जयपुर: EWS आरक्षण में भूमि और भवन संबंधी प्रावधान को खत्म करे केंद्र सरकार: सीएम गहलोत

जयपुर - EWS आरक्षण में भूमि और भवन संबंधी प्रावधान को खत्म करे केंद्र सरकार: सीएम गहलोत
| Updated on: 23-Oct-2019 03:19 PM IST
जयपुर. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा है कि आर्थिक रूप से गरीब (Economically Weaker Section) तबके को मोदी सराकर राजस्‍थान के पैटर्न पर आरक्षण दे. केंद्र की मोदी सरकार से राजस्थान पैटर्न लागू करने की नसीहत दी है. सीएम गहलोत ने कहा है कि EWS आरक्षण में जो फैसला हमने किया है वही केंद्र सरकार को करना चाहिए, क्योंकि बगैर इस फैसले के लोगों को इतनी तकलीफ होगी कि लोग सर्टिफिकेट लेने के लिए मारे-मारे फिरते रहेंगे. उन्होंने कहा, 'मेरा मानना है कि जो फैसला हमने किया है वह केंद्र सरकार भी करे, जिससे पूरे देश में इस वर्ग के लोगों को लाभ मिल सके.'

जमीन और मकान संबंधी प्रावधानों को खत्म किया

गहलोत सरकार ने आर्थिक रूप से गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण में बाधा बन रहे भूमि और भवन संबंधी प्रावधान को खत्म कर दिया है. राज्‍य कार्मिक विभाग ने तीन दिन पहले ही इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी की है. सरकार के इस निर्णय से ईडब्ल्यूएस आरक्षण (EWS Reservation) की एक बड़ी जटिलता (Complexity) समाप्त हो गई है. अब पिछड़े सवर्णों को प्रमाणपत्र (Certificate) बनवाने में आसानी रहेगी. क्षत्रिय युवक संघ के प्रमुख भगवान सिंह रोलसाहबसर ने सीएम को धन्यवाद देते हुए कहा कि अशोक गहलोत ने जटिलताओं को खत्म कर दिया है. इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को सकारात्मक संदेश मिला है.

आरक्षण का रोजगार में ऐसे मिलेगा फायदा

इस पूरी प्रक्रिया से बड़ी बाधा हट जाने के बाद अब EWS आरक्षण के तहत प्रमाणपत्र बनने शुरू हो जाएंगे. स्थानीय अधिकारियों को भी सरकार के इस निर्णय से बड़ी राहत मिली है. पहले सामान्य वर्ग की 20 फीसदी से भी कम आबादी इस आरक्षण के दायरे में आ रही थी, लेकिन इस बदलाव के बाद अब EWS आरक्षण में 90 फीसदी से ज्यादा आबादी कवर हो जाएगी. सरकार के इस फैसले से प्रक्रियाधीन भर्तियों में भी अभ्यर्थियों को लाभ मिल सकेगा.

परिवार की कुल आय 8 लाख रुपए वार्षिक

राज्य में सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों (EWS) को देय 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए अब परिवार की कुल वार्षिक आय अधिकतम 8 लाख रुपए ही आधार मानी जाएगी. संपत्ति संबंधी प्रावधान पूरी तरह से समाप्त कर दिए गए हैं.

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