Rajasthan Political Crisis: कांग्रेस के 21 सीटें आईं तब दिल्ली चले गए और सत्ता मिली तो चापलूसी करके मुख्यमंत्री बन गए गहलोत : गुलाबचंद कटारिया

Rajasthan Political Crisis - कांग्रेस के 21 सीटें आईं तब दिल्ली चले गए और सत्ता मिली तो चापलूसी करके मुख्यमंत्री बन गए गहलोत : गुलाबचंद कटारिया
| Updated on: 18-Jul-2020 09:46 PM IST
जयपुर | राजस्थान विधानसभा के प्रतिपक्ष नेता गुलाबचंद कटारिया ने कहा है जब 21 सीटें कांग्रेस की आई थीं, तब गहलोत पार्टी की राष्ट्रीय टीम में दिल्ली चले गये थे और 5 साल तक सचिन पायलट प्रदेश के गांव-ढाणियों में घूमकर पार्टी को मजबूत करने में लगे रहे और जब 2018 में पार्टी सत्ता में आई तो अशोक गहलोत कांग्रेस आलाकमान की चापलूसी कर मुख्यमंत्री बन गये और सचिन पायलट को हाशिये पर करने का षड्यंत्र रचते रहे, जो अब पूरी तरह प्रदेश की जनता के सामने आ चुका है। उन्होंने कहा है कि यदि बहुमत है तो होटल में कैद क्यों है गहलोत, सामने आए और कुर्सी बचाने के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरूपयोग न करें।

भाजपा प्रदेश कार्यालय में मीडिया से मुखातिब हुए कटारिया ने कहा है कि कांग्रेस सरकार में अंतर्कलह व विग्रह है। यह सरकार के गठन के शुरूआत से ही है, इस बारे में पूरे प्रदेश की जनता जान चुकी है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार के मंत्री इस अंतर्कलह का ठीकरा भाजपा पर फोड़ रहे हैं। कांग्रेस के यह झूठे आरोप हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बिखरी हुई कांग्रेस के नाटक को भाजपा तो सिर्फ एक दर्शक के रूप में देख रही है और झगड़ा तो कांग्रेस के अन्दर है। 

गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अपनी कुर्सी बचाने के लिए सरकारी एजेंसियों के जरिये प्रदेश के नेताओं पर नजर रखवा रहे हैं कि कौन दिल्ली जा रहा है, कौन आ रहा है, इसके अलावा नेताओं के फोन भी टेप करवाये जा रहे हैं, जो कि निजता का उल्लघंन है। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीने से प्रदेश में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री में बिखराव है, जो बारूद बनकर अब बम की तरह फटा है। इस पूरे मामले से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है, जबकि मुख्यमंत्री और इनकी पार्टी के नेता भाजपा पर झूठे आरोप लगा रहे हैं।

कटारिया ने कहा कि विधानसभा के फ्लोर पर बहस के दौरान जब मुख्यमंत्री वहां पर मौजूद होते हैं तो उप मुख्यमंत्री मौजूद नहीं होते, लेकिन जब उप मुख्यमंत्री मौजूद होते हैं तो मुख्यमंत्री मौजूद नहीं होते, तो इस बारे में किसी को क्या कहने की जरूरत है, पूरा प्रदेश जानता है कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री में किस तरह की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत सत्ता में बने रहने के लिए हल्केपन की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं और सरकारी एजेंसियों का दुरूपयोग पर विधायकों को डराने-धमकाने का षड्यंत्र भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सत्ता के घमंड में चूर होकर यह तक भी कह देते हैं कि जब वे पहली बार सांसद बने तो सचिन पायलट 3 साल के थे और मुख्यमंत्री अच्छे कपड़े पहनने और अंग्रेजी बोलने पर भी कटाक्ष करते हैं, यह मुख्यमंत्री पद की गरिमा के लिए शोभा नहीं देता है। 

कौन है यह लोकेश शर्मा

फोन टेपिंग के सवाल पर गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह सब कानूनी प्रक्रिया के तहत होता है, फोन टेपिंग के लिए गृह विभाग के सचिव से अनुमति ली जाती है, जिसकी एक प्रक्रिया होती है और जरूरी कारण होने पर ही फोन टेपिंग की अनुमति दी जाती है। उन्होंने कहा कि लोकेश शर्मा नाम का व्यक्ति मुख्यमंत्री का ओएसडी है और इस व्यक्ति ने ही यह फोन टेपिंग जारी की है, तो यह स्पष्ट है कि यह फोन टेपिंग मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी की गई है। उन्होंने कहा है कि किस आधार पर लोकेश शर्मा ने फोन टेपिंग की रिकाॅर्डिेंग जारी की? उनके पास यह रिकाॅर्डिंग कहां से आई? इस बारे में मुख्यमंत्री जवाब दें और ओएसडी लोकेश शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की जाये और इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाये।

शेखावत और बीजेपी की छवि खराब करने की कोशिश

उन्होंने कहा कि किन्ही भी दो व्यक्तियों की बातचीत की रिकाॅर्डिंग के आधार पर केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम इसमें लिया जा रहा है, जो उनकी छवि खराब करने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत यह षड्यंत्र कर रहे हैं। खुद गजेन्द्र सिंह यह कह चुके हैं कि वे इस मामले में किसी भी एजेंसी से जांच करवाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि फर्जी फोन टेपिंग के जरिये हमारी पार्टी के नेताओं को बदनाम करने की साजिश की जा रही है।

पीछे क्यों हट रहे हैं गहलोत

विधानसभा में बहुमत परीक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत के पास अगर बहुमत है, तो फिर क्यों फ्लोर टेस्ट से पीछे हट रहे हैं। क्यों सरकार होटल में कैद है, क्यों विधायकों को होटलों में कैद कर रखा है, अगर आपके पास बहुमत है तो फ्लोर टेस्ट का सामना क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि जब फ्लोर टेस्ट होगा तो सबके सामने आ जायेगा कि मुख्यमंत्री गहलोत के साथ कितने विधायक हैं। और हमारी पार्टी के स्तर पर जो भी निर्णय लिया जायेगा, वो सामूहिक बैठक में लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत मीडिया में हाइलाईट होने के लिए बयानबाजी करते हैं, उनका प्रदेश की जनता से कोई सरोकार नहीं है। प्रदेश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री का कोरोना प्रबन्धन पर कोई ध्यान नहीं है, वे खुद उनके मंत्री और विधायक होटल में मौज-मस्ती कर रहे है और प्रदेश की जनता जनहित के कार्य नही होने से परेशान है। उन्होंने कहा कि फोन टेपिंग मामले में जो हमने रिपोर्ट दी है, वो अभी तक दर्ज क्यों नही की गई। इस बारे में सरकार जवाब दे।

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