Delhi Car Blast: 2013 में गायब हुई डॉक्टर शाहीन 2025 में AK-47 के साथ लौटी, कानपुर कनेक्शन और दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े तार

Delhi Car Blast - 2013 में गायब हुई डॉक्टर शाहीन 2025 में AK-47 के साथ लौटी, कानपुर कनेक्शन और दिल्ली ब्लास्ट से जुड़े तार
| Updated on: 11-Nov-2025 05:44 PM IST
दिल्ली के लाल किला में हुए धमाके के बाद से पूरे देश में हाई अलर्ट जारी है, और इस आतंकी घटना के तार अब एक बड़े 'व्हाइट कॉलर' नेटवर्क से जुड़ते दिख रहे हैं। इस सनसनीखेज मामले में लखनऊ से गिरफ्तार महिला डॉक्टर शाहीन सिद्दीकी (शाहिद) का कानपुर कनेक्शन सामने आने से जांच में एक नया और चौंकाने वाला मोड़ आ गया है और जिस डॉक्टर शाहीन के पास से AK-47 राइफल और जिंदा कारतूस बरामद हुए हैं, वह कभी कानपुर के प्रतिष्ठित गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल (GSVM) मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत थीं। यह खुलासा सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि एक सम्मानित पेशे। से जुड़ी व्यक्ति का आतंकी गतिविधियों में शामिल होना 'स्लीपर सेल्स' की गहरी पैठ को दर्शाता है।

आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ और विस्फोटक की बरामदगी

सोमवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उत्तर प्रदेश एटीएस, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर एक संयुक्त अभियान चलाया और इसी अभियान के तहत लखनऊ के लालबाग इलाके से डॉक्टर शाहीन सिद्दीकी को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के दौरान उनकी स्विफ्ट डिजायर कार की डिक्की से एक AK-47 राइफल, कई मैगजीन, जिंदा कारतूस और कुछ संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए, जिसने जांचकर्ताओं को हैरान कर दिया। एक डॉक्टर के पास से अत्याधुनिक हथियार मिलना इस बात का संकेत है कि यह नेटवर्क कितना संगठित और खतरनाक है। यह कार्रवाई एक बड़े अंतरराज्यीय आतंकी मॉड्यूल के भंडाफोड़ का हिस्सा। थी, जिसके तार जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हरियाणा तक फैले हुए हैं। इस बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा एजेंसियों ने कुल 2,900 किलोग्राम विस्फोटक (संदिग्ध अमोनियम नाइट्रेट), IED बनाने की सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, टाइमर, एके-56 राइफल, चीनी पिस्टल और अन्य घातक हथियार जब्त किए हैं। यह भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार देश के कई शहरों में बड़े पैमाने पर तबाही मचाने की साजिश का पर्दाफाश करते हैं। फरीदाबाद के धौज गांव में एक किराए के फ्लैट से विशेष रूप से 360 किलोग्राम विस्फोटक बरामद किया गया, जहां डॉ. शाहीन और उनके कथित प्रेमी डॉ. मुजम्मिल शकील पिछले तीन महीने से रह रहे थे। यह फ्लैट IED असेंबली और आतंकी गतिविधियों के लिए एक गुप्त ठिकाना बन चुका था और इस ऑपरेशन ने देश की सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता और समन्वय को उजागर किया है।

कानपुर मेडिकल कॉलेज से जुड़ाव

डॉ और शाहीन सिद्दीकी का मेडिकल करियर एक समय काफी उज्ज्वल था। उन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की कठिन परीक्षा पास कर सरकारी सेवा में प्रवेश किया था। वे GSVM मेडिकल कॉलेज, कानपुर में प्रवक्ता (लेक्चरर) के पद पर कार्यरत रहीं, जहां उन्होंने मेडिसिन विभाग में छात्रों को पढ़ाया। वर्ष 2009-2010 के बीच उनका तबादला कन्नौज के राजकीय मेडिकल कॉलेज में हो गया था। वहां कुछ समय सेवा देने के बाद वे कानपुर लौटीं, लेकिन साल 2013 में अचानक बिना किसी सूचना या इस्तीफे के अनुपस्थित हो गईं। लंबे समय तक गायब रहने के बाद कॉलेज प्रशासन ने उन्हें कई नोटिस जारी किए, लेकिन कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। अब 2025 में उनकी गिरफ्तारी ने उनके 2013 के बाद के जीवन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पूर्व सहकर्मियों की प्रतिक्रिया और एटीएस की जांच

डॉ. शाहीन की गिरफ्तारी की खबर से कानपुर मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया है। उनके पूर्व सहकर्मी डॉ. राकेश कुमार (नाम परिवर्तित) ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शाहीन पढ़ाने में उत्कृष्ट थीं और कन्नौज तबादले के बाद थोड़ी परेशान दिखती थीं, लेकिन किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ऐसी खतरनाक राह पर चली जाएंगी। एटीएस की टीम मंगलवार सुबह मेडिकल कॉलेज पहुंची और डॉ और शाहीन के सभी रिकॉर्ड, अटेंडेंस शीट्स, तबादला फाइलें और विभागीय दस्तावेज अपने साथ ले गई। अब एटीएस शाहीन के कॉलेज के दौरान के संपर्कों, सहपाठियों और परिवार की भी गहन जांच कर रही है। यह सवाल उठ रहा है कि क्या उनकी बर्खास्तगी के बाद वे अवैध गतिविधियों में फंसीं, या मेडिकल कॉलेज के समय से ही कोई संदिग्ध लिंक मौजूद था।

आतंकी संगठनों से संबंध और 'डी गैंग' का खुलासा

पुलिस जांच में सामने आया है कि डॉ. शाहीन फरीदाबाद आतंकी साजिश में गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल शकील की करीबी सहयोगी और कथित गर्लफ्रेंड थीं। डॉ. मुजम्मिल, जो पुलवामा (जम्मू-कश्मीर) का निवासी है और फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में लेक्चरर था, शाहीन की कार का इस्तेमाल विस्फोटक और हथियारों की ढुलाई के लिए करता था और पुलिस का दावा है कि यह मॉड्यूल पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGUH) के इशारे पर काम कर रहा था। इसका मुख्य उद्देश्य दिल्ली, लखनऊ और अन्य प्रमुख शहरों में बड़े विस्फोटों को अंजाम देना था। शाहीन पर आरोप है कि वे जैश-ए-मोहम्मद के लिए भर्ती, प्रचार और लॉजिस्टिक्स सप्लाई का काम संभाल रही थीं। खुफिया एजेंसियों को शक है कि यह नेटवर्क 'डी गैंग' (डॉक्टर गैंग) का हिस्सा था, जिसमें तीन डॉक्टरों समेत आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें डॉ और आदिल राथर (सहारनपुर) और डॉ. उमर नबी (अलीगढ़) भी शामिल हैं। दिल्ली के रेड फोर्ट ब्लास्ट जैसी घटनाओं में भी इस गैंग का हाथ होने की आशंका है। गिरफ्तार डॉ. शाहीन को हवाई मार्ग से श्रीनगर ले जाया गया है, जहां उनसे गहन पूछताछ जारी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर सवाल

यह मामला न केवल मेडिकल प्रोफेशनल्स की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है, बल्कि देश में 'स्लीपर सेल्स' की गहरी घुसपैठ को भी उजागर करता है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि डॉक्टरों जैसे सम्मानित पदों का दुरुपयोग आतंकी संगठनों की एक नई और खतरनाक रणनीति है, जिससे समाज में विश्वास का संकट पैदा हो सकता है। केंद्र और राज्य सरकारें इस गंभीर मुद्दे पर उच्च स्तरीय बैठकें कर रही हैं ताकि इस तरह के नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जा सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। इस पूरे मामले की जांच से कई और चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है, जो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

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