India-Nepal: चीन नहीं, भारत के साथ है सीमा को लेकर विवाद: नेपाल
India-Nepal - चीन नहीं, भारत के साथ है सीमा को लेकर विवाद: नेपाल
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Updated on: 04-Aug-2020 08:51 AM IST
काठमांडू: नेपाल और भारत के बीच संबंध जैसे-जैसे खट्टे होते जा रहे हैं, नेपाल की चीन से दोस्ती और गहराती हुई दिख रही है। भले ही नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान को मिलाकर उपक्षेत्रीय गुट बनाने के विचार को खारिज कर दिया हो, अब उन्होंने कहा है कि नेपाल का सीमा को लेकर विवाद चीन नहीं, भारत के साथ है।'भारत के साथ सुलझाना है विवाद' कभी भारत के साथ 'रोटी-बेटी' का रिश्ता रखने वाले विदेश मंत्री ने कहा है कि चीन के साथ सीमा को लेकर कोई विवाद नहीं है। सिर्फ '0 नंबर बाउंड्री मार्कर' को फाइनल किया जाना है क्योंकि यह चीन, नेपाल और भारत के बीच ट्राई-जंक्शन से शुरू होता है और भारत के साथ सीमा को लेकर विवाद है। उन्होंने कहा है कि जब इसका समाधान हो जाएगा, तब ट्राई-जंक्शन फाइनल होगा। बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ऐसी रिपोर्ट्स सामने आई थीं कि नेपाल और चीन की सीमा के बीच लगे सीमांकन खंभे गायब हो गए हैं। हालांकि, नेपाल सरकार ने इन दावों को खारिज कर दिया था। 'दुनिया से जुड़ना चाहते हैं'ग्यावली ने कहा है कि चीन के साथ कोई सीमा विवाद नहीं है। 1960 में हुए सीमांकन के मुताबिक नेपाल के पिलर संख्या 1 से शुरू होते हैं। उन्होंने बताया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ सीमा प्रबंधन समझौता साइन किया गया है। ग्यावली ने कहा है, 'हम कनेक्टिविटी लिंक के जरिए सबसे बड़े मार्केट्स से जुड़ना चाहते हैं।' बता दें कि चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत चीन से नेपाल तक रेलवे प्रॉजेक्ट की डील हुई है। 'भारत और चीन से अलग-अलग संबंध'वहीं, हाल ही में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच पैदा हुए तनाव की ओर इशारा करते हुए ग्यावली ने कहा है, 'हम क्षेत्रीय स्थिरता के समर्थन में हैं औरपड़ोसियों के बीच बढ़ती समझ देखेंगे तो हम प्रतिबद्धता दिखाएंगे। वहीं, तनाव होने पर हमें चिंता होती है लेकिन हमारे चीन और भारत से अलग-अलग संबंध हैं।हम दोनों में तुलना नहीं करते हैं। हमारी स्वतंत्र राय है कि हम अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते बनाएं।' मानसरोवर लिंक के बाद से विवादसीमा विवाद तब शुरू हुआ था जब लिपुलेख में मानसरोवर लिंक बनाने पर भारत के साथ नेपाल ने आपत्ति जाहिर की थी और दावा किया था कि लिपुलेख, लिंपियाधुरा और कालापानी नेपाल के हिस्से में आते हैं। यही नहीं, इस मुद्दे पर भारत से बात करने की जगह नेपाल सरकार देश का नया नक्शा लेकर आ गई थी और बाद में इसे संसद से पारित भी करा लिया था।
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