Choti Diwali 2025: छोटी दिवाली 2025: अभ्यंग स्नान और पूजा का शुभ मुहूर्त, जानें कितने दीपक जलाना शुभ

Choti Diwali 2025 - छोटी दिवाली 2025: अभ्यंग स्नान और पूजा का शुभ मुहूर्त, जानें कितने दीपक जलाना शुभ
| Updated on: 19-Oct-2025 07:20 AM IST
दीपावली का पर्व धनतेरस के साथ शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है. दिवाली से ठीक एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है, जिसे नरक चतुर्दशी, काली चौदस और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है. इस बार यह पर्व 19 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा. यह दिन भगवान हनुमान और मृत्यु के देवता यमराज की पूजा के लिए समर्पित है, साथ ही भगवान कृष्ण ने इसी दिन नरकासुर का वध किया था. पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर को दोपहर 1:53 बजे शुरू होकर 20 अक्टूबर को दोपहर 3:46 बजे समाप्त होगी. चूंकि छोटी दिवाली की पूजा रात में होती है, इसलिए 19 अक्टूबर को ही इसे मनाना शुभ रहेगा. पूजा का शुभ मुहूर्त 19 अक्टूबर को शाम 5:47 मिनट से शुरू होगा. अभ्यंग स्नान का समय 19 अक्टूबर सुबह 5:12 से सुबह 6:25 तक रहेगा. छोटी दिवाली की पूजा सूर्यास्त के बाद, शाम 6 बजे से 9 बजे तक की जा सकती है. इस दिन भगवान कृष्ण, माता लक्ष्मी, यमराज और हनुमान जी की पूजा का विशेष विधान है.

नरक चतुर्दशी की पूजा विधि

सूर्योदय से पहले तिल के तेल से मालिश कर ‘अभ्यंग स्नान’ करें. स्नान के बाद घर और मंदिर की सफाई कर गंगाजल छिड़कें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें. पूजा स्थल पर भगवान गणेश, मां दुर्गा, शिव, विष्णु, सूर्यदेव,. हनुमान जी और भगवान कृष्ण की स्थापना कर पूजा करें. भोग में बेसन और बूंदी के लड्डू चढ़ाएं. शाम को घर की चौखट पर और बाहर यमराज के निमित्त तेल का दीपक जलाएं और आटे का चौमुखा दीपक बनाकर मुख्य द्वार से बाहर दक्षिण दिशा में रखें और यमराज से अकाल मृत्यु व नरक के भय से मुक्ति की प्रार्थना करें. इस दिन कुल 14 दीपक जलाए जाते हैं. **छोटी दिवाली पर कितने दीपक जलाएं? छोटी दिवाली पर मुख्य रूप से 14 दीपक जलाने की परंपरा है, क्योंकि यह तिथि चतुर्दशी कहलाती है और इन दीयों में एक यमराज के लिए, एक मां काली के लिए और एक भगवान श्री कृष्ण के लिए जलाया जाता है. बाकी दीयों को घर के मुख्य द्वार, रसोई, तुलसी के पास और छत जैसी विभिन्न जगहों पर जलाना शुभ माना जाता है. दीपदान करने से व्यक्ति को नरक के कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है.

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