देश: वायरल वीडियो में घायल शख्स के ऊपर कूदता दिखा असम का फोटोग्राफर हुआ गिरफ्तार

देश - वायरल वीडियो में घायल शख्स के ऊपर कूदता दिखा असम का फोटोग्राफर हुआ गिरफ्तार
| Updated on: 24-Sep-2021 04:11 PM IST
असम हिंसा: पूर्वोत्तर राज्य असम में एक बार फिर हिंसा देखने को मिली है. यहां दरांग जिले में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हो गई है. वहीं. घायल के शरीर पर कूदने के आरोपी कैमरामैन को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद असम की बीजेपी सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. कांग्रेस ने इस मामले में जिले के एसपी पद पर तैनात मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के छोटे भाई को लेकर सरकार को घेरा है.

घटना की सीआईडी जांच के आदेश

कांग्रेस का दावा है कि दरांग के एसपी सीएम के छोटे भाई हैं और उनके आदेश पर ही गोली चलाई गई थी. हिंसा के दौरान पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में सीआईडी जांच के आदेश दे दिए गए हैं. दरांग जिले में पुलिस और लोगों के बीच झड़प के दौरान अधमरे शख्स के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया था.

दरांग जिले में क्या हुआ?

वायरल हो रही वीडियो के मुताबिक, एक ग्रामीण पुलिस की ओर लाठी लेकर भागता दिख रहा है. इसके बाद पुलिस की कई बंदूकें और लाठी उसकी ओर तन जाती हैं. एक गोली लगते ही ग्रामीण नीचे गिर जाता है और फिर कई पुलिसवाले शख्स पर लाठियां बरसाकर उसे अधमरा कर देते हैं. इसके बाद भी कई पुलिसवाले घायल शख्स पर लाठियां बरसाते रहते हैं. कानून के इन पहरेदारों के बीच कैमरामैन आगे बढ़ता है और जमीन पर बेसुध हो चुके शख्स के सीने पर कूद जाता है, उसकी गर्दन को घुटने से दबाता है और उसको मुक्के मारता है.

इतना सब होने के बावजूद कानून की हिफाजत करने वाली पुलिस उसे बस वहां से चले जाने को कहती है. असम पुलिस की ये करतूत वायरल वीडियो के जरिए बाहर आई तो जवाब देना मुश्किल हो गया. बाद में हमला करने वाले कैमरामैन बिजॉय बोनिया को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना की सीआईडी जांच के आदेश दे दिए गए हैं.

पूरा मामला क्या है?

असम के दरांग जिले के ढालपुर में पुलिस अवैध अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रही है. गुरुवार को पुलिस बल इस इलाके में रह रहे 800 परिवारों को हटाने पहुंची तो ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा. इस विरोध को दबाने के लिए पुलिस ने फायरिंग कर दी, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई.

पुलिस प्रशासन पर खड़े हुए सवाल

पुलिस ने हमला करने वाले पत्रकार पर कार्रवाई करके मामले को ठंडा करने की कोशिश की है, लेकिन असल सवाल तो पुलिस के रवैये पर ही खड़ा होता है. क्या ग्रामीणों का विरोध इतना खतरनाक था कि पुलिस को निहत्थे लोगों को गोलियां चलानी पड़ी? पुलिस कानूनी कार्रवाई में रोड़ा बन रहे लोगों पर गोली चला दी, लेकिन खुलेआम एक इंसान के साथ वहशीपन करने वाले कैमरामैन पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की. पुलिस ग्रामीणों के साथ ऐसे सलूक क्यों कर रही थी, मानो वो बॉर्डर पर खड़े कोई दुश्मन हैं.

कानून की रखवाली करने वाली पुलिस को पहले यही समझना होगा कि विरोध करने वाले भी इसी देश के नागरिक हैं, उनके विरोध का तरीका गलत हो सकता है. लेकिन उसे रोकने की कोशिश में आम लोगों पर फायरिंग को भी कहीं से सही नहीं ठहराया जा सकता.

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