GST Council Meeting: 3-4 सितंबर को GST काउंसिल की बड़ी मीटिंग, 5% और 18% वाले दो स्लैब के प्रस्ताव पर होगा फैसला

GST Council Meeting - 3-4 सितंबर को GST काउंसिल की बड़ी मीटिंग, 5% और 18% वाले दो स्लैब के प्रस्ताव पर होगा फैसला
| Updated on: 23-Aug-2025 07:20 PM IST

GST Council Meeting: नई दिल्ली में 3 और 4 सितंबर, 2025 को होने वाली जीएसटी काउंसिल की दो दिवसीय बैठक में माल एवं सेवा कर (GST) की मौजूदा संरचना में बड़े बदलाव की उम्मीद है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में जीएसटी के मौजूदा चार स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) को घटाकर दो स्लैब (5% और 18%) करने के प्रस्ताव पर विचार-विमर्श होगा। जीएसटी काउंसिल, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल हैं, जीएसटी से संबंधित नीतिगत फैसले लेने वाला सर्वोच्च निकाय है।

मंत्री समूहों की सिफारिशें होंगी चर्चा का केंद्र

जीएसटी काउंसिल सचिवालय द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन के अनुसार, इस बैठक में जीएसटी टैक्स दरों को युक्तिसंगत बनाने, मुआवजा उपकर, और स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा प्रीमियम पर गठित मंत्री समूहों (GoM) की सिफारिशों पर गहन चर्चा होगी। हाल ही में मंत्री समूहों ने केंद्र सरकार के दो स्लैब वाले प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति जताई है। केंद्र ने सुझाव दिया है कि ‘मेरिट’ श्रेणी के उत्पादों और सेवाओं पर 5% और ‘मानक’ श्रेणी के उत्पादों और सेवाओं पर 18% जीएसटी लागू किया जाए। इसके अतिरिक्त, विलासिता और नुकसानदेह उत्पादों के लिए 40% की दर वाला एक विशेष स्लैब बनाने का प्रस्ताव भी है।

वर्तमान जीएसटी ढांचा और प्रस्तावित बदलाव

भारत में जीएसटी 1 जुलाई, 2017 से लागू है, जिसमें वर्तमान में चार स्लैब (5%, 12%, 18%, और 28%) और कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त उपकर शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2025 के अपने संबोधन में जीएसटी ढांचे में व्यापक सुधार की घोषणा की थी, जिसे दिवाली तक लागू करने का लक्ष्य है। यदि प्रस्तावित दो स्लैब वाला ढांचा लागू होता है, तो रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़े कई सामानों और सेवाओं की कीमतों में कमी आ सकती है। उदाहरण के लिए, एंट्री-लेवल कारें, टीवी, और एयर कंडीशनर जैसे उत्पाद सस्ते हो सकते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

जीएसटी सुधारों का संभावित प्रभाव

दो स्लैब की प्रणाली लागू होने से कर ढांचा सरल होगा, जिससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ होगा। कम स्लैब से कर प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी और अनुपालन आसान होगा। साथ ही, आवश्यक वस्तुओं पर कर की दर कम होने से आम जनता की क्रय शक्ति में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, विलासिता और नुकसानदेह उत्पादों पर प्रस्तावित 40% स्लैब से इन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जिसका उद्देश्य राजस्व संतुलन बनाए रखना है।

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