India-Oman FTA: भारत-ओमान ने ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर किए हस्ताक्षर, पीएम मोदी ने सुल्तान से की मुलाकात

India-Oman FTA - भारत-ओमान ने ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर किए हस्ताक्षर, पीएम मोदी ने सुल्तान से की मुलाकात
| Updated on: 18-Dec-2025 09:00 AM IST
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मस्कट यात्रा आज एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर पर पहुंची, जब भारत और ओमान ने औपचारिक रूप से एक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री ने सुल्तान हैथम बिन तारिक के साथ व्यापक द्विपक्षीय चर्चा की, जिससे दोनों देशों के बीच गहरे रणनीतिक संबंधों को और मजबूती मिली। यह समझौता भारतीय उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला को लाभान्वित करते हुए आर्थिक सहयोग के नए रास्ते खोलने और खाड़ी क्षेत्र में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए तैयार है।

मुक्त व्यापार समझौता: एक नया अध्याय

नया हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौता भारत-ओमान आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण विकास है, जो विभिन्न भारतीय क्षेत्रों के लिए पर्याप्त लाभ का वादा करता है। कपड़ा, जूते, ऑटोमोबाइल, रत्न और आभूषण, नवीकरणीय ऊर्जा और ऑटो। घटक जैसे उद्योगों को सीधा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह समझौता टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करके, व्यापार प्रवाह को सुगम बनाकर और ओमान में भारतीय उत्पादों के लिए बाजार पहुंच बढ़ाकर दोनों देशों के बीच आर्थिक एकीकरण को गहरा करेगा। इस व्यापक समझौते के लिए बातचीत नवंबर 2023 में शुरू हुई थी, जो दोनों पक्षों की अपनी व्यापार साझेदारी को बढ़ाने के लिए ठोस प्रयासों को दर्शाती है। इन वार्ताओं का सफल समापन आर्थिक समृद्धि और एकीकरण के लिए एक साझा दृष्टिकोण को रेखांकित करता है।

मस्कट में भव्य स्वागत

प्रधानमंत्री मोदी बुधवार शाम को ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। हवाई अड्डे पर ओमान के रक्षा मामलों के उप प्रधानमंत्री सैयद शिहाब बिन तारिक अल सईद ने उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री के आगमन के तुरंत बाद दोनों नेताओं ने औपचारिक बातचीत की, जिससे यात्रा के लिए एक सकारात्मक माहौल बना। उप प्रधानमंत्री अल सईद ने पीएम मोदी के सम्मान में रात्रिभोज का भी आयोजन किया, जो मजबूत राजनयिक संबंधों और आतिथ्य का प्रतीक है। अपने होटल पहुंचने पर, प्रधानमंत्री मोदी ने जीवंत भारतीय प्रवासी समुदाय के सदस्यों से मिलने का अवसर लिया, दोनों देशों में उनके योगदान को स्वीकार किया। स्वागत समारोह में भारतीय मूल के कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रदर्शन भी शामिल थे, जो भारत और ओमान के बीच समृद्ध सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रदर्शित करते हैं।

बढ़ते आर्थिक संबंध

भारत और ओमान के बीच मजबूत और बढ़ते आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध हैं, जिसमें भारत ओमान के व्यापार परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत ओमान के कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा खरीदार है, जिसने अकेले 2023 में लगभग 4 हजार करोड़ रुपये का कच्चा तेल खरीदा था। तेल के अलावा, भारत ओमान के गैर-तेल उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा बाजार भी है, जिसमें प्लास्टिक, रबर-आधारित उत्पाद, रसायन और धातु शामिल हैं और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव देखा गया है, जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में $12. 38 बिलियन तक पहुंच गया था, और 2023-24 में $8. 947 बिलियन रहा। भारत से ओमान को निर्यात में चावल, मशीनरी, जहाज, विमान के पुर्जे, एल्यूमीनियम उत्पाद, विभिन्न खाद्य पदार्थ, फल, सब्जियां, मसाले, चाय, कॉफी और मांस जैसे सामानों की एक विविध श्रृंखला शामिल है। इसके विपरीत, ओमान भारत को कच्चा तेल, ईंधन, यूरिया, रसायन, प्लास्टिक, सीमेंट और एल्यूमीनियम का निर्यात करता है, जो एक पूरक व्यापार संबंध को उजागर करता है।

रणनीतिक साझेदारी: लॉजिस्टिक समझौता

भारत-ओमान रणनीतिक साझेदारी की आधारशिला अद्वितीय लॉजिस्टिक्स एक्सेस समझौता है, जो ओमान को भारत के साथ ऐसा समझौता करने वाला एकमात्र खाड़ी देश बनाता है। यह ऐतिहासिक समझौता 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओमान की पिछली यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित किया गया था। इस समझौते के तहत, भारतीय नौसेना और वायु सेना को ओमान के रणनीतिक बंदरगाहों और सैन्य ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति है। इस समझौते का एक विशेष रूप से महत्वपूर्ण पहलू दुकम बंदरगाह तक भारत की लॉजिस्टिक पहुंच है।

