Bangladesh Elections: बांग्लादेश चुनाव हिंसा: चीन, अमेरिका तटस्थ, रूस ने भारत से संबंध सुधारने की दी नसीहत

Bangladesh Elections - बांग्लादेश चुनाव हिंसा: चीन, अमेरिका तटस्थ, रूस ने भारत से संबंध सुधारने की दी नसीहत
| Updated on: 23-Dec-2025 05:55 PM IST
बांग्लादेश में आगामी चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है और देश में हिंसा की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। इस अशांत स्थिति पर दुनिया की तीन महाशक्तियों – चीन, अमेरिका और रूस – ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं, जो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और उसके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण संकेत देती हैं। जहां चीन और अमेरिका ने इस पूरे मसले पर एक तटस्थ रुख अपनाया है, वहीं रूस ने यूनुस सरकार की कड़ी आलोचना की है और उसे भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने की सलाह दी है और यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं बांग्लादेश के आंतरिक मामलों में वैश्विक शक्तियों की जटिल भागीदारी को दर्शाती हैं।

चीन का तटस्थ और संतुलित रुख

बांग्लादेश में जारी बवाल को लेकर चीन ने एक सावधानीपूर्वक और तटस्थ बयान जारी किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस स्थिति को 'दुखद' बताया है और बांग्लादेश में सुरक्षित, स्थिर और सुचारु संसदीय चुनावों की कामना की है और चीन का मानना है कि चुनाव के माध्यम से बांग्लादेश के विभिन्न क्षेत्र महत्वपूर्ण राजनीतिक एजेंडों को उचित रूप से आगे बढ़ाएंगे। बीजिंग ने सभी पक्षों से हिंसा छोड़ने और राष्ट्रीय एकता तथा स्थिरता बनाए रखने का आग्रह किया है। यह बयान महत्वपूर्ण है क्योंकि शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लगातार चीन के संपर्क में रही है। चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने इसी साल मई में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। उस दौरान यूनुस ने 'चिकन नेक' के मुद्दे पर चीन का साथ देने की बात कही थी, जिस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। चीन ने अपने मौजूदा बयान में न तो यूनुस का जिक्र किया है और न ही उनके आरोपों का, जिससे यह स्पष्ट होता है कि चीन इस संवेदनशील समय में किसी भी पक्ष का सीधा समर्थन करने से बच रहा है और एक स्थिर बांग्लादेश के पक्ष में है।

अमेरिका का बदलता स्टैंड और तटस्थता

अगस्त 2024 में जब शेख हसीना का तख्तापलट हुआ था, तब अमेरिका की भूमिका को लेकर कई सवाल उठे थे। आवामी लीग के नेताओं ने खुलेआम तख्तापलट के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था, और शेख। हसीना ने भी कई मौकों पर अमेरिका पर यूनुस को सत्ता में लाने का आरोप लगाया था। हसीना के अनुसार, अमेरिका के कहने पर ही मोहम्मद यूनुस को चीफ एडवाइजर बनाया गया था। हालांकि, अब जब बांग्लादेश में राजनीतिक बवाल मचा हुआ है, तो अमेरिका ने खुद को इस मामले में तटस्थ कर लिया है। अमेरिका न तो बांग्लादेश में यूनुस के समर्थन में कोई। बयान दे रहा है और न ही शेख हसीना के खिलाफ। हाल ही में, सोमवार (22 दिसंबर) को मोहम्मद यूनुस ने अमेरिकी विशेष दूत सर्जियो गोर से बातचीत की थी और इस बातचीत में यूनुस ने शेख हसीना पर गंभीर आरोप लगाए थे कि माहौल को अशांत करने के लिए आवामी लीग के लोग हिंसा फैला रहे हैं। हालांकि, गोर ने इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की और केवल शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने की बात कही, जो अमेरिका की मौजूदा तटस्थ नीति को दर्शाता है।

रूस की कड़ी प्रतिक्रिया और भारत से संबंध सुधारने की नसीहत

रूस ने बांग्लादेश में जारी बवाल को लेकर यूनुस सरकार। की कड़ी खिंचाई की है और उसे स्पष्ट संदेश दिया है। ढाका में रूस के राजदूत अलेक्जेंडर खोजिन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बांग्लादेश। के लिए यह बेहतर होगा कि वह जल्द ही भारत से अपने रिश्ते ठीक कर ले। रूसी राजदूत ने अपनी बातचीत में 1971 के इतिहास का भी जिक्र किया, जब भारत के चलते ही बांग्लादेश का निर्माण हो पाया था और रूस ने उस वक्त भारत और बांग्लादेश दोनों की मदद की थी। खोजिन ने साफ तौर पर कहा कि भारत के खिलाफ जाकर बांग्लादेश का कल्याण नहीं होने वाला है। उन्होंने यूनुस सरकार को इतिहास से सबक लेने और आगामी चुनाव से पहले एक अनुकूल माहौल बनाने के लिए भारत के साथ तनाव कम करने को अहम बताया। रूस का यह बयान बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है, जो उसे अपनी विदेश नीति और क्षेत्रीय संबंधों पर गंभीरता से विचार करने के लिए प्रेरित करता है, खासकर भारत जैसे पड़ोसी देश के साथ।

बांग्लादेश में चुनावी माहौल और अंतरराष्ट्रीय दबाव

बांग्लादेश में आगामी संसदीय चुनावों से पहले का माहौल तनावपूर्ण और हिंसाग्रस्त बना हुआ है। तीनों महाशक्तियों ने हिंसा को तुरंत खत्म करने की अपील की है, जो इस बात का संकेत है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय बांग्लादेश में स्थिरता चाहता है। चीन और अमेरिका का तटस्थ रुख जहां सभी पक्षों को शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करता है, वहीं रूस का सीधा हस्तक्षेप और भारत से संबंध सुधारने की सलाह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के लिए एक जटिल चुनौती पेश करती है। यूनुस सरकार को न केवल आंतरिक शांति और व्यवस्था बनाए रखनी होगी, बल्कि उसे अपनी विदेश नीति को। भी सावधानी से संचालित करना होगा ताकि क्षेत्रीय और वैश्विक शक्तियों के साथ संतुलन बनाए रखा जा सके।

अंतरिम सरकार के सामने चुनौतियां

मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के सामने कई चुनौतियां हैं और उसे एक तरफ देश में हिंसा को नियंत्रित करना है और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है, वहीं दूसरी तरफ उसे अंतरराष्ट्रीय संबंधों को भी संतुलित करना है। चीन से समर्थन की उम्मीद के बावजूद चीन का तटस्थ रहना, अमेरिका का अपनी पूर्व भूमिका से पीछे हटना, और रूस का भारत के साथ संबंधों पर सीधा हस्तक्षेप, ये सभी कारक यूनुस सरकार के लिए जटिल कूटनीतिक पहेली बनाते हैं। भारत के साथ तनाव कम करना और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखना बांग्लादेश के दीर्घकालिक हित में होगा, जैसा कि रूसी राजदूत ने भी इंगित किया है। इन चुनौतियों का सामना करते हुए ही बांग्लादेश एक स्थिर और लोकतांत्रिक भविष्य की ओर बढ़ सकता है।

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