India-Japan Relation: चीन थर्राएगा अब भारत-जापान की डील से, समंदर में सारी चाल होगी नाकाम!

India-Japan Relation - चीन थर्राएगा अब भारत-जापान की डील से, समंदर में सारी चाल होगी नाकाम!
| Updated on: 20-Aug-2024 10:15 AM IST
India-Japan Relation: हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति और उसके आक्रामक रुख को देखते हुए, भारत ने इस क्षेत्र में अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है। खबर है कि भारत और जापान के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा होने वाला है, जो दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

एंटेना सौदा: चीन की चालों का जवाब

इस डील के तहत, भारत जापान से उन्नत एंटेना खरीद सकता है, जिसे भारतीय नौसेना अपने जहाजों पर तैनात करेगी। ये एंटेना समुद्र में दुश्मनों की गतिविधियों, खासकर मिसाइलों और ड्रोन की हरकतों को तेजी से पकड़ने में सक्षम होंगे। जापान की नौसेना पहले से ही इस उन्नत तकनीक का उपयोग कर रही है, जिससे उसे अपने समुद्री क्षेत्रों में निगरानी रखने में बढ़त मिलती है। इस एंटेना की मदद से भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीन की चालबाजियों पर पैनी नजर रख सकेगी और आवश्यक कार्रवाई कर सकेगी।

भारत-जापान “2+2” वार्ता: द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती

भारत और जापान के बीच यह सौदा दिल्ली में होने वाली “2+2” मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान अंतिम रूप लिया जा सकता है। इस बैठक में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें रक्षा सहयोग को और गहरा करने के तरीकों पर भी विचार किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके जापानी समकक्ष किहारा मिनोरू के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता की आवश्यकता

भारत और जापान के बीच यह रणनीतिक सहयोग ऐसे समय में हो रहा है जब हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के विस्तारवादी कदमों ने अस्थिरता पैदा कर दी है। दोनों देश एक स्वतंत्र, ओपन, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुनिश्चित करने के लिए एकजुट हो रहे हैं। मौजूदा वैश्विक माहौल में, भारत-जापान रक्षा साझेदारी लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन के साझा मूल्यों के आधार पर महत्वपूर्ण बन गई है।

निष्कर्ष

भारत और जापान के बीच उभरती यह रक्षा साझेदारी न केवल हिंद महासागर में चीन की बढ़ती दादागीरी का जवाब है, बल्कि एशियाई देशों के बीच रक्षा सहयोग को भी नया आयाम देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस डील के जरिए भारत और जापान दोनों मिलकर क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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