जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 की सालगिरह पर लाल चौक में भाजपा नेता ने फहराया तिरंगा
जम्मू-कश्मीर - अनुच्छेद 370 की सालगिरह पर लाल चौक में भाजपा नेता ने फहराया तिरंगा
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Updated on: 06-Aug-2020 07:08 AM IST
कश्मीर। अनुच्छेद 370 (Article 370) और जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के विशेष दर्जे (Special Status) को खत्म किए जाने की पहली बरसी पर भाजपा नेता (BJP Leader) रोमीसा रफीक ने बुधवार को लाल चौक के बीचो-बीच तिरंगा (Tricolor) लहराया। रफीक, भाजपा की महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं और राष्ट्रीय ध्वज (National Flag) फहराने वाले शुरुआती नेताओं में शामिल रहीं। बाद में, जम्मू और कश्मीर की राज्य इकाई के उपाध्यक्ष सोफी मुहम्मद यूसुफ सहित अन्य भाजपा नेताओं (BJP Leaders) ने विभिन्न स्थानों पर झंडा फहराया। रफीक ने कहा कि उन्होंने यह संदेश देने के लिए झंडा लहराया कि कश्मीरी लोग भी अनुच्छेद 370 (Article 370) को रद्द करने के पक्ष में हैं। जिसने देश के साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के संबंधों को विस्तार दिया है और मजबूत किया है। उन्होंने कहा, अनुच्छेद हटाये जाने के बाद से जम्मू-कश्मीर की महिलाओं ने अधिक सशक्तीकरण और स्वायत्तता (more empowerment and autonomy) प्राप्त की है, जबकि निर्माण और विकास के नए रास्ते खुल गए हैं।जो अलगाववादी नेता कश्मीर में हड़ताल का आह्वान किया करते थे वे निराशयह भी बता दें कि जम्मू कश्मीर से पिछले साल अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पथराव की घटनाओं में कमी और अलगाववादी नेताओं (Separatist Leaders) की लगातार धरपकड़ केंद्रशासित प्रदेश में हिंसा में लगातार कमी आने के प्रमुख कारक हैं। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि पिछले साल संवैधानिक बदलाव किए जाने के बाद से एकत्र आंकड़ों के तुलनात्मक विश्लेषण से पता चलता है कि जो अलगाववादी नेता कश्मीर (Kashmir) में हड़ताल का आह्वान किया करते थे, वे शासन के कठोर कदमों से हताश हैं क्योंकि सरकार ने अलगाववादियों के बैंक खातों को सील करने और आतंकवाद के लिए मिलने वाले पैसे से अर्जित उनकी संपत्तियों को कुर्क करने जैसे कदम उठाए हैं। अलगाववादी समूहों ने नाममात्र को ही किसी बंद का किया आह्वानकेंद्र ने संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्रदत्त विशेष प्रावधान को पिछले साल पांच अगस्त को खत्म कर दिया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख (Ladakh) में विभाजित कर दिया था। पिछले एक साल में अलगाववादी समूहों ने नाममात्र को ही किसी बंद का आह्वान किया है। अलगाववादी समूहों के अनेक मुख्य नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ये समूह निष्क्रिय हो गए हैं।
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