EC New Guidelines: EVM पर उम्मीदवारों की रंगीन तस्वी और सीरियल नंबर भी दिखेगा, बिहार चुनाव से होगी शुरुआत

EC New Guidelines - EVM पर उम्मीदवारों की रंगीन तस्वी और सीरियल नंबर भी दिखेगा, बिहार चुनाव से होगी शुरुआत
| Updated on: 17-Sep-2025 05:48 PM IST

EC New Guidelines: बिहार में नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने की संभावना के बीच भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने ईवीएम मतपत्रों को अधिक स्पष्ट और पठनीय बनाने के लिए महत्वपूर्ण संशोधन किया है। इस नई गाइडलाइन के तहत, उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें पहली बार मतपत्रों पर दिखाई देंगी, जो मतदाताओं के लिए चुनाव प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने में सहायक सिद्ध होंगी। यह बदलाव बिहार चुनाव से ही लागू होगा, जो एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह अन्य राज्यों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।

ईसीआई की इस पहल का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित बनाना है। पिछले छह महीनों में आयोग ने मतदाताओं की सुविधा बढ़ाने और चुनावों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कुल 28 नई पहलें की हैं। नई दिशानिर्देश चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49बी के तहत जारी किए गए हैं, जिसमें मतपत्रों की डिजाइन और प्रिंटिंग में कई तकनीकी बदलाव शामिल हैं।

मतपत्रों में क्या-क्या बदलाव?

ईवीएम मतपत्रों पर अब उम्मीदवारों की तस्वीरें रंगीन रूप में छपी होंगी, जिसमें प्रत्येक उम्मीदवार का चेहरा फोटो के तीन-चौथाई हिस्से को कवर करेगा। इससे मतदाता आसानी से उम्मीदवार की पहचान कर सकेंगे, खासकर उन क्षेत्रों में जहां साक्षरता दर कम है। इसके अलावा, सीरियल नंबरों को अधिक प्रमुखता दी गई है। उम्मीदवारों और 'नोटा' (कोई नहीं) विकल्प के क्रमांक अब अंतरराष्ट्रीय भारतीय अंकों में मुद्रित होंगे, जिनका फॉन्ट साइज 30 होगा और बोल्ड स्टाइल में लिखा जाएगा।

सभी उम्मीदवारों के नाम एक ही फॉन्ट प्रकार में और पर्याप्त बड़े साइज में प्रिंट किए जाएंगे, ताकि पढ़ने में कोई असुविधा न हो। मतपत्र 70 जीएसएम गुणवत्ता वाले कागज पर छापे जाएंगे। विधानसभा चुनावों के लिए विशेष रूप से गुलाबी रंग के कागज का उपयोग होगा, जिसके आरजीबी मान निर्धारित हैं, ताकि एकरूपता बनी रहे।

ये बदलाव न केवल मतदाताओं की सुविधा बढ़ाएंगे, बल्कि चुनाव प्रक्रिया में होने वाली त्रुटियों को भी कम करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि रंगीन तस्वीरें और प्रमुख सीरियल नंबरों से वोटिंग की गति बढ़ेगी और गलत वोट डालने की संभावना घटेगी।

बिहार से शुरुआत, फिर पूरे देश में विस्तार

ईसीआई ने स्पष्ट किया है कि इन उन्नत ईवीएम मतपत्रों का उपयोग आगामी चुनावों में किया जाएगा, और इसकी शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव से होगी। बिहार, जो राजनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील राज्य है, इस प्रयोग के लिए आदर्श मंच साबित होगा। यदि यह सफल रहा, तो इसे अन्य राज्यों में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा।

चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "ये संशोधन मतदाताओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर वोट सही तरीके से पड़े और चुनाव निष्पक्ष रहें।" बिहार में करीब 7 करोड़ मतदाता हैं, और नवंबर में होने वाले चुनाव में यह नई व्यवस्था लाखों लोगों के अनुभव को बदल सकती है।

चुनावी सुधारों की श्रृंखला में एक कड़ी

ईसीआई की यह पहल पिछले कुछ महीनों की अन्य पहलों का हिस्सा है, जैसे डिजिटल वोटर आईडी, ऑनलाइन नामांकन प्रक्रिया और मतदान केंद्रों पर बेहतर सुविधाएं। इन बदलावों से न केवल चुनाव तेज होंगे, बल्कि लोकतंत्र की मजबूती भी सुनिश्चित होगी। बिहार के मतदाता इस नई व्यवस्था का स्वागत कर रहे हैं, जो पारंपरिक मतपत्रों को आधुनिक रूप देगी।

जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आ रही हैं, सभी पार्टियां अपनी रणनीतियां तेज कर रही हैं। लेकिन ईसीआई के इस कदम से यह स्पष्ट है कि आयोग मतदाता-केंद्रित सुधारों पर जोर दे रहा है। बिहार चुनाव न केवल राज्य की राजनीति को प्रभावित करेंगे, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल कायम करेंगे।# बिहार विधानसभा चुनाव 2025: ईवीएम मतपत्रों में रंगीन तस्वीरें और प्रमुख सीरियल नंबर, ईसीआई की नई पहल

नई दिल्ली: भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने आगामी चुनावों में मतदाताओं की सुविधा और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ईसीआई ने चुनाव संचालन नियम, 1961 के नियम 49बी के तहत ईवीएम मतपत्रों के डिजाइन और प्रिंटिंग से संबंधित दिशानिर्देशों में संशोधन किया है। इन बदलावों की शुरुआत बिहार विधानसभा चुनाव से होगी, जो अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है। यह संशोधन मतपत्रों को अधिक पठनीय और स्पष्ट बनाने पर केंद्रित है, जिससे मतदाताओं को उम्मीदवारों की पहचान करने में आसानी होगी।

ईवीएम मतपत्रों में क्या बदलाव होंगे?

नई गाइडलाइंस के अनुसार, ईवीएम मतपत्रों पर अब उम्मीदवारों की रंगीन तस्वीरें प्रदर्शित की जाएंगी। पहले जहां तस्वीरें ब्लैक एंड व्हाइट होती थीं, अब वे कलर में होंगी, और उम्मीदवार का चेहरा फोटो के तीन-चौथाई हिस्से को कवर करेगा। इससे मतदाताओं को उम्मीदवारों को आसानी से पहचानने में मदद मिलेगी, खासकर उन क्षेत्रों में जहां साक्षरता दर कम है।

इसके अलावा, उम्मीदवारों और नोटा (नन ऑफ द अबव) के सीरियल नंबरों को अधिक प्रमुखता दी जाएगी। ये नंबर अंतरराष्ट्रीय भारतीय अंकों में मुद्रित किए जाएंगे, फॉन्ट साइज 30 होगा और बोल्ड में लिखे जाएंगे। सभी उम्मीदवारों के नाम एक ही फॉन्ट टाइप और पर्याप्त बड़े साइज में प्रिंट किए जाएंगे, ताकि पढ़ने में कोई कठिनाई न हो।

मतपत्रों की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया गया है। अब ये 70 जीएसएम कागज पर छापे जाएंगे, और विधानसभा चुनावों के लिए गुलाबी रंग के कागज का उपयोग किया जाएगा, जिसमें निर्दिष्ट आरजीबी वैल्यूज होंगी। यह बदलाव चुनावी प्रक्रिया को अधिक एकरूप और विश्वसनीय बनाने का प्रयास है।

बिहार से क्यों शुरुआत?

ईसीआई ने स्पष्ट किया है कि इन उन्नत ईवीएम मतपत्रों का उपयोग सबसे पहले बिहार विधानसभा चुनाव में किया जाएगा। बिहार में 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने की उम्मीद है, और राजनीतिक दल पहले से ही सीट-बंटवारे की चर्चाओं में जुटे हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस 60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, जबकि तेजस्वी यादव की आरजेडी सभी 243 सीटों पर दावा कर रही है। ईसीआई की यह पहल पिछले छह महीनों में चुनाव प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए की गई 28 पहलों का हिस्सा है।

चुनावी पारदर्शिता और विपक्ष की चिंताएं

यह बदलाव ऐसे समय में आया है जब ईवीएम की विश्वसनीयता पर बहस छिड़ी हुई है। विपक्षी दल, जैसे कांग्रेस, ईवीएम में हेरफेर के आरोप लगाते रहे हैं, और हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ईसीआई को "बीजेपी का बैक ऑफिस" तक कहा है। हालांकि, ईसीआई ने ईवीएम की सुरक्षा और कार्यप्रणाली को प्रदर्शित करने के लिए सार्वजनिक डेमो आयोजित किए हैं, और इन नए दिशानिर्देशों से पारदर्शिता को और मजबूत करने का दावा किया है।

कुल मिलाकर, ईसीआई की यह पहल मतदाताओं को सशक्त बनाने और चुनावी प्रक्रिया को अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। बिहार चुनाव के बाद, इन बदलावों को अन्य राज्यों में भी लागू किया जाएगा, जो भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।

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