दुनिया: AK-47 के बदले डाकुओं को गाय, इस देश की अनोखी योजना

दुनिया - AK-47 के बदले डाकुओं को गाय, इस देश की अनोखी योजना
| Updated on: 18-Jul-2020 08:52 AM IST
अबूजा: अफ्रीकी देश नाइजीरिया की जंफारा स्टेट की सरकार ने स्थानी डाकुओं को आत्मसमर्पण करने के लिए एक प्लान को पेश किया है। इसके तहत जो भी डाकू एके-47 रायफल के साथ आत्मसमर्पण करेगा उसे जीविका चलाने के लिए दो गायें दी जाएंगी। स्थानीय सरकार का कहना है कि इस योजना से डाकू लूटमार को छोड़कर एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में सामान्य जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित होंगे।


गायों को ज्यादा महत्व देते हैं डाकुओं के समुदाय

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नाइजीरिया का यह राज्य मोटरसाइकिल सवार इन डाकुओं के बेहद प्रभावित है। जो आए दिन लूटमार मचाने के दौरान विरोध करने पर स्थानीय नागरिकों की हत्या तक कर देते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन डाकुओं के गिरोह में ज्यादातर फुलानी हेरडर समुदाय से संबंधित है जो गायों को बहुत महत्व देते हैं। हालांकि, इस समुदाय के लोगों ने डाकुओं से संबंधित होने का आरोपों को हर बार नकारा है। उनका कहना है कि वे भी इनसे उतना ही पीड़ित हैं जितने कि दूसरे समुदाय के लोग।


गायों से महंगा है एके-47 रायफल

इस क्षेत्र में एक गाय की औसत कीमत लगभग 1,00,000 नायरा (19000 रुपये) होती है। जबकि ब्लेक मार्केट में एक एके-47 की कीमत लगभग 500000 नायरा ( 96 हजार रुपये) है। जंफारा के गवर्नर बेल्यू माटावल्ले ने कहा कि इन डाकूओं ने शुरुआत में बंदूके खरीदने के लिए अपनी गायों को बेच दिया था। अब जब वे अपराध की दुनिया को छोड़ना चाहते हैं तो हम उन्हें दो गायें उपहार में दे रहे हैं। इससे वे हथियार डालने के लिए प्रोत्साहित होंगे।


इन अपराधों को अंजाम देते हैं डकैत

इस क्षेत्र में में ये डाकू घने जंगलों में रहते हैं जो आसपास के समुदायों को परेशान करते हैं। ये दुकानों को लूटते हैं, पशुओं और अनाजों को चुराते हैं। इसके अलावा ये लोगों को बंधक बनाकर फिरौती वसूलने का काम भी करते हैं। जंफारा में हाल में ही हुए एक हमले में डाकुओं ने 21 लोगों को मार दिया था।


एक दशक में 8000 से ज्यादा लोगों की मौत

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के अनुसार, पिछले एक दशक में नाइजीरिया के केबी, सोकोतो, जंफारा और पड़ोसी देश नाइजर के राज्यों में 8,000 से अधिक लोग मारे गए हैं। ये हमले स्थानीय फुलानी चरवाहों और कृषक समुदायों के बीच संसाधनों पर दशकों से चली आ रही प्रतिस्पर्धा का परिणाम हैं। हालांकि, स्थानी सरकार ने सेना के सहयोग से डाकुओं के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही है।

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