देश: CBI ने किया कैंब्रिज एनालिटिका खिलाफ केस दर्ज,फेसबुक डेटा चोरी का बड़ा मामला
देश - CBI ने किया कैंब्रिज एनालिटिका खिलाफ केस दर्ज,फेसबुक डेटा चोरी का बड़ा मामला
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Updated on: 22-Jan-2021 10:04 PM IST
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आज (22 जनवरी, 2021) यूके स्थित पॉलिटिकल कंसल्टिंग कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका और ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड (GSRL) पर केस दर्ज किया है। इन पर 5.62 लाख भारतीय फेसबुक यूजर्स का डेटा चोरी करने का आरोप है। इस मामले की जांच 2018 से ही चल रही थी। क्या है मामला?CBI के मुताबिक, GSRL ने भारत में गलत तरीके से करीब 5.62 लाख फेसबुक यूजर्स का डेटा जुटाकर कैंब्रिज एनालिटिका के साथ शेयर किया था। बाद में इस डेटा का इस्तेमाल भारत में चुनावों को प्रभावित करने के लिए किया गया।
मार्च 2018 में कई मीडिया प्लेटफार्म ने कैंब्रिज एनालिटिका पर फेसबुक डेटा चोरी करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने कंपनी के पूर्व कर्मचारियों और दस्तावेजों के हवाले से लिखा था कि उसने 5 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स का डेटा चोरी किया है। इसमें यूजर्स की निजी जानकारियां भी शामिल हैं। 3 अप्रैल, 2018 को कैंब्रिज एनालिटिका ने कहा कि उसके पास भारतीयों का फेसबुक डेटा नहीं है। इसके दो दिन बाद 5 अप्रैल को फेसबुक ने भारत सरकार को बताया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने ऐप के जरिए करीब 562,455 भारतीयों के फेसबुक डेटा चोरी किया है। क्या है कैंब्रिज एनालिटिका?यह यूके स्थित पॉलिटिकल कंसल्टिंग डेटा एनालिटिक्स कंपनी है। कंपनी पहली बार तब सुर्खियों में आई थी, जब इस पर डेटा मैन्युपुलेशन करके 2016 में अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प को जिताने के आरोप लगे थे। 2019 में भाजपा ने आम चुनाव के लिए कांग्रेस पर क्रैंब्रिज एनालिटिका की सेवाएं लेने का आरोप लगाया था।
अब आगे क्या?कैंब्रिज एनालिटिका और ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड पर डेटा चोरी होने की बात साफ हो जाती है तब इन पर आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 और आईटी एक्ट 2000 के तहत कार्रवाई हो सकती है। इस एक्ट में कहा गया है कि किसी व्यक्ति, संस्थान या संगठन आदि के किसी सिस्टम से निजी या गोपनीय डेटा या सूचनाओं की चोरी करना भी साइबर क्राइम है। किसी संस्थान या संगठन के डेटा तक आपकी पहुंच है और आप बिना इजाजत के उसका इस्तेमाल करते हैं, तब ये अपराध के दायरे में आएगा।
आईटी (संशोधन) एक्ट की धारा 43 (बी), धारा 66 (ई), 67 (सी), IPC की धारा 379, 405, 420 के हिसाब से 3 साल तक की जेल या दो लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। वहीं, आईटी एक्ट 2000 का उल्लंघन करने पर सेक्शन 45 के तहत अधिकतम 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
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