Bhushan Ramkrishna Gavai: सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर हमले की कोशिश, कोर्ट रूम में वकील ने जूता फेंका

Bhushan Ramkrishna Gavai - सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर हमले की कोशिश, कोर्ट रूम में वकील ने जूता फेंका
| Updated on: 06-Oct-2025 03:14 PM IST

Bhushan Ramkrishna Gavai: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अभूतपूर्व घटना घटी, जब एक वकील ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर हमला करने की कोशिश की। न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, यह घटना उस समय हुई जब CJI की बेंच एक मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट रूम में मौजूद वकीलों ने बताया कि आरोपी वकील ने CJI की ओर जूता फेंका, हालांकि यह उनकी बेंच तक नहीं पहुंचा। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को हिरासत में ले लिया। बाहर जाते समय वकील ने नारा लगाया, "सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।"

CJI गवई ने इस घटना पर शांतिपूर्ण प्रतिक्रिया दी और अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा, "इस सबसे परेशान न हों। मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।"

आरोपी वकील की पहचान

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोपी वकील का नाम राकेश किशोर कुमार है, जिनका सुप्रीम कोर्ट बार में रजिस्ट्रेशन 2011 में हुआ था। माना जा रहा है कि वह CJI गवई की मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना पर की गई टिप्पणियों से नाराज थे।

भगवान विष्णु की मूर्ति विवाद

16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जवारी (वामन) मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की बहाली की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। CJI ने याचिकाकर्ता को संबोधित करते हुए कहा था, "जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।"

याचिकाकर्ता ने इस फैसले पर नाराजगी जताई थी, उनका कहना था कि यह उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। कोर्ट ने यह भी कहा था कि मूर्ति जिस स्थिति में है, उसी में रहेगी और भक्त चाहें तो दूसरे मंदिरों में पूजा कर सकते हैं। याचिकाकर्ता का दावा था कि यह मूर्ति मुगल आक्रमणों के दौरान खंडित हुई थी और तब से उसी हालत में है। उन्होंने मंदिर की पवित्रता को पुनर्जनन और श्रद्धालुओं के पूजा के अधिकार की रक्षा के लिए कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी।

CJI की सफाई और सोशल मीडिया पर विवाद

18 सितंबर को CJI गवई ने अपनी टिप्पणी पर सफाई दी थी। उन्होंने कहा कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। CJI ने स्पष्ट किया, "मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।" बेंच में शामिल जस्टिस के विनोद चंद्रन ने सोशल मीडिया को "एंटी-सोशल मीडिया" करार देते हुए कहा कि उन्हें भी ऑनलाइन गलत तरीके से दिखाया गया है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने CJI का समर्थन करते हुए कहा, "मैं CJI को 10 साल से जानता हूं। वे सभी धर्मस्थलों पर जाते हैं। आजकल सोशल मीडिया पर बातें बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई जाती हैं।" उन्होंने न्यूटन के नियम का हवाला देते हुए कहा कि अब सोशल मीडिया पर हर क्रिया की जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया होती है। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी सोशल मीडिया की वजह से वकीलों को होने वाली दिक्कतों पर सहमति जताई।

VHP की प्रतिक्रिया

विश्व हिंदू परिषद (VHP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने X पर लिखा, "न्यायालय न्याय का मंदिर है। भारतीय समाज की न्यायालयों पर श्रद्धा और विश्वास है। हम सबका कर्तव्य है कि यह विश्वास न सिर्फ बना रहे, बल्कि और मजबूत हो।" उन्होंने यह भी कहा कि वाणी में संयम रखना सभी की जिम्मेदारी है, जिसमें वकील, याचिकाकर्ता और न्यायाधीश शामिल हैं।

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