Bihar Congress: बिहार में कांग्रेस की करारी हार पर समीक्षा बैठक में हंगामा, नेताओं ने दी गोली मारने की धमकी

Bihar Congress - बिहार में कांग्रेस की करारी हार पर समीक्षा बैठक में हंगामा, नेताओं ने दी गोली मारने की धमकी
| Updated on: 27-Nov-2025 08:45 PM IST
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। 61 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस को महज 6 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जिसके बाद गुरुवार को दिल्ली में एक समीक्षा बैठक बुलाई गई। इस बैठक का उद्देश्य हार के कारणों का विश्लेषण करना और भविष्य की रणनीति तैयार करना था, लेकिन बैठक शुरू होने से पहले ही नेताओं। के बीच तीखी नोकझोंक, गाली-गलौज और यहां तक कि गोली मारने की धमकी तक दी गई, जिसने पार्टी के भीतर गहरे मतभेदों को उजागर कर दिया।

बैठक से पहले का हंगामा

समीक्षा बैठक के लिए जब बड़े हॉल में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आने का इंतजार हो रहा था, तभी वैशाली से कांग्रेस उम्मीदवार रहे इंजीनियर संजीव सिंह ने हंगामा शुरू कर दिया और संजीव सिंह ने आरोप लगाया कि पार्टी ने बाहर से आए प्रत्याशियों को टिकट दिया और कई सीटों पर 'फ्रेंडली फाइट' (आपसी मुकाबला) के कारण नुकसान हुआ। उनकी अपनी सीट भी 'फ्रेंडली फाइट' वाली थी, जिससे उन्हें व्यक्तिगत रूप से भी नुकसान हुआ था। उनके इन आरोपों ने हॉल में मौजूद अन्य नेताओं के बीच तनाव बढ़ा दिया।

गोली मारने की धमकी और अपशब्द

संजीव सिंह के आरोपों पर कुछ प्रत्याशियों ने उन्हें टोकना शुरू कर दिया। यह बातचीत जल्द ही बहस में बदल गई और गुस्से में संजीव सिंह ने पूर्णिया से प्रत्याशी जितेंद्र कुमार सहित अन्य बाहर से आए प्रत्याशियों को गोली मार देने की धमकी दे डाली। उन्होंने अपशब्दों का भी प्रयोग किया, जिससे माहौल और बिगड़ गया। इस हैरान कर देने वाली घटना को देखकर वहां मौजूद वरिष्ठ नेताओं को बीच-बचाव करना पड़ा ताकि स्थिति और खराब न हो। इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, शकील, अखिलेश प्रसाद सिंह, मदन मोहन झा सहित कई अन्य नेता मौजूद थे।

राहुल गांधी और खरगे की कड़ी चेतावनी

जब इस घटना की जानकारी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को मिली, तो उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। दोनों नेताओं ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस तरह की अनुशासनहीनता बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि पार्टी में लोग आते-जाते रहते हैं, लेकिन अनुशासन बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। यह चेतावनी पार्टी के भीतर बढ़ती गुटबाजी और सार्वजनिक रूप से हो रहे विवादों को नियंत्रित करने के लिए एक स्पष्ट संदेश थी।

बैठक में उठे प्रमुख मुद्दे

समीक्षा बैठक में हार के कई कारणों पर विस्तार से चर्चा हुई। सबसे प्रमुख मुद्दा 'टिकट बेचने' के आरोपों का था, जहां कई प्रत्याशियों। ने दावा किया कि योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर टिकट बेचे गए। 'फ्रेंडली फाइट' को भी हार का एक बड़ा कारण बताया गया, क्योंकि इससे महागठबंधन के वोटों का बंटवारा हुआ। कुछ प्रत्याशियों ने सीधे तौर पर पप्पू यादव पर आरोप लगाया। कि उन्होंने कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को हराने में भूमिका निभाई।

वोटर शिफ्ट और आंतरिक कलह

बैठक में यह आशंका भी व्यक्त की गई कि एसआईआर (संभवतः विशेष पहचान अभियान) प्रक्रिया के बाद बढ़े हुए मतदाता भाजपा की ओर चले गए। पार्टी के भीतर आंतरिक झगड़े और गुटबाजी को भी हार का एक प्रमुख कारण माना गया। यह बात भी सामने आई कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस का कोई ऐसा नेता। नहीं है, जिसका व्यापक प्रभाव हो और जो सभी वर्गों को एक साथ ला सके। कन्हैया कुमार जैसे युवा और प्रभावशाली नेताओं का सही ढंग से इस्तेमाल न करने पर भी चिंता व्यक्त की गई।

गठबंधन पर सवाल और भविष्य की रणनीति

राजद के साथ गठबंधन को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए गए। कुछ प्रत्याशियों ने यहां तक सुझाव दिया कि यदि राजद से। गठबंधन नहीं होता, तो भी पार्टी की इतनी खराब हालत नहीं होती। गठबंधन में देरी, सीट बंटवारे में अत्यधिक समय लगना और सिंबल वितरण में हुई देरी को भी हार का एक महत्वपूर्ण कारण बताया गया और कुछ प्रत्याशियों ने तत्काल राजद के साथ गठबंधन खत्म करने और पार्टी को स्वयं को मजबूत करने का सुझाव दिया। यह भी सुझाव दिया गया कि अगले विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन को लेकर दोबारा विचार किया जाना चाहिए।

क्षेत्रीय प्रभाव और राहुल का निर्देश

बैठक में ओवैसी की उपस्थिति के कारण सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम वोटों के महागठबंधन से दूर जाने का मुद्दा भी उठाया गया, जिसने कई सीटों पर कांग्रेस और उसके सहयोगियों को नुकसान पहुंचाया और बैठक से पहले राहुल गांधी ने सभी प्रत्याशियों और नेताओं को निर्देश दिया था कि वे किसी पर आरोप लगाने के बजाय केवल अपने विधानसभा क्षेत्र की स्थिति और हार के कारणों पर ध्यान केंद्रित करें। इस निर्देश के बावजूद, बैठक से पहले का हंगामा और भीतर की तीखी बहस ने कांग्रेस के लिए बिहार में आगे की राह को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है और पार्टी को अब इन गंभीर आंतरिक मुद्दों को सुलझाना होगा और एक मजबूत रणनीति के साथ आगे बढ़ना होगा।

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