India-Pakistan War: भारत-पाकिस्तान तनाव में चीन की मध्यस्थता का दावा, भारत ने किया खारिज

India-Pakistan War - भारत-पाकिस्तान तनाव में चीन की मध्यस्थता का दावा, भारत ने किया खारिज
| Updated on: 31-Dec-2025 11:02 AM IST
चीन ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव में मध्यस्थता करने का दावा किया है, एक ऐसा बयान जो भारत के लगातार रुख के विपरीत है. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को बीजिंग में अंतर्राष्ट्रीय स्थिति और. चीन के विदेश संबंधों पर एक सेमिनार में बोलते हुए यह दावा किया. यह दावा ऐसे समय में आया है जब पहले अमेरिका ने भी इसी तरह का दावा किया था, जिसे भारत ने लगातार खारिज किया है. भारत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि मई में हुआ संघर्ष. द्विपक्षीय बातचीत से सुलझाया गया था और किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी.

वैश्विक अस्थिरता पर वांग यी के दावे

वांग यी ने अपने संबोधन में दुनिया में झगड़ों और अस्थिरता में तेजी से बढ़ोतरी पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि इस साल स्थानीय लड़ाइयां और सीमा पार के झगड़े द्वितीय विश्व. युद्ध के खत्म होने के बाद से किसी भी समय से ज्यादा बार हुए हैं. यह टिप्पणी वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में बढ़ती जटिलताओं और चुनौतियों को दर्शाती है, जहां विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष और तनाव लगातार बढ़ रहे हैं. वांग यी का यह विश्लेषण चीन की विदेश नीति के लिए एक व्यापक पृष्ठभूमि प्रदान करता है, जिसमें वह खुद को एक शांतिदूत और मध्यस्थ के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं.

हॉटस्पॉट मुद्दों को सुलझाने में चीन की भूमिका

चीनी विदेश मंत्री ने जोर दिया कि बीजिंग ने स्थायी शांति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है. वांग यी ने कहा कि चीन ने इसी रुख का पालन करते हुए दुनिया के कई 'हॉटस्पॉट' मुद्दों को सुलझाने पर काम किया है. उन्होंने उन विशिष्ट संघर्षों का उल्लेख किया जिनमें चीन ने मध्यस्थता करने का दावा किया है. इनमें उत्तरी म्यांमार, ईरानी परमाणु मुद्दा, फिलिस्तीन और इजराइल के बीच के मुद्दे, कंबोडिया और थाईलैंड के बीच हालिया संघर्ष, और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव शामिल हैं. यह दावा चीन की बढ़ती वैश्विक महत्वाकांक्षाओं और विभिन्न क्षेत्रीय. विवादों में अपनी भूमिका को बढ़ाने की इच्छा को दर्शाता है.

भारत द्वारा मध्यस्थता के दावों का लगातार खंडन

हालांकि, वांग का बयान भारत के उस दावे के खिलाफ था कि पाकिस्तान के साथ 7-10 मई का संघर्ष दोनों देशों के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत से सुलझाया गया था. भारत ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि उसके और पाकिस्तान के बीच के मुद्दे द्विपक्षीय प्रकृति के हैं और उन्हें केवल दोनों देशों के बीच सीधी बातचीत के माध्यम से ही सुलझाया जा सकता है. भारत किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता है, चाहे वह अमेरिका हो या चीन और यह भारत की विदेश नीति का एक मूलभूत सिद्धांत रहा है कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ विवादों को स्वयं हल करेगा.

पहले के अमेरिकी दावे और भारत की प्रतिक्रिया

मई में भारत और पाकिस्तान के बीच एक छोटा लेकिन तेज संघर्ष हुआ था. यह संघर्ष 7 मई को शुरू हुआ जब भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर सैन्य हमले किए थे. इन हमलों के परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था, लेकिन यह 10 मई को समाप्त हो गया और भारत ने स्पष्ट किया था कि ये हमले आत्मरक्षा में किए गए थे और इनका उद्देश्य आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले तत्वों को निशाना बनाना था. इस संघर्ष के बाद, भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी कि किसी भी तीसरे पक्ष ने इसे सुलझाने में कोई भूमिका नहीं निभाई. यह पहली बार नहीं है जब किसी बड़े वैश्विक शक्ति ने भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा किया हो.

चीन के इस दावे से पहले, अमेरिका ने भी इसी तरह का दावा किया था, जिसे भारत ने तुरंत खारिज कर दिया था. भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह अपने द्विपक्षीय संबंधों में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा और यह भारत की संप्रभुता और उसके विदेश नीति के सिद्धांतों का एक महत्वपूर्ण पहलू है. भारत का मानना है कि ऐसे दावे केवल मुद्दों को और. जटिल बनाते हैं और द्विपक्षीय समाधान की संभावनाओं को कम करते हैं.

तत्काल भारतीय प्रतिक्रिया का अभाव

वांग की टिप्पणियों पर भारतीय अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है और हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भारत लगातार यह दावा करता रहा है कि इस मई में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष खत्म करने में चीन या किसी तीसरे की कोई भूमिका नहीं थी. भारतीय विदेश मंत्रालय ने अतीत में ऐसे दावों को खारिज करने में कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई है, और यह उम्मीद की जाती है कि भारत अपनी स्थापित स्थिति पर कायम रहेगा. भारत का यह रुख उसकी स्वतंत्र विदेश नीति का प्रमाण है,. जो किसी भी बाहरी दबाव या हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करती है.

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।