Bangladesh Violence: भारत-बांग्लादेश तनाव: आवामी लीग ने यूनुस सरकार पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया

Bangladesh Violence - भारत-बांग्लादेश तनाव: आवामी लीग ने यूनुस सरकार पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया
| Updated on: 25-Dec-2025 05:56 PM IST
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद से भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में काफी तनाव आ गया है। इस बिगड़ती स्थिति के बीच, बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी आवामी लीग की। छात्र इकाई ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। आवामी लीग की छात्र इकाई ने दावा किया है कि यूनुस सरकार जानबूझकर भारत के खिलाफ नफरत फैला रही है और दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ावा दे रही है और यह आरोप ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं।

संबंधों में बढ़ता तनाव

शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं। हसीना सरकार को भारत का करीबी माना जाता था, और उनके जाने के बाद से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और राजनीतिक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल है और आवामी लीग की छात्र इकाई ने इस तनाव के लिए सीधे तौर पर यूनुस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, यह आरोप लगाते हुए कि वे भारत-विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं। इस तरह की बयानबाजी से दोनों पड़ोसी देशों के बीच। दशकों पुराने सौहार्दपूर्ण संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

आवामी लीग पर प्रतिबंध और आंतरिक राजनीति

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यूनुस सरकार ने आवामी लीग पार्टी पर बांग्लादेश में प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे राजनीतिक परिदृश्य और भी जटिल हो गया है। इस प्रतिबंध के बावजूद, आवामी लीग की छात्र इकाई, बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग, सक्रिय रूप से यूनुस सरकार की नीतियों का विरोध कर रही है। उनके अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने यूनुस सरकार पर अपनी घरेलू नाकामियों को छिपाने और कट्टरपंथी तथा चरमपंथी समूहों को खुश करने के लिए भारत पर झूठे आरोप लगाने का आरोप लगाया है। यह आंतरिक राजनीतिक खींचतान बांग्लादेश के भविष्य के लिए चिंताजनक संकेत है।

अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले

यूनुस सरकार के कार्यकाल में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर ताबड़तोड़ हमले हो रहे हैं। शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के बाद और उस्मान हादी की मौत के बाद से इन हमलों में और वृद्धि देखी गई है। आवामी लीग की छात्र इकाई ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की है, यह आरोप लगाते हुए कि सरकार इन अत्याचारों को रोकने में विफल रही है, और कुछ मामलों में तो उसकी भूमिका भी रही है। यह स्थिति बांग्लादेश में धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।

दीपू चंद्र दास की भयावह घटना

हाल ही में हुई एक भयावह घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है, जब कट्टरपंथियों ने एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को चौराहे पर जिंदा जला दिया था। बांग्लादेश स्टूडेंट्स लीग के अध्यक्ष सद्दाम हुसैन ने इस घटना को 'बांग्लादेश में नया सामान्य' बताया है। उन्होंने कहा कि दीपू चंद्र दास जैसे मामलों में, जहां अल्पसंख्यकों पर हमला किया जाता है और उन्हें जिंदा जला दिया जाता है, सरकार की भूमिका संदिग्ध रही है। यह घटना बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल। खड़े करती है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित कर रही है।

'तालिबानीकरण' का आरोप

सद्दाम हुसैन ने बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति को 'एक तरह का तालिबानीकरण' करार दिया है और उनका यह बयान देश में बढ़ती कट्टरता और चरमपंथ की ओर इशारा करता है, जहां अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है और सरकार कथित तौर पर इन कृत्यों को रोकने में विफल रही है। यह आरोप बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के लिए एक गंभीर चुनौती है, और यह दर्शाता है कि देश एक खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। आवामी लीग की छात्र इकाई ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस स्थिति पर ध्यान देने और बांग्लादेश में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है।

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