US Election Result: राष्‍ट्रपति पद से हटते ही डोनाल्ड ट्रंप जा सकते हैं जेल, टूटेगा दुखों का पहाड़, जानिए वजह

US Election Result - राष्‍ट्रपति पद से हटते ही डोनाल्ड ट्रंप जा सकते हैं जेल, टूटेगा दुखों का पहाड़, जानिए वजह
| Updated on: 10-Nov-2020 09:33 AM IST
US Election 2020: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और अमेरिका की जनता ने जो बाइडन को अपना राष्ट्रपति चुन लिया है। डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद के अपने दूसरे कार्यकाल के लिए वापसी नहीं कर सके। लेकिन, ये महज़ उनकी चुनावी हार नहीं है, उन्हें आगे और भी मुश्किलें हो सकती हैं। राष्‍ट्रपति पद से हटते ही वह जेल भी जा सकते हैं।

बीबीसी की खबर के अनुसार, विशेषज्ञों के मुताबिक उनके कार्यकाल में हुए कथित घोटालों की जांच से पता चलता है कि उन्हें राष्ट्रपति पद से हटने के बाद आपराधिक कार्यवाही के अलावा मुश्किल वित्तीय स्थिति का भी सामना करना पड़ सकता है। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उनके ख़िलाफ़ आधिकारिक कार्यों के लिए मुक़दमा नहीं चलाया जा सकता है।

पेस यूनिवर्सिटी में कॉनस्टीच्यूशनल लॉ के प्रोफेसर बैनेट गर्शमैन ने कहा कि इस बात की संभावना है कि डोनाल्ड ट्रंप पर आपराधिक मामले चलाए जाएंगे। प्रोफेसर बैनेट गर्शमैन ने न्यूयॉर्क में एक दशक तक अभियोक्ता के तौर पर सेवाएं दी हैं। गर्शमैन ने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप पर बैंक धोखाधड़ी, कर धोखाधड़ी, मंडी लॉन्ड्रिंग, चुनावी धोखाधड़ी जैसे मामलों में आरोप लग सकते हैं। उनके कामों से जुड़ी जो भी जानकारी मीडिया में आ रही है वो वित्तीय हैं।

हालांकि, मामला सिर्फ़ यहां तक सीमित नहीं है। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप को भारी वित्तीय घाटे का सामना भी करना पड़ सकता है। इनमें बड़े पैमाने पर निजी कर्ज और उनके कारोबार की मुश्किलें शामिल हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, अगले चार सालों में ट्रंप को 30 करोड़ डॉलर से ज़्यादा का कर्ज़ चुकाना है। वो भी ऐसे समय पर जब उनके निज़ी निवेश बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं। हो सकता है कि ट्रंप के राष्ट्रपति न रहने पर लेनदार कर्ज़ के भुगतान को लेकर बहुत कम नरमी दिखाएं।

डोनाल्ड ट्रंप के आलोचक कहते हैं कि उनका राष्ट्रपति पद पर होना उनकी क़ानूनी और वित्तीय समस्याओं में उनका कवच बन गया है। अगर ये सब नहीं रहेगा तो उनके मुश्किल दिन आ सकते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ये दावा करते आए हैं कि वो अपने दुश्मनों की साज़िशों का शिकार हुए हैं। उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने राष्ट्रपति बनने से पहले और पद पर रहते हुए भी अपराध किए हैं। ट्रंप ