Indira Gandhi Durga: क्या इंदिरा गांधी को 'दुर्गा' कहकर पलट गए थे अटल बिहारी?

Indira Gandhi Durga - क्या इंदिरा गांधी को 'दुर्गा' कहकर पलट गए थे अटल बिहारी?
| Updated on: 27-Feb-2025 10:48 AM IST

साल था 1975, देश में इमरजेंसी का दौर चल रहा था। लोकतांत्रिक अधिकारों पर रोक लगाई जा चुकी थी, विपक्षी नेताओं को जेलों में डाला जा रहा था और प्रेस की आज़ादी पर भी पहरा था। इसी दौरान भारतीय राजनीति के दो दिग्गज नेता—अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी—एक संसदीय समिति की बैठक में हिस्सा लेने बेंगलुरु गए थे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

गिरफ्तारी के बाद यह सलाह दी गई कि अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका दायर की जाए। 14 जुलाई 1975 को इस मामले की सुनवाई होनी थी, लेकिन इसी बीच वाजपेयी की तबीयत खराब हो गई। अपेंडिसाइटिस की शंका में ऑपरेशन किया गया, परंतु डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान पता चला कि अपेंडिक्स पूरी तरह ठीक था। दर्द की असली वजह कुछ और थी। इसके बाद उन्हें एम्स में स्लिप डिस्क का इलाज कराने के लिए भर्ती कराया गया।

अदालत में सुनवाई और पुनः गिरफ्तारी

अदालत में यह तर्क दिया गया कि 21 जुलाई से संसद सत्र शुरू हो रहा है और मधु लिमये, अटल बिहारी वाजपेयी समेत अन्य नेताओं की उपस्थिति जरूरी है। अदालत ने सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तारीख दी, लेकिन 16 जुलाई को इन नेताओं को रिहा कर दिया गया। हालाँकि, यह रिहाई केवल औपचारिक थी, क्योंकि उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया। वाजपेयी और अन्य तीन नेताओं को एयरफोर्स के विमान से दिल्ली लाया गया और रोहतक जेल भेज दिया गया। वाजपेयी की तबीयत खराब रहने के कारण उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया।

एम्स में एक दिलचस्प किस्सा

एम्स में भर्ती रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी के साथ कई दिलचस्प घटनाएँ हुईं। उन्हीं दिनों देवी प्रसाद त्रिपाठी (डीपीटी) भी वहीं भर्ती थे। दोनों को निजी कमरे मिले हुए थे। वाजपेयी और डीपीटी खाने-पीने के शौकीन थे। एक दिन वाजपेयी ने डीपीटी से मज़ाक में पूछा—"देवी प्रसाद, शाम की क्या व्यवस्था है?" डीपीटी नीचे गए, पास के पीसीओ से एक आईएफएस अफसर की बहन को फोन किया और कुछ ही समय में उम्दा व्हिस्की का इंतजाम कर दिया। यह दिलचस्प किस्सा मशहूर पत्रकार विजय त्रिवेदी ने अपनी किताब "हार नहीं मानूंगा – एक अटल जीवन गाथा" में लिखा है।

'दुर्गा' उपमा का विवाद

अटल बिहारी वाजपेयी का नाम एक और रोचक विवाद से जुड़ा रहा। कहा जाता है कि उन्होंने इंदिरा गांधी की तुलना 'दुर्गा' से की थी, लेकिन इस दावे को लेकर स्वयं वाजपेयी ने बाद में इनकार कर दिया। जब वह प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने टीवी पत्रकार रजत शर्मा को दिए एक इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी इंदिरा गांधी के लिए 'दुर्गा' शब्द का प्रयोग नहीं किया था। उनका कहना था कि कुछ अखबारों ने अफवाहों के आधार पर यह बात छाप दी थी और जब उन्होंने इसका खंडन किया, तो उसे ज़्यादा तवज्जो नहीं दी गई।

राजनीति में अटल की सफलता

भले ही वाजपेयी ने 'दुर्गा' शब्द कहा हो या नहीं, लेकिन यह सत्य है कि उन्होंने कांग्रेस के लंबे शासनकाल के गढ़ में सेंध लगाकर भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया। वह देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने, जिन्होंने अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूरा किया। उनकी नेतृत्व क्षमता, संवेदनशीलता और भाषण-कला ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अनोखा स्थान दिया।

1975 की इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय रही, लेकिन इसी दौर में विपक्षी नेताओं ने संघर्ष करके लोकतंत्र को बचाने की नींव रखी। अटल बिहारी वाजपेयी न केवल इस आंदोलन के महत्वपूर्ण स्तंभ बने, बल्कि आने वाले वर्षों में देश की राजनीति को एक नई दिशा भी दी।

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