दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: BJP ने नफरत की राजनीति करने की कोशिश की- मनीष सिसोदिया

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 - BJP ने नफरत की राजनीति करने की कोशिश की- मनीष सिसोदिया
| Updated on: 11-Feb-2020 04:31 PM IST
नई दिल्ली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र (Patparganj Assembly Constituency) से चुनाव जीत गए हैं। उन्होंने यहां कड़े मुकाबले में बीजेपी के रविंद्र सिंह नेगी को हराया। विजयी होने के बाद मनीष सिसोदिया ने कहा कि 'मैं फिर से पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनकर खुश हूं। बीजेपी ने नफरत की राजनीति करने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली के लोगों ने ऐसी सरकार चुनी जो लोगों के लिए काम करती है।'

रविंद्र सिंह नेगी ने सिसोदिया को दी जबरदस्त चुनौती

सिसोदिया ने कहा कि 'ये पटपड़गंज की जनता की जीत है। अलग-अलग सीट पर अलग-अलग मुकाबला था। जनता ने बीजेपी की नफरत की राजनीति को नकार दिया।' बता दें कि आम आदमी पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मनीष सिसोदिया की बादशाहत को बीजेपी उम्मीदवार रविंद्र सिंह नेगी ने जबरदस्त चुनौती दी। इस विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर, ब्राह्मण और उत्तराखंड के वोटर्स निर्णायक भूमिका में रहते हैं। अगर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां 18 प्रतिशत ब्राह्मण, 17 प्रतिशत एससी, 15 प्रतिशत उत्तराखंड के वोटर हैं। वहीं यहां के आठ प्रतिशत पंजाबी, 11 प्रतिशत गुर्जर और 17 प्रतिशत ओबीसी का वोट जिस पार्टी को जाता है उसकी जीत तय मानी जाती है।पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में हैं 4 वॉर्ड

बता दें कि पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र के अंतगर्त चार वॉर्ड आते हैं। यह विधानसभा सीट पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के अंतगर्त आता है। इस विधानसभा में मंडावली, विनोद नगर, मयूर विहार फेज 2 और पटपड़गंज एरिया आते हैं। पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र में लगभग 16 अवैध कॉलोनियां और तीन गांव आते हैं। पटपड़गंज, मंडावली और खिचड़ीपुर गांव इस इलाके में एक अलग पहचान रखते हैं। इस विधानसभा में 50 से अधिक ग्रुप हाउसिंग सोसायटीज, कुछ स्लम एरिया और कुछ पुनर्वास कॉलोनियां हैं।

बीजेपी और AAP के बीच हुआ कड़ा मुकाबला

मनीष सिसोदिया यहां से पूर्व में दो बार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने इस सीट पर पिछली बार (2015) बीजेपी के विनोद कुमार बिन्नी से अच्छी टक्कर मिली थी। बिन्नी आम आदमी पार्टी के नेता रहे हैं और 2015 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने कारण पार्टी से बगावत कर दिया था।

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