Rajasthan Elections: CM अशोक गहलोत के गढ़ में कांग्रेस का जलवा- BJP के लिए मुसीबत

Rajasthan Elections - CM अशोक गहलोत के गढ़ में कांग्रेस का जलवा- BJP के लिए मुसीबत
| Updated on: 21-Nov-2023 09:24 AM IST
Rajasthan Elections: राजस्थान में इस बार भी विधानसभा चुनाव कांटेदार होने के आसार हैं. हालांकि यहां पर हर 5 साल में सत्ता बदलने का रिवाज रहा है, लेकिन अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश में जुटी है. जबकि भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर काबिज होने के इरादे से हरसंभव जतन में लगी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का चुनावी क्षेत्र मारवाड़ क्षेत्र में पड़ता है और बीजेपी यहां पर बड़ी जीत दर्ज कराने की कोशिश में है. पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोधपुर में 5000 करोड़ की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर चुके हैं.

मारवाड़ क्षेत्र को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गढ़ कहा जाता है. इस क्षेत्र में जोधपुर के अलावा जैसलमेर, बाड़मेर, जालौर, पाली और नागौर जिले आते हैं. मारवाड़ संभाग में कुल 43 विधानसभा सीटें पड़ती हैं जो राज्य की सत्ता के लिए अहम साबित होती हैं. अगर हम पिछले चुनाव (2018) में देखें यहां पर मिली जीत ने कांग्रेस के लिए जीत का रास्ता तय किया था. यहां जैसलमेर-बाड़मेर से 8, जोधपुर से 7, नागौर से 6, और जालौर-सिरोही से एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली थी. इस तरह से 22 सीटें हासिल कर कांग्रेस बहुमत के करीब पहुंच गई थी.

जोधपुर में दिखा था कांग्रेस का जलवा

जोधपुर जिले की 10 सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी जबकि बीजेपी के खाते में महज 2 सीटें ही आईं. एक सीट तो हनुमान बेनिवाल की पार्टी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के खाते में भी गई थी. बाड़मेर और जैसलमेर की 9 सीटों में से 8 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी जबकि बीजेपी के खाते में एक सीट ही आई. हालांकि पाली और सिरोही जिले में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला था.

पाली की 6 सीटों में से 5 बीजेपी के खाते में गए तो एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार विजयी हुआ था. इसी तरह सिरोही में 3 सीटों में से 2 बीजेपी तो एक पर निर्दलीय को जीत मिली. जालौर जिले के रिजल्ट को देखें तो यहां की 5 सीटों में से महज एक सीट पर कांग्रेस को जीत मिली, शेष 5 सीट बीजेपी के खाते में चले गए. इन तरह से इन 3 जिलों की 14 सीटों में से कांग्रेस के पक्ष में महज सांचौर सीट ही आई.

बेनीवाल की RLP ने बिगाड़ा था खेल

2018 के चुनाव में मारवाड़ क्षेत्र में हुनमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने दोनों दलों का खेल बिगाड़ दिया था. आरएलपी ने ​जोधपुर की भोपालगढ़ विधानसभा सीट पर कब्जा जमा लिया. आरएलपी ने इस चुनाव में भोपालगढ़ सीट समेत 3 सीटों पर जीत हासिल की तो मालपुरा सीट (टोंक जिला) पर वह दूसरे नंबर पर रही थी. इस क्षेत्र 2 की सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं. इस तरह से मारवाड़ क्षेत्र की 33 सीटों में से 16 सीटों पर कांग्रेस को तो 14 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. इसके अलावा मारवाड़-गोड़वाल क्षेत्र में नागौर जिला आता है जहां पर 10 सीटें आती हैं जिसमें कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली तो बीजेपी और आरएलपी को 2-2 सीटें मिली थी. इस तरह से 43 सीटों में 22 सीटें कांग्रेस के पास आई थीं.

इससे पहले 2013 के विधानसभा चुनाव में मारवाड़ क्षेत्र की 43 में से 38 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी जबकि कांग्रेस 3 सीटों पर सिमट गई थी तो 2 सीट निर्दलीय के खाते में गई थी. तब के चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था 200 सीटों में से महज 21 सीट ही मिली थी जबकि 163 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. 7 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी.

इससे पहले 2003 के चुनाव में बीजेपी को 43 में से 32 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि 1998 में कांग्रेस के खाते में यहां से 32 सीटें आई थीं और बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा और वह महज 9 सीटों पर अटक गई थी.

गहलोत के बेटे को मिली थी हार

भले ही मारवाड़ क्षेत्र में अशोक गहलोत का दबदबा माना जाता हो, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर संसदीय सीट से उनके बेटे वैभव गहलोत को हार मिल चुकी है. बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत ने वैभव को 274,440 मतों के अंतर से चुनाव में हराया था. गहलोत के अलावा इस क्षेत्र से गजेंद्र सिंह शेखावत भी बड़ा नाम हैं, 2019 में गहलोत के बेटे को हराया. वह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में जल शक्ति मंत्री हैं. इनके अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश चौधरी भी बड़ा नाम हैं. वह बाड़मेर की बायतू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

पाकिस्तान की सीमा से लगने वाले जैसलमेर बाड़मेर से से बीजेपी के कद्दावर जसवंत सिंह कभी सांसद हुआ करते थे. साथ ही यह क्षेत्र मिर्धा परिवार की वजह से भी जाना जाता है. शुरुआत बलदेवराम मिर्धा से होती है जो जोधपुर राजघराने से जुड़े रहे. उनके छोटे भाई नाथूराम मिर्धा ने राज्य का पहला बजट पेश किया था. फिर उनके भतीजे रामनिवास मिर्धा लोकसभा सांसद बने. अब इसी परिवार से नाता रखने वाली ज्योति मिर्धा बीजेपी के टिकट से नागौर से चुनाव लड़ रही हैं.

RLP कर सकती है खेल खराब

मारवाड़ क्षेत्र से एक चेहरा बड़ी तेजी से उभर रहा है और वो चेहरा हैं हनुमान बेनीवाल. 2018 के चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का गठन कर चुनाव मैदान में उतरे और खुद तो चुनाव जीते ही. 2 अन्य जगहों पर भी जीत हासिल हुई. बाद में वह एनडीए में शामिल हो गए. 2019 के चुनाव में बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने वाली आरएलपी को एक सीट पर जीत मिली थी. लेकिन बाद में विवादित कृषि कानून की वजह से एनडीए से अपना नाता खत्म कर लिया.

हनुमान बेनीवाल अब क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर चुके हैं, और उनकी पार्टी 70 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उनकी मौजूदगी से बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुसीबत का सबब बनी हुई है. दोनों राष्ट्रीय दलों के सामने चुनाव जीतने के लिए बेनीवाल नाम की चुनौती से भी पार पाना होगा.

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