Share Market Crash: कोविड के बाद बाजार में सबसे बड़ी तबाही, सेंसेक्स 3914 और निफ्टी 1146 अंक लुढ़का

Share Market Crash - कोविड के बाद बाजार में सबसे बड़ी तबाही, सेंसेक्स 3914 और निफ्टी 1146 अंक लुढ़का
| Updated on: 07-Apr-2025 09:47 AM IST

Share Market Crash: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ पॉलिसी के लागू होने के साथ ही वैश्विक आर्थिक मंच पर भूचाल आ गया है। विश्वभर के शेयर बाजारों में अस्थिरता और भारी गिरावट देखी जा रही है। भारतीय शेयर बाजार भी अब इस वैश्विक दबाव की चपेट में पूरी तरह से आ चुका है। सोमवार, 7 अप्रैल को बाजार खुलते ही निवेशकों को झटका लगा जब बीएसई सेंसेक्स ने 3914.75 अंकों की भारी गिरावट के साथ 71,449.94 पर कारोबार की शुरुआत की। वहीं, एनएसई का निफ्टी 50 भी 1146 अंकों की गिरावट के साथ 21,758.40 पर खुला।

यह गिरावट कोविड-19 महामारी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। बाजार विशेषज्ञ इसे ‘आर्थिक सुनामी’ कह रहे हैं, जो निवेशकों के भरोसे को गहराई से झकझोर रही है।

लाल निशान में डूबा पूरा बाजार

सेंसेक्स की 30 में से केवल एक कंपनी — भारती एयरटेल — ही आज हरे निशान में खुली, जबकि बाकी सभी कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। भारती एयरटेल का शेयर मामूली 0.90% की बढ़त के साथ खुला। दूसरी ओर, निफ्टी 50 की सभी 50 कंपनियों के शेयर गिरावट के साथ खुले, जो इस बात को दर्शाता है कि ट्रंप की नीति का प्रभाव भारतीय बाजार पर व्यापक रूप से पड़ा है।

सबसे ज्यादा प्रभावित कंपनियां

इस गिरावट की लहर में सबसे ज्यादा नुकसान टाटा स्टील को हुआ, जिसका शेयर 8.29% की गिरावट के साथ खुला। इसके अलावा टाटा मोटर्स (8.02%), लार्सन एंड टुब्रो (7.02%), इंफोसिस (6.80%), टीसीएस (6.74%), एचसीएल टेक (6.56%), और रिलायंस इंडस्ट्रीज (6.04%) जैसे दिग्गज शेयरों ने भी भारी गिरावट दर्ज की।

अन्य प्रमुख गिरावट वाले शेयरों में शामिल हैं:

  • टेक महिंद्रा: 6.38%

  • अडाणी पोर्ट्स: 6.38%

  • इंडसइंड बैंक: 5.63%

  • एनटीपीसी: 5.18%

  • जोमैटो: 5.15%

  • महिंद्रा एंड महिंद्रा: 4.61%

  • बजाज फाइनेंस: 4.27%

यह गिरावट विभिन्न क्षेत्रों — आईटी, बैंकिंग, ऑटो, एफएमसीजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर — में फैली हुई है, जो इस आर्थिक झटके की व्यापकता को दर्शाती है।

निवेशकों के लिए संदेश

इस अप्रत्याशित और गहरी गिरावट ने निवेशकों को सतर्क कर दिया है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की टैरिफ नीति से उत्पन्न वैश्विक व्यापार तनाव आगे भी शेयर बाजारों को अस्थिर कर सकता है। लंबी अवधि के निवेशकों को फिलहाल धैर्य रखने और बाजार की स्थिति को समझदारी से परखने की सलाह दी जा रही है।

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