अरब सागर और हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग पर स्थित, दुकम बंदरगाह अपार रणनीतिक लाभ प्रदान करता है। समझौते के बाद, भारतीय नौसेना अपने जहाजों और सैन्य विमानों के लिए ईंधन भरने, मरम्मत और आपूर्ति जैसी सुविधाओं के लिए दुकम में सुविधाओं का लाभ उठा सकती है और यह व्यवस्था क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की निगरानी बढ़ाने और व्यापक हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने में सहायक है। यह खाड़ी में भारत के लिए एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार। के रूप में ओमान की स्थिति को भी मजबूत करता है।

ओमान की अनूठी तटस्थता

ओमान को मध्य पूर्व में सबसे तटस्थ देश के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है, एक विशेषता जो उसकी विदेश नीति को परिभाषित करती है। उसका राजनयिक दृष्टिकोण क्षेत्रीय विवादों में किसी भी पक्ष का खुले तौर पर समर्थन करने से लगातार इनकार करने से चिह्नित होता है, इसके बजाय वह संवाद और शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर है और यह तटस्थता एक ऐसे क्षेत्र में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जो अक्सर सऊदी अरब और ईरान, अमेरिका और ईरान, और यमन में चल रहे संकट जैसे बड़े संघर्षों से ग्रस्त रहता है। ओमान ने लगातार बातचीत और मध्यस्थता का रास्ता चुना है और यह उन गिने-चुने देशों में से एक है जो संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान दोनों के साथ मजबूत संबंध बनाए रखता है।

विशेष रूप से, ओमान ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते (जेसीपीओए) की बैक-चैनल वार्ताओं में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, यमन संकट और अन्य क्षेत्रीय तनावों सहित विभिन्न क्षेत्रीय तनावों में, ओमान ने पर्दे के पीछे शांति प्रयासों को चुपचाप आगे बढ़ाया है। जीसीसी (खाड़ी सहयोग परिषद) का सदस्य होने के बावजूद, ओमान ने सऊदी के नेतृत्व वाले कई सैन्य अभियानों से जानबूझकर दूरी बनाए रखी है, विशेष रूप से यमन युद्ध में सीधे सैन्य भागीदारी से परहेज किया है, जबकि कई अन्य खाड़ी देश इसमें शामिल थे।

दुनिया के सबसे पुराने राजतंत्र में से एक

ओमान दुनिया के सबसे पुराने राजतंत्रों में से एक है, जिसमें सदियों पुरानी सल्तनत प्रणाली है। देश पर एक सुल्तान का शासन होता है, और सत्ता शाही परिवार के भीतर पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होती रही है। ओमान के राजतंत्र की जड़ें 18वीं शताब्दी से जुड़ी हुई हैं जब अल सईद राजवंश ने सत्ता संभाली थी। इस राजवंश ने 1744 से लगातार शासन बनाए रखा है, जिससे यह विश्व के सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राजतंत्रों में से एक बन गया है और ओमान के वर्तमान सुल्तान हैथम बिन तारिक हैं, जिन्होंने 2020 में सिंहासन संभाला था, जो लंबे समय तक सेवा करने वाले सुल्तान काबूस बिन सईद के उत्तराधिकारी बने। राजनीतिक रूप से, ओमान एक पूर्ण राजतंत्र के रूप में कार्य करता है, जहां सुल्तान के पास अंतिम निर्णय लेने का अधिकार होता है। शासन की इस स्थिर और निरंतर प्रणाली ने ओमान और व्यापक क्षेत्र के भीतर राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित करने में एक प्रमुख कारक रहा है।

5000 साल पुराना रिश्ता: सिंधु घाटी से आज तक

भारत और ओमान के बीच संबंध आधुनिक कूटनीति से कहीं आगे हैं, जिनकी। जड़ें सिंधु घाटी सभ्यता के युग तक 5000 साल पहले तक फैली हुई हैं। इतिहासकारों का सुझाव है कि आज के ओमान के रूप में जाने जाने वाले क्षेत्र को प्राचीन काल में 'मगन' कहा जाता था और यह प्राचीन 'मगन' क्षेत्र लगभग 3000 ईसा पूर्व सिंधु घाटी सभ्यता के साथ समुद्री व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। पुरातात्विक साक्ष्य उस अवधि के दौरान भारत और ओमान के बीच व्यापक समुद्री व्यापार के अस्तित्व का दृढ़ता से समर्थन करते हैं, जिसमें तांबा, पत्थर, मिट्टी के बर्तन और अन्य सामान जैसी वस्तुएं शामिल थीं।

ओमान तांबे का एक प्राथमिक स्रोत था, जिसे भारत और मेसोपोटामिया में व्यापार। किया जाता था, जबकि भारत से कपड़ा और अन्य मूल्यवान वस्तुएं ओमान पहुंचती थीं। अरब सागर के माध्यम से संचालित इस जीवंत समुद्री व्यापार ने न केवल वाणिज्यिक बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता के लिए एक गहरा ऐतिहासिक आधार तैयार हुआ।

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