भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिससे भारत में तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की आपूर्ति में स्थिरता आने और कीमतों में संभावित कमी होने की उम्मीद है। यह डील भारतीय रिफाइनरियों और अमेरिकी आपूर्तिकर्ताओं के बीच एक दीर्घकालिक साझेदारी का प्रतीक है, जिसका उद्देश्य भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते एलपीजी बाजारों में से एक है, और अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
ऐतिहासिक समझौता
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को इस ऐतिहासिक डील की घोषणा की। उन्होंने इसे देश के एलपीजी बाजार के लिए एक 'ऐतिहासिक पहल' बताया। मंत्री ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह समझौता भारत के लिए एलपीजी की सुरक्षित और किफायती आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दुनिया के सबसे बड़े एलपीजी बाजारों में से एक भारत अब अमेरिका के लिए खुल गया है, जिससे दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे। यह पहल भारत की एलपीजी सोर्सिंग में विविधता लाने के सरकार के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
डील के प्रमुख बिंदु
इस समझौते के तहत, भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों - इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीपीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) - ने अनुबंध वर्ष 2026 के लिए लगभग 2 और 2 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) एलपीजी आयात करने का अनुबंध किया है। यह मात्रा भारत के वार्षिक एलपीजी आयात का लगभग 10 प्रतिशत है, जो देश की कुल मांग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस एलपीजी की सोर्सिंग अमेरिकी खाड़ी तट से की जाएगी। मंत्री पुरी ने यह भी बताया कि यह भारतीय बाजार के लिए अमेरिकी एलपीजी से जुड़ा पहला दीर्घकालिक अनुबंध है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत होते ऊर्जा संबंधों को दर्शाता है।
आपूर्ति सुरक्षा और कीमतों पर प्रभाव
यह डील भारत में एलपीजी आपूर्ति की कमी को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। दीर्घकालिक समझौते से आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता आएगी, जिससे घरेलू उपभोक्ताओं के लिए एलपीजी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इसके अलावा, इस समझौते से देश में एलपीजी की कीमतों। में कटौती करने में भी मदद मिलने की उम्मीद है। ग्लोबल एलपीजी ट्रेड के लिए एक प्रमुख प्राइसिंग प्वाइंट माउंट बेल्वियू के बेंचमार्क पर इस खरीद को रखा गया है, जिससे भारत को प्रतिस्पर्धी दरों पर एलपीजी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आपूर्ति में विविधता लाने से भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य अस्थिरता के प्रति कम संवेदनशील होगा।
डील की पृष्ठभूमि और प्रक्रिया
केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया कि इस डील को अंतिम रूप देने के लिए पिछले कई महीनों से चर्चा चल रही थी। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की टीमों ने हाल के महीनों में प्रमुख अमेरिकी उत्पादकों के साथ बातचीत करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका का दौरा किया था। इन यात्राओं और गहन वार्ताओं के परिणामस्वरूप ही यह ऐतिहासिक समझौता सफलतापूर्वक संपन्न हो पाया है और यह दर्शाता है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से वैश्विक भागीदारों के साथ जुड़ रहा है।
सरकार की प्रतिबद्धता और उज्ज्वला योजना
मंत्री ने भारतीय परिवारों, विशेषकर प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना से लाभान्वित महिलाओं के लिए किफायती रसोई गैस सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता पर भी प्रकाश डाला और उन्होंने बताया कि पिछले साल वैश्विक स्तर पर रसोई गैस की कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के बावजूद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि उज्ज्वला उपभोक्ताओं को प्रति सिलेंडर केवल 500-550 रुपये का भुगतान करना पड़े, जबकि वास्तविक लागत 1,100 रुपये से अधिक थी। उपभोक्ताओं को अंतरराष्ट्रीय मूल्य झटकों से बचाने के लिए, भारत सरकार ने वर्ष के दौरान 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ उठाया। यह नया समझौता सरकार के इसी दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है, जिसका लक्ष्य। सभी नागरिकों के लिए ऊर्जा तक पहुंच को किफायती और विश्वसनीय बनाना है।