Taiwan Arms Deal: ताइवान डील पर भड़का चीन: अमेरिका की 20 डिफेंस कंपनियों पर लगाया बैन, दी 'रेड लाइन' चेतावनी

Taiwan Arms Deal - ताइवान डील पर भड़का चीन: अमेरिका की 20 डिफेंस कंपनियों पर लगाया बैन, दी 'रेड लाइन' चेतावनी
| Updated on: 26-Dec-2025 06:43 PM IST
अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. हाल ही में ट्रंप प्रशासन द्वारा ताइवान को रिकॉर्ड 11. 1 बिलियन डॉलर के हथियार बेचने के पैकेज को मंजूरी देने के बाद चीन ने कड़ा रुख अपनाया है. इस फैसले के जवाब में चीन ने 20 अमेरिकी डिफेंस फर्मों और 10 वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो हाल के वर्षों में ताइवान को हथियार देने में शामिल रहे हैं.

चीन की 'रेड लाइन' चेतावनी

चीनी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि ताइवान का मुद्दा चीन के 'अहम हितों'. के केंद्र में है और यह चीन-अमेरिका संबंधों में 'पहली रेड लाइन' है जिसे पार नहीं किया जाना चाहिए. बीजिंग ने जोर देकर कहा है कि जो भी इस 'रेड लाइन' को पार करने और ताइवान के सवाल पर उकसावे की कोशिश करेगा, उसे चीन के कड़े जवाब का सामना करना पड़ेगा. यह चेतावनी अमेरिका को ताइवान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने से रोकने के लिए चीन की दृढ़ता को दर्शाती है.

प्रतिबंधों का विवरण

चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों में 20 अमेरिकी सैन्य-संबंधित फर्मों को निशाना बनाया गया है. इसके अतिरिक्त, 10 वरिष्ठ अधिकारियों को भी प्रतिबंधित किया गया है, जिनकी पहचान उन लोगों के रूप में की गई है जो ताइवान को हथियार बेचने की प्रक्रिया में शामिल रहे हैं. हालांकि, चीन ने यह भी स्वीकार किया है कि ये प्रतिबंध काफी हद तक प्रतीकात्मक. हैं, क्योंकि अधिकांश अमेरिकी डिफेंस फर्मों का चीन में कोई महत्वपूर्ण व्यावसायिक संचालन नहीं है. इसके बावजूद, यह कदम चीन की नाराजगी और भविष्य में और अधिक कठोर कार्रवाई करने की उसकी मंशा को दर्शाता है. अमेरिका ने ताइवान को 11. 1 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है.

इस पैकेज में विभिन्न प्रकार के उन्नत सैन्य उपकरण शामिल हैं, जिनमें मिसाइलें, तोपें, HIMARS लॉन्चर और ड्रोन शामिल हैं. ताइवान अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए इन हथियारों का उपयोग करेगा, विशेष रूप से चीन से संभावित सैन्य खतरों के मद्देनजर और अमेरिका का यह कदम ताइवान की आत्मरक्षा की क्षमता को बढ़ाने के लिए उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसे चीन अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है.

'एक-चीन' सिद्धांत पर चीन का जोर

चीन ने अमेरिका से 'एक-चीन' सिद्धांत का पालन करने का आग्रह किया है. इस सिद्धांत के तहत, चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का एक अविभाज्य हिस्सा मानता है और किसी भी देश द्वारा ताइवान के साथ स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में संबंध स्थापित करने का विरोध करता है. बीजिंग ने अमेरिका से ताइवान को हथियार देने के 'खतरनाक कदमों' को रोकने, ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को कमजोर करना बंद करने और 'ताइवान स्वतंत्रता' अलगाववादी ताकतों को गलत संकेत भेजना बंद करने के लिए कहा है. चीन का मानना है कि अमेरिका के ऐसे कार्य ताइवान की. स्वतंत्रता समर्थक ताकतों को बढ़ावा देते हैं, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ती है.

चीन की संप्रभुता की रक्षा की प्रतिबद्धता

चीनी विदेश मंत्रालय ने दोहराया है कि चीन अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा के लिए कड़े कदम उठाना जारी रखेगा. यह बयान चीन की उस नीति को रेखांकित करता है जिसके तहत वह ताइवान को बलपूर्वक भी अपने साथ मिलाने का अधिकार सुरक्षित रखता है, यदि उसे आवश्यक लगे. अमेरिका और ताइवान के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को चीन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के. लिए सीधा खतरा मानता है, और इसलिए वह इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रहा है. यह स्थिति वैश्विक भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण तनाव बिंदु बनी हुई है, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.

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