Indigo Crisis News: इंडिगो संकट: दिल्ली हाई कोर्ट का कड़ा रुख, एयरलाइन और सरकार को फटकारा

Indigo Crisis News - इंडिगो संकट: दिल्ली हाई कोर्ट का कड़ा रुख, एयरलाइन और सरकार को फटकारा
| Updated on: 10-Dec-2025 02:21 PM IST
दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस और केंद्र सरकार के प्रति अपनी गहरी नाराजगी और कड़ी आलोचना व्यक्त की है, जो पिछले एक सप्ताह से हजारों उड़ानों के रद्द होने के बाद सामने आई है। इन रद्दीकरणों के कारण हजारों यात्री फंसे रहे और देश के विमानन क्षेत्र में महत्वपूर्ण व्यवधान उत्पन्न हुआ। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यात्रियों को हुई असुविधा, हवाई किराए में खतरनाक वृद्धि और प्रभावित व्यक्तियों को दिए गए मुआवजे की अपर्याप्तता पर गंभीर सवाल उठाए। यह न्यायिक हस्तक्षेप तब आया है जब सरकार ने इंडिगो की 10% उड़ानों को कम करके कार्रवाई की है, जिसका उद्देश्य स्थिति को सामान्य करना है, और अब हालात सामान्य होने की खबर है।

अभूतपूर्व उड़ान व्यवधान

पिछले एक सप्ताह के भीतर, इंडिगो एयरलाइंस के कारण अभूतपूर्व स्तर पर व्यवधान देखा गया, जिससे अनगिनत आम नागरिक प्रभावित हुए। हजारों उड़ानें रद्द कर दी गईं, जिससे हवाई अड्डों पर अराजकता और निराशा का माहौल बन गया, क्योंकि यात्रियों को बिना किसी स्पष्ट विकल्प के फंसे रहना पड़ा। रद्दीकरणों की इस व्यापक श्रृंखला ने एयरलाइन के संचालन के भीतर प्रणालीगत मुद्दों को उजागर किया और यात्री कल्याण और नियामक निरीक्षण के बारे में चिंताएं बढ़ाईं। कोर्ट की कड़ी टिप्पणियां स्थिति की गंभीरता और यात्रा करने वाले जनता पर इसके गहरे प्रभाव को रेखांकित करती हैं।

कोर्ट का तीखा आरोप

कार्यवाही के दौरान, दिल्ली हाई कोर्ट ने उड़ान अव्यवस्था के लिए केंद्र सरकार और इंडिगो एयरलाइंस दोनों पर तीखा आरोप लगाया। बेंच ने विशेष रूप से फंसे हुए यात्रियों की सहायता के लिए उठाए गए कदमों, हवाई किराए में भारी वृद्धि के पीछे के तर्क और प्रदान किए गए मुआवजे की पर्याप्तता पर सवाल उठाए। कोर्ट ने इस बात पर स्पष्टता मांगी कि व्यवधानों में शामिल एयरलाइन कर्मचारियों के लिए जवाबदेही कैसे तय की जाएगी। इसने जोर दिया कि यह मुद्दा केवल असुविधा से परे है, इसमें व्यक्तियों के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक नुकसान और प्रणाली की व्यापक विफलता शामिल है। इसके अलावा, कोर्ट ने पायलटों के ड्यूटी टाइमिंग नियमों, जिन्हें FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम। लिमिटेशंस) के नाम से जाना जाता है, के पालन के महत्वपूर्ण महत्व पर प्रकाश डाला।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कई तीखे सवाल पूछे, जिसमें शामिल पक्षों से जवाब मांगे गए और बेंच ने पूछा कि ऐसी स्थिति अचानक क्यों पैदा हुई और यात्रियों की मदद के लिए क्या विशिष्ट उपाय लागू किए गए। इसने सरकार से हवाई अड्डों पर फंसे हुए यात्रियों को संभालने और आगे की परेशानी को रोकने के लिए की गई व्यवस्थाओं के बारे में पूछा। उड़ान व्यवधानों पर सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने यह भी पूछा कि यात्रियों को मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है और सरकार यह कैसे सुनिश्चित करने की योजना बना रही है कि एयरलाइन कर्मचारी जिम्मेदारी से पेश आएं। कोर्ट ने दोहराया कि यह मामला केवल असुविधा का नहीं है,। बल्कि इसमें वित्तीय नुकसान और एक प्रणालीगत विफलता भी शामिल है।

बढ़े हुए किराए पर नाराजगी

दिल्ली हाई कोर्ट के लिए एक महत्वपूर्ण विवाद का बिंदु हवाई किराए में तेजी से और अत्यधिक वृद्धि थी। कोर्ट ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि पहले ₹5,000 में मिलने वाले टिकट अब बढ़कर ₹30,000-35,000 हो गए हैं। बेंच ने सवाल किया कि संकट की स्थिति में, अन्य एयरलाइंस को ऐसी बढ़ी हुई रकम वसूल कर स्थिति का फायदा उठाने की अनुमति कैसे दी जा सकती थी। इसने विशेष रूप से पूछा कि किराया ₹35,000-39,000 तक कैसे पहुंच सकता है और अन्य एयरलाइंस इतनी रकम कैसे चार्ज करना शुरू कर सकती हैं और यह संकट के दौरान संभावित कार्टेलाइजेशन या नियामक नियंत्रण की कमी के बारे में गहरी चिंता का संकेत देता है।

सरकार की प्रतिक्रिया और कार्रवाई

कोर्ट के सवालों के जवाब में, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने आवश्यक दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए कहा कि कानूनी प्रणाली पूरी तरह से लागू है। एएसजी शर्मा ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि केंद्र लंबे समय से एफडीटीएल नियमों को लागू करने का लक्ष्य बना रहा था, लेकिन एयरलाइन ने एक एकल न्यायाधीश के सामने जुलाई और नवंबर के चरणों के लिए विस्तार मांगा था। उन्होंने आगे कहा कि यह पहली बार है जब मंत्रालय ने सीधे हस्तक्षेप किया है, इस बात पर जोर देते हुए कि उन्होंने किराए की सीमा तय की है, जिसे उन्होंने अपने आप में एक सख्त नियामक कार्रवाई बताया। यह संकट को संबोधित करने में सरकार द्वारा एक सक्रिय रुख का सुझाव देता है।

मुआवजा और नियामक निरीक्षण

दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो, सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि हवाई अड्डों पर फंसे यात्रियों को उचित मुआवजा मिले। दायर की गई अधूरी याचिका पर असंतोष व्यक्त करते हुए भी, कोर्ट ने इसमें शामिल जनहित को स्वीकार किया और मामले का संज्ञान लेने का फैसला किया। कोर्ट ने एएसजी से फंसे हुए लोगों की सहायता के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा और सवाल किया कि पायलट के काम के समय के दिशानिर्देशों को समय पर क्यों लागू नहीं किया गया और दिल्ली हाई कोर्ट ने टिप्पणी की कि इंडिगो पायलट ड्यूटी टाइमिंग नियमों का पालन करने के लिए समय पर पर्याप्त संख्या में पायलटों की नियुक्ति नहीं कर पाया। एएसजी चेतन शर्मा ने कोर्ट को यह भी बताया कि इंडिगो के मुख्य परिचालन अधिकारी (सीओओ) को निलंबित कर दिया गया है, जो आंतरिक जवाबदेही उपायों को दर्शाता है। इस महत्वपूर्ण मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को निर्धारित है, जिसमें कोर्ट ने पक्षों को अपने जवाब दाखिल करने और अगली सुनवाई से पहले एक समिति की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।