक बाद, 2005 तक, यह लगभग दोगुना होकर 8 ट्रिलियन डॉलर हो गया। ऊपर की ओर प्रक्षेपवक्र लगातार जारी रहा, 2015 तक 18. 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया। आज, यह एक खतरनाक 38. 2 ट्रिलियन डॉलर पर खड़ा है और चढ़ना जारी है। अनुमान बताते हैं कि यदि उधार की वर्तमान दर बनी रहती है, तो संघीय कर्ज 2028 तक आसानी से 50 ट्रिलियन डॉलर को पार कर सकता है, जो संभावित रूप से एक अनियंत्रित भविष्य का संकेत है।

वैश्विक COVID-19 महामारी ने स्थिति को काफी बढ़ा दिया है, जिसने राहत और प्रोत्साहन पैकेजों पर भारी सरकारी खर्च को बढ़ावा दिया और महामारी की शुरुआत के बाद से, राष्ट्रीय कर्ज में अतिरिक्त 15 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है, जो राष्ट्र के वित्तीय स्वास्थ्य पर हाल के संकटों के गहरे प्रभाव को उजागर करता है।

चौंकाने वाले दैनिक ब्याज भुगतान

इस विशाल कर्ज के सबसे तात्कालिक और crippling परिणामों में से एक इसे चुकाने की खगोलीय लागत है। संयुक्त राज्य अमेरिका अब अपने बजट का एक असाधारण हिस्सा केवल अपने उधार पर ब्याज चुकाने के लिए आवंटित करने के लिए मजबूर है, जिससे उन निधियों को मोड़ दिया जाता है जिन्हें अन्यथा महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश किया जा सकता था। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि देश प्रतिदिन लगभग 3 बिलियन डॉलर केवल ब्याज भुगतान पर खर्च कर रहा है और यह दैनिक व्यय ऋण द्वारा लगाए गए वित्तीय नाली की एक स्पष्ट याद दिलाता है, प्रभावी ढंग से उन संसाधनों को निकाल रहा है जिन्हें आर्थिक विकास, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं या महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की ओर निर्देशित किया जा सकता था। ब्याज भुगतान की ओर पूंजी का इतना महत्वपूर्ण बहिर्वाह सरकार की अपने भविष्य में निवेश करने और अपने नागरिकों की तत्काल जरूरतों। को पूरा करने की क्षमता को गंभीर रूप से बाधित करता है, संभावित रूप से दीर्घकालिक विकास और समृद्धि को बाधित करता है।

ट्रंप की आर्थिक चुनौती: ऋण दलदल से बाहर निकलना

अपने चुनाव अभियानों के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने प्रसिद्ध रूप से "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" का वादा किया था, अक्सर आर्थिक पुनरुत्थान पर जोर देते थे और हालांकि, राष्ट्र के कर्ज की विकट वास्तविकता इस वादे के लिए एक दुर्जेय चुनौती प्रस्तुत करती है। जबकि प्रशासन आर्थिक संकेतकों के बारे में डींग मार सकता है, अंतर्निहित सच्चाई यह है कि देश एक गंभीर ऋण जाल में उलझा हुआ है और इस दलदल से अर्थव्यवस्था को कैसे निकाला जाए, यह सवाल अनुत्तरित रहता है। यदि निर्णायक और मजबूत आर्थिक सुधारों को तुरंत लागू नहीं किया जाता है, तो सरकार उस बिंदु तक पहुंचने का जोखिम उठाती है जहां उसके पास आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं, बुनियादी ढांचा विकास और कल्याणकारी पहलों के लिए अपर्याप्त धन होगा और एक ऐसा परिदृश्य जहां राष्ट्रीय राजस्व का अधिकांश हिस्सा ऋण चुकाने में खर्च हो जाता है, विकास-उन्मुख खर्च के लिए बहुत कम या कोई जगह नहीं छोड़ेगा, संभावित रूप से अर्थव्यवस्था के ठहराव और उसके नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनेगा। आगे का रास्ता एक गहरे संकट को टालने के लिए तत्काल और रणनीतिक राजकोषीय प्रबंधन की मांग करता है।

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