राजस्थान में एक और गठबंधन टूट की कगार पर: राजस्थान सरकार ने नहीं दी एनसीपी को सांकेतिक धरने की अनुमति तो यह बोले प्रदेशाध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत

राजस्थान में एक और गठबंधन टूट की कगार पर - राजस्थान सरकार ने नहीं दी एनसीपी को सांकेतिक धरने की अनुमति तो यह बोले प्रदेशाध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत
| Updated on: 27-Dec-2020 08:39 PM IST
जयपुर | राजस्थान की आरएलपी ने मोदी सरकार से किसानों के मुद्दे पर गठबंधन तोड़ दिया है। दूसरी ओर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रविवार को बाली में प्रस्तावित सांकेतिक धरने को राजस्थान की कांग्रेस शासित सरकार ने अनुमति देने से इनकार कर दिया है। चूंकि एनसीपी ने पहले ही तीनों विधानसभा सीटों पर स्वतंत्र प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है।


पंचायतराज चुनावों में पाली ​समेत कई जिलों में एनसीपी प्रत्याशियों ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है और बाली निकाय चुनाव भी एनसीपी अपने दम पर लड़ने की घोषणा कर चुकी है। ऐसी स्थिति में बौखलाई प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने एनसीपी को सांकेतिक धरने की अनुमति देने से मना ही कर दिया। हालांकि एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर जनसुनवाई की और लोगों के कामों के अधिकारियों को लगातार दूसरे दिन भी निर्देशत किया।

देश में विपक्ष एनसीपी के बैनर तले आना चाहता है

प्रदेशाध्यक्ष चम्पावत का कहना है "भले ही राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में पूरा विपक्ष एनसीपी के बैनर तले आना चाह रहा है। पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी और शिवसेना के सामना मुखपत्र के हालिया बयानों को देखें तो यह साफ है। परन्तु राजस्थान में कांग्रेस एनसीपी के साथ किए ​गए वादों को पूरा करने की ओर गंभीर नहीं लग रही। राष्ट्रीय स्तर पर यूपीए को सफल नेतृत्व शरद पवार ही दे सकते हैं।" देश में भले ही यूपीए की कमान एनसीपी के मुखिया शरद पवार के हाथ में देने के लिए बंगाल से महाराष्ट्र तक मांग उठ रही हो, लेकिन स्थानीय कांग्रेस सरकार ने गठबंधन के बावजूद राजस्थान में एनसीपी को एक सांकेतिक धरने की अनुमति देने से मना कर दिया। ऐसे में यहां यह गठबंधन ज्यादा चलता दिख नहीं रहा। 


कुछ नियमों का हवाला देकर किया मना

एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष उम्मेदसिंह चम्पावत का इस मुद्दे पर कहना है कि प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कुछ नियमों का हवाला देते हुए हमें यह अनुमति देने से मना कर दिया गया। वहीं यहां अन्य पार्टियां धरना प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम कोविड के बीच में बिना अनुमति ही कर रहे हैं। चूंकि हमारी पार्टी अनुशासित और जनहित की विचारधारा वाली पार्टी है। ऐसे में हम लोकतंत्र की व्यवस्थाओं का सम्मान करते हैं। प्रशासनिक अधिकारी बिना अनुमति धरना देने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। यह ​सीधा कायदों का मखौल है। उन्होंने कहा कि धरने की अनुमति नहीं मिली तो हमने अपना काम रोक नहीं दिया है। हमने स्थानीय जनता से सीधा मुलाकात का दो दिवसीय कार्यक्रम चलाया है और इसमें सैकड़ों लोगों के ज्ञापन, परिवेदनाएं प्राप्त हुई है। उन पर काम करने के लिए संबंधित विभागों को प्रेषित किया गया है और इन सबकी जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय को दी गई है। बाली की जनता की आवाज को उठाने के लिए किसी सरकारी अनुमति की आवश्यकता हम नहीं मानते। यदि धरने की अनुमति नहीं है तो हम दूसरे तरीकों ये यह लगातार कर रहे हैं। 


नगरपालिका चुनाव के लिए चर्चा

बाली नगरपालिका के लिए चुनावों को लेकर एनसीपी की स्थानीय पदाधिकारियों की बैठक भी हुई। सम्भावित उम्मीदवारों ने प्रदेशाध्यक्ष के सामने नगरपालिका चुनाव के लिए टिकट के लिये अपने अपने समर्थकों के साथ टिकट की दावेदारी की। पंचायत समिति के एनसीपी के उम्मीदवारों ने भी चम्पावत से भेंट कर चुनाव परिणाम का मंथन किया। आगामी नगरपालिका चुनाव की रणनीति पर पदाधिकारियों ने सभी से फीडबैक लिया है। इससे साफ है कि एनसीपी भी कांग्रेस से गठबंधन लगातार रखने के मूड में नहीं है। एनसीपी के साथ जिन वादों को करके कांग्रेस ने प्रदेश में गठबंधन किया, वह पूरे नहीं हो पाए हैं। ऐसे में एनसीपी अब अपने स्तर पर प्रदेश की दो सौ सीटों पर चुनाव लड़ने का मानस बना चुकी है और इसकी शुरूआत वह संभवत: 2021 की पहली तिमाही में होने वाले विधानसभा के तीन उप चुनावों में अपने स्वतंत्र उम्मीदवार उतारकर करेगी।

यहां की जनसुनवाई

चम्पावत ने यहां जनसुनवाई में संबंधित अधिकारियों से फ़ोन पर वार्ता की और आमजन की समस्याओं के निदान के लिए निर्देशित किया। जनसुनवाई में बाली कार्यालय पर पार्टी के सलाहकार धीरज जणवा, वीराराम चौधरी, ममता मेघवाल, हनुमंत सिंह, प्रकाश मीणा, अचलाराम मीणा, करणसिंह, पार्टी पदाधिकारी समेत कई लोग मौजूद रहे। इससे एक दिन पहले प्रदेशाध्यक्ष ने श्रीसेला इलाके में जनसुनवाई की थी।

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