India-China Relation: चीन खुलकर आया भारत के सपोर्ट में, डोनाल्ड ट्रंप को दिया मुंहतोड़ जवाब

India-China Relation - चीन खुलकर आया भारत के सपोर्ट में, डोनाल्ड ट्रंप को दिया मुंहतोड़ जवाब
| Updated on: 21-Aug-2025 10:02 PM IST

India-China Relation: अमेरिका ने हाल ही में भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिसमें 25% रेसिप्रोकल टैरिफ और 25% रूसी तेल खरीदने की सजा के रूप में शामिल है। यह टैरिफ 27 अगस्त, 2025 से लागू होगा। अमेरिका का दावा है कि भारत रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस की आर्थिक मदद कर रहा है। इस कदम ने भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों में तनाव पैदा कर दिया है।

चीन का भारत को खुला समर्थन

इस मामले में चीन ने भारत के पक्ष में मजबूती से अपनी आवाज बुलंद की है। भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने अमेरिका की इस नीति की कड़ी निंदा करते हुए इसे “धौंसिया” रवैया करार दिया। उन्होंने कहा, “अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाया है और इससे भी ज्यादा टैरिफ की धमकी दी है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है। चुप्पी केवल धमकाने वालों को बढ़ावा देती है। चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।”

फेइहोंग ने अमेरिका पर फ्री ट्रेड का लाभ उठाने और अब टैरिफ को सौदेबाजी के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की संप्रभुता और स्वतंत्र विदेश नीति पर कोई समझौता नहीं हो सकता।

भारत-चीन सहयोग: एक नई संभावना

चीन के राजदूत ने भारत और चीन के बीच आर्थिक सहयोग की अपार संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बाजारों को आपस में जोड़ने से वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। फेइहोंग ने कहा, “हम चीनी बाजार में और ज्यादा भारतीय वस्तुओं का स्वागत करेंगे। भारत आईटी, सॉफ्टवेयर और बायोमेडिसिन में मजबूत है, जबकि चीन इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से प्रगति कर रहा है।”

उन्होंने भारतीय कंपनियों को चीन में निवेश के लिए आमंत्रित किया और साथ ही चीनी कंपनियों के लिए भारत में निष्पक्ष कारोबारी माहौल की उम्मीद जताई। यह बयान दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो हाल के वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं।

भारत का जवाब और रणनीति

भारत ने अमेरिका के इस टैरिफ को “अनुचित” और “दुर्भाग्यपूर्ण” करार देते हुए कड़ा विरोध जताया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी 1.4 अरब आबादी की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए रूसी तेल खरीद रहा है, और यह निर्णय राष्ट्रीय हितों के आधार पर लिया गया है। भारत ने यह भी कहा कि कई अन्य देश भी रूस से तेल खरीद रहे हैं, फिर केवल भारत को निशाना बनाना दोहरे मापदंड को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज करते हुए “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देने और स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। अगस्त 2025 में भारत ने रूस से 20 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चा तेल आयात किया, जो जुलाई के 16 लाख बैरल से अधिक है। यह दर्शाता है कि भारत अमेरिकी दबाव के बावजूद अपनी ऊर्जा नीति पर अडिग है।

वैश्विक प्रभाव और भविष्य

अमेरिका का यह कदम न केवल भारत-अमेरिका संबंधों को प्रभावित कर रहा है, बल्कि वैश्विक व्यापार और ऊर्जा बाजार पर भी इसका असर पड़ सकता है। चीन का भारत के प्रति समर्थन और रूस-भारत-चीन (RIC) त्रिकोणीय सहयोग की संभावना ने अमेरिकी नीतियों के खिलाफ एक नया मोर्चा खोल दिया है।

रूस ने भी भारत का समर्थन करते हुए अमेरिकी टैरिफ को अवैध बताया है। रूसी उप-व्यापार प्रतिनिधि एवगेनी ग्रिवा ने कहा कि भारत को 5% छूट पर रूसी तेल मिलता रहेगा, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बल मिलेगा।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।