Sheikh Hasina News: बांग्लादेश चुनाव: ढाका से मिले 4 संकेत, शेख हसीना की वापसी का कर रहे इशारा

Sheikh Hasina News - बांग्लादेश चुनाव: ढाका से मिले 4 संकेत, शेख हसीना की वापसी का कर रहे इशारा
| Updated on: 24-Dec-2025 12:29 PM IST
बांग्लादेश के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों एक ही सवाल गूंज रहा है: क्या पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग की चुनावी मैदान में वापसी होगी? अगस्त 2024 में तख्तापलट के बाद आवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन ढाका से मिल रहे चार प्रमुख संकेत अब इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि आवामी लीग के लिए चुनावी राह फिर से खुल सकती है। ये संकेत आवामी लीग के समर्थकों के लिए निश्चित रूप से खुशखबरी लेकर आए। हैं, जो बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हैं।

राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि

अगस्त 2024 में हुए तख्तापलट के बाद बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल रहा है और इस तख्तापलट के परिणामस्वरूप, देश की सबसे पुरानी और 23 सालों तक सत्ता में रही आवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। शेख हसीना, जो आवामी लीग की प्रमुख हैं, को सत्ता से बेदखल कर दिया गया था। इस घटनाक्रम ने बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया था, और तब से ही देश में एक समावेशी और शांतिपूर्ण चुनाव कराने को लेकर अनिश्चितता बनी हुई थी। हालांकि, हाल के दिनों में कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं, जिनसे यह लगने लगा। है कि आवामी लीग एक बार फिर चुनावी दौड़ में शामिल हो सकती है।

संकेत 1: हिंसा ने कट्टरपंथियों को डराया

बांग्लादेश में चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद हुई इकबाल मंच के उस्मान हादी की हत्या ने देश में हिंसा का एक नया दौर शुरू कर दिया। हादी को शेख हसीना का एक कट्टर सियासी दुश्मन माना जाता था, और उनकी हत्या के बाद भड़की हिंसा ने अंतरिम सरकार के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी कर दीं। इस हिंसा ने बांग्लादेश के कट्टरपंथी नेताओं को भी भयभीत कर दिया है। जमात-ए-इस्लामी के अमीर, एनसीपी के चीफ और बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष जैसे प्रमुख नेताओं को अब टारगेट किलिंग का डर सता रहा है, जिसके चलते उन्होंने अपनी सुरक्षा की मांग की है। सरकार ने भी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को बंदूक लाइसेंस देने का फैसला किया है, जो सुरक्षा चिंताओं को दर्शाता है। इसी पृष्ठभूमि में, एनसीपी चीफ और शेख हसीना के कट्टर विरोधी नाहिद इस्लाम ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है और इस्लाम ने कहा है कि अगर आवामी लीग को चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाती है, तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी, बशर्ते शेख हसीना इसमें शामिल न हों। खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी ने भी आवामी लीग के चुनाव लड़ने पर कोई आपत्ति नहीं जताई है, जो कट्टरपंथी खेमे के रुख में नरमी का संकेत है।

संकेत 2: न्यायपालिका में बड़ा फेरबदल

शेख हसीना से जुड़े मामलों पर यूनुस सरकार को अब तक बांग्लादेश की न्यायपालिका का समर्थन मिल रहा था, लेकिन अब इस स्थिति में बदलाव आता दिख रहा है। शेख हसीना के करीबी माने जाने वाले जुबैर रहमान को बांग्लादेश का नया चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति का असर अदालती सुनवाई के दौरान भी देखने को मिला है। मंगलवार (23 दिसंबर) को इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में एक सुनवाई के दौरान, जज ने सरकारी वकील को फटकार लगाई। द डेली स्टार के अनुसार, यूनुस सरकार के वकील ताजुल इस्लाम शेख हसीना को नरसंहार के आरोप में तुरंत सजा सुनाने पर अड़े हुए थे। जज ने ताजुल से स्पष्ट कहा कि अदालत के फैसले उनकी इच्छा के। अनुसार नहीं दिए जाएंगे, और पूरी सुनवाई के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा। शेख हसीना के वकीलों को भी सबूत और दलीलें पेश करने का पूरा मौका। दिया जाएगा, जो न्यायपालिका के रुख में निष्पक्षता और बदलाव का संकेत देता है।

संकेत 3: सुपर पावर देशों का दबाव

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर शांतिपूर्ण और समावेशी चुनाव कराने का दबाव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गया है। अमेरिका, चीन और रूस जैसे प्रमुख देशों ने इस संबंध में बयान जारी किए हैं, जिसमें निष्पक्ष चुनाव की मांग की गई है। भारत ने भी बांग्लादेश में समावेशी चुनाव कराने की वकालत की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि बांग्लादेश में शांतिपूर्ण चुनाव तभी संभव हैं, जब उसमें आवामी लीग जैसी प्रमुख राजनीतिक शक्ति की भागीदारी हो। शेख हसीना ने भी खुले तौर पर यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाती है, तो वे और उनके समर्थक चुप नहीं बैठेंगे और बांग्लादेश में आवामी लीग का अभी भी एक मजबूत जनाधार है, और उसकी अनुपस्थिति में किसी भी चुनाव की वैधता और शांति पर सवाल उठ सकते हैं।

संकेत 4: 14 दलों का गठबंधन तैयार

शेख हसीना के साथ बांग्लादेश में पहले चुनाव लड़ चुकी 14 पार्टियों ने एक मजबूत गठबंधन तैयार किया है और यह गठबंधन आवामी लीग की वापसी की संभावनाओं को और मजबूत कर रहा है। इन दलों की कोशिश जमीनी स्तर पर तैयारी करने की है, ताकि चुनाव होने पर वे पूरी ताकत से उतर सकें। इन 14 दलों के नेता बांग्लादेश की सभी 300 सीटों पर सक्रिय हो गए हैं, और वे मतदाताओं के बीच अपनी पैठ बनाने में जुटे हैं। बांग्लादेश में सरकार बनाने के लिए 151 सीटों की आवश्यकता होती है, और यह गठबंधन इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकजुट होकर काम कर रहा है। यह गठबंधन न केवल आवामी लीग के लिए समर्थन जुटा रहा है, बल्कि यह भी संकेत दे रहा है कि देश में एक मजबूत विपक्षी मोर्चा तैयार है, जो चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने को उत्सुक है। ये चारों घटनाक्रम सामूहिक रूप से बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ की ओर इशारा कर रहे हैं। आवामी लीग की संभावित वापसी से देश में राजनीतिक स्थिरता आ सकती है और एक अधिक समावेशी लोकतांत्रिक प्रक्रिया सुनिश्चित हो सकती है।

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