चौथ का व्रत: संतान की सलामती को बहुला चौथ व्रत सात अगस्त को

चौथ का व्रत - संतान की सलामती को बहुला चौथ व्रत सात अगस्त को
| Updated on: 05-Aug-2020 11:07 PM IST

संतान की सलामती की कामना के लिए बहुला चौथ व्रत भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष चतुर्थी को मनाया जाएगा। इस बार यह सात अगस्त को पड़ रहा है। महिलाएं दिनभर उपवास रहकर शिव, पार्वती, गणेशजी के साथ बहुला गाय की प्रतिमा बनाकर फूल, भांग, बेलपत्र, दूब व विभिन्न प्रकार की सामग्रियों से पूजा-अर्चना करेंगी। चन्द्रोदय के बाद शिव-पार्वती व गणेशजी की पूजा कर चंद्रमा को उजले फूल व दूध से अर्घ्य देकर पुत्र की दीर्घायु की कामना करेंगी।  इस दिन गणेशजी की पूजा करने से खास फल मिलता है। यह व्रत नि:संतान को संतान व संतान वाले को मान-सम्मान प्रदान करने वाला माना जाता है।


बहुला चौथ की पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माताएं कुम्हारों द्वारा मिट्टी से भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय-श्रीगणेश तथा गाय की प्रतिमा बनवा कर मंत्रोच्चारण तथा विधि-विधान के साथ इसे स्थापित करके पूजा-अर्चना करने की मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के पूजन से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती हैं।


बहुला चतुर्थी (चौथ) तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने गौ-पूजा के दिन के रूप में मान्यता प्रदान की है। अत: इस दिन श्रीकष्‍ण भगवान का गौ माता का पूजन भी किया जाता है।


कैसे करें बहुला चौथ का व्रत, आइए जानें :-


* यह व्रत भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।


* इस चतुर्थी को आम बोलचाल की भाषा में बहुला चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।


* इस दिन चाय, कॉफी या दूध नहीं पीना चाहिए, क्योंकि यह दिन गौ-पूजन का होने से दूधयुक्त पेय पदार्थों को खाने-पीने से पाप लगता है, ऐसी मान्यता है।


* जो व्यक्ति चतुर्थी को दिनभर व्रत रखकर शाम (संध्या) के समय भगवान कृष्‍ण, शिव परिवार तथा गाय-बछड़े की पूजा करता है उसे अपार धन तथा सभी तरह के ऐश्वर्य और संतान की चाह रखने वालों को संतान सुख की प्राप्ति होती है।


* बहुला व्रत माताओं द्वारा अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है।


इसके पीछे एक यह कथा भी प्रचलित है कि एक बार बहुला नामक गाय जंगल में चरते-चरते काफी दूर जा पहुंची, जहां एक शेर उसे खाने के लिए रोक लेता है। तब बहुला गाय द्वारा अपने भूखे बछड़े को दूध पिलाकर वापस आने की शेर से विनती करने पर शेर उसे छोड़ देता है। तब शेर द्वारा बहुला गाय को छोड़ने पर उसे शेर योनि से मुक्ति मिल जाती है तथा वह अपने पूर्व रूप अर्थात गंधर्व रूप में प्रकट होता है।


इसीलिए इस दिन महिलाओं द्वारा दिनभर उपवास रखकर शिव परिवार की पूजा के साथ बहुला नामक गाय की पूजा भी की जाती है।


* बहुला चौथ व्रत के संबंध में यह मान्यता है कि इस दिन गाय का दूध एवं उससे बनी हुई चीजों को नहीं खाना चाहिए।


* इस व्रत को करने से शुभ फल प्राप्त होता है, घर-परिवार में सुख-शांति आती है एवं मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


* यह व्रत करने से परिवार और संतान पर आ रहे विघ्न संकट तथा सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।


* इतना ही नहीं यह व्रत जन्म-मरण की योनि से मुक्ति भी दिलाता है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।