India-Oman Relations: खुद लिखी कामयाबी की कहानी, पाकिस्तान युद्ध में दिया साथ, भारत-ओमान की दोस्ती की दिलचस्प है स्टोरी
India-Oman Relations - खुद लिखी कामयाबी की कहानी, पाकिस्तान युद्ध में दिया साथ, भारत-ओमान की दोस्ती की दिलचस्प है स्टोरी
भारत और ओमान की दोस्ती की कहानी सिर्फ दो देशों के बीच के संबंध नहीं, बल्कि साझा इतिहास, विश्वास और संकट के समय में अटूट समर्थन की एक मिसाल है और जब पूरी दुनिया ने भारत का साथ छोड़ दिया था, तब ओमान ने भारत का हाथ थामे रखा। आज, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने इस सबसे पुराने और गहरे मित्र देश की यात्रा पर जा रहे हैं, जो इस ऐतिहासिक दोस्ती में नए अध्याय लिखेगी और यह यात्रा 17 और 18 दिसंबर को होनी है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करना है। ओमान, अरब जगत और दुनिया के सबसे पुराने स्वतंत्र देशों में से एक है, जो अपनी प्राचीन सभ्यता, समुद्री शक्ति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है और 1970 के दशक में सुल्तान कबूस के नेतृत्व में ओमान ने आधुनिक विकास की एक नई परिभाषा लिखी, और आज भी यह देश अपनी संस्कृति, परंपराओं और रणनीतिक स्थिति के प्रति प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। ओमान ने गरीबी का दौर देखा है, लेकिन अपने तेल व्यापार के माध्यम से इसने अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया और सदियों तक एक समुद्री शक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाए रखी। आज यह एक समृद्ध और स्थिर राष्ट्र है, जिसकी भारत के साथ दोस्ती समय की कसौटी पर खरी उतरी है।
घोर संकट में भारत का साथ
भारत और ओमान की दोस्ती की जड़ें बहुत गहरी और पुरानी हैं, जिसका सबसे बड़ा प्रमाण 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध है। उस समय, जब भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा था, ओमान अकेला ऐसा मुस्लिम देश था जिसने भारत का खुलकर साथ दिया। यह वह दौर था जब दुनिया की तमाम महाशक्तियां और वैश्विक राजनीति भारत को अकेला करने पर तुली हुई थीं और यहां तक कि अमेरिका ने भी भारत के खिलाफ अपने सातवें बेड़े को समुद्र में उतार दिया था, जिससे भारत पर सैन्य दबाव बनाने का प्रयास किया गया। इस्लामिक दुनिया मजहबी एकजुटता के नाम पर पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रही थी, और कूटनीति के हर दरवाजे भारत के चेहरे पर धड़ाम से बंद हो रहे थे और ऐसे विकट समय में, अरब का यह छोटा सा देश, ओमान, भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहा, जिसने भारत के प्रति अपनी सच्ची मित्रता का परिचय दिया।
ओमान ने उस समय किसी भी प्रकार के दबाव या राजनीतिक माहौल की परवाह नहीं की। जब मित्र देश भारत पाकिस्तान के खिलाफ जंग लड़ रहा था, तो ओमान ने न तो भीड़ देखी, न माहौल देखा और न ही राजनीति की तंग गलियां देखीं। उसने मजहबी दबाव के आगे झुकने से भी इनकार कर। दिया और भारत-पाक युद्ध में भारत के साथ डटकर खड़ा रहा। यह एक ऐसा ऐतिहासिक क्षण था जिसने भारत और ओमान के बीच के संबंधों को एक नई ऊंचाई दी। तब से लेकर आज तक, भारत और ओमान की दोस्ती। हर गुजरते पल के साथ और मजबूत होती जा रही है। यह दोस्ती केवल सरकारों के बीच नहीं, बल्कि लोगों के बीच भी गहरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा इसी पुराने और गहरे मित्र देश के साथ संबंधों को और प्रगाढ़ करने का एक महत्वपूर्ण कदम है।पीएम मोदी की ओमान यात्रा, लिखेगी नई इबारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओमान यात्रा दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई दिशा देगी। इस दौरे में कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जिसमें भारत-ओमान फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर दस्तखत होना भी शामिल है। यह समझौता दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। ओमान के साथ भारत की दोस्ती इतनी गहरी है कि ओमान का शाही परिवार भी भारत को अपना दूसरा घर मानता है। ओमान के वर्तमान सुल्तान हैथम बिन तारिक के पिता ने पुणे में अपनी पढ़ाई पूरी की थी, जो भारत के साथ इस देश के संबंधों की जड़ों को और भी गहरा करता है। सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान की यह परंपरा दोनों देशों के बीच आपसी समझ और सम्मान को बढ़ाती है। वर्तमान में, ओमान में लगभग 8 लाख भारतीय रहते हैं, जो वहां की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और पीएम मोदी की मौजूदगी वहां के भारतीय समुदाय के लिए एक बड़ा संदेश होगी, जो उन्हें अपने देश से जुड़ाव और समर्थन का एहसास कराएगी।
भारत और ओमान के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) लागू होने के बाद, भारतीय टेक्सटाइल, जेम्स, ज्वेलरी और मशीनरी जैसे उत्पाद बिना किसी अतिरिक्त टैक्स के ओमान के बाजारों में बिक सकेंगे। इससे भारत की निर्यात क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और दोनों देशों के बीच व्यापार में तेजी आएगी। यह समझौता न केवल आर्थिक लाभ प्रदान करेगा, बल्कि रणनीतिक साझेदारी। को भी मजबूत करेगा, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
ओमान का इतिहास अत्यंत प्राचीन है, जो ईसा पूर्व 5000 से शुरू होता है। यह इस्लामी काल से भी बहुत पहले का समय है, जब धोफ़ार क्षेत्र लोबान व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। धोफ़ार अपने सबसे कीमती लोबान वृक्षों के लिए जाना जाता था, क्योंकि यहां का मानसून का मौसम बहुत सुहावना होता था, जो इन वृक्षों के विकास के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान करता था और ओमान के इतिहास में प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार, धोफारी वृक्षों से प्राप्त लोबान इतना विशेष था कि एक बार शीबा की रानी धोफारी वृक्षों से प्राप्त लोबान का रस लेकर राजा सुलेमान से मिलने गई थीं। लोबान की उच्च गुणवत्ता और ओमान की रणनीतिक स्थिति ने इसे फारस, भारत और अफ्रीका के क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र बना दिया था और यह प्राचीन व्यापारिक संबंध ही भारत और ओमान के बीच सदियों पुरानी दोस्ती की नींव रखते हैं।ओमान को पैगंबर मोहम्मद का संदेश
ओमान ने पैगंबर मोहम्मद के जीवनकाल में ही इस्लाम धर्म को अपनाया, जो इसकी शांतिपूर्ण और प्रगतिशील प्रकृति को दर्शाता है। छठी शताब्दी में, ओमान के दो राजाओं, अब्द और जैफर को पैगंबर मोहम्मद का एक पत्र मिला, जिसमें उन्हें इस्लाम धर्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। दोनों राजाओं ने इस पत्र का गहन अध्ययन और विचार किया,। और वे शीघ्र ही इस्लाम धर्म अपनाने के लिए आश्वस्त हो गए। जल्द ही, ओमान में इस्लाम को बिना किसी बाध्यता या संघर्ष के आसानी से स्वीकार कर लिया गया। इसी कारण पैगंबर मोहम्मद ने ओमान के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा था, "अल घुबैरा (ओमान के लोगों) पर अल्लाह की रहमत हो.. और उन्होंने मुझ पर विश्वास किया, हालांकि उन्होंने मुझे देखा नहीं था। " यह घटना ओमान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसने उसकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को आकार दिया।सुल्तान काबूस ने ओमान को गरीबी से निकाला
ओमान ने अपनी रूढ़िवादी सोच और सीमित संसाधनों के कारण एक समय गरीबी का सामना किया था। हालांकि, 1970 में सुल्तान कबूस बिन सईद अल सईद के सत्ता संभालने के बाद ओमान की अर्थव्यवस्था में ज़बरदस्त उछाल आया। उन्होंने देश का नाम बदलकर ओमान सल्तनत कर दिया और इस देश को समग्र रूप से सशक्त बनाने के लिए व्यापक सुधार किए और सुल्तान कबूस ने अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण किया और तभी से ओमान ने दुनिया के देशों में तेल का निर्यात शुरू किया, जिससे यह देश तेजी से अमीर देशों की सूची में शामिल हो गया। ओमान के तेल राजस्व का निवेश स्कूलों, अस्पतालों और राष्ट्रीय अवसंरचना के निर्माण में किया गया, जिससे नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार हुआ और देश का सर्वांगीण विकास हुआ। आज ओमान एक समृद्ध राष्ट्र है, जो अपनी सांस्कृतिक विरासत। को जीवित रखते हुए रणनीतिक साझेदारी में भी सक्षम है। भारत के साथ उसकी दोस्ती इसी प्रगतिशील और दूरदर्शी विदेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।