नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 हटने का असर कश्मीर में अब कोई भी सत्ता में आए, सीएम से ज्यादा उपराज्यपाल ताकतवर होगा
नई दिल्ली - अनुच्छेद 370 हटने का असर कश्मीर में अब कोई भी सत्ता में आए, सीएम से ज्यादा उपराज्यपाल ताकतवर होगा
नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प पेश किया। इसी के साथ अधिसूचना जारी कर अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख अब दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश होंगे। जम्मू-कश्मीर दिल्ली की तरह ही केंद्र शासित प्रदेश होगा। यानी यहां चुनी हुई राज्य सरकार होगी लेकिन इसके साथ ही केंद्र की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल भी होगा। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार और उप राज्यपाल के बीच संवैधानिक शक्तियों के इस्तेमाल को लेकर टकराव होता रहा है। राष्ट्रपति उपराज्यपाल की नियुक्ति करेंगेकेंद्र सरकार उपराज्यपाल के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति से करती है। आमतौर पर राष्ट्रपति केंद्र द्वारा अनुमोदित नाम पर मुहर लगाते हैं। यानी अब मोदी सरकार जिस व्यक्ति का नाम उपराज्यपाल के लिए सुझाएगी, उसे राष्ट्रपति स्वीकार कर लेंगे। अभी सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल हैं। सुरक्षा व्यवस्था केंद्र के अधीन रहेगीदिल्ली सरकार और केंद्र के बीच मुख्य विवाद ब्यूरोक्रेसी और पुलिस को लेकर रहा है। संवैधानिक व्यवस्था के तहत दिल्ली की सुरक्षा का जिम्मा भारत सरकार के गृह विभाग का है। यानी सीधे तौर पर दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है। जम्मू-कश्मीर में भी अब यही होगा। ब्यूरोक्रेसी पर भी केंद्र का नियंत्रणराज्य में आईएएस और आईपीएस अफसरों की तैनाती का अधिकार केंद्र सरकार यानी उपराज्यपाल के पास होगा। दिल्ली में अफसरों की तैनाती को लेकर केंद्र और केजरीवाल सरकार का टकराव रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। इसी साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो में ग्रेड एक और ग्रेड दो के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार केंद्र के पास रहेगा। सामान्य तौर पर देखें तो जम्मू-कश्मीर की राज्य सरकार के पास सामान्य प्रशासनिक सेवाओं के अलावा ज्यादा कुछ नहीं रहेगा। उपराज्यपाल केंद्र के निर्देश के अनुसार सुरक्षा से संबंधित फैसले करेगा। इस मामले पर राज्य सरकार का नहीं, बल्कि उपराज्यपाल का फैसला मान्य होगा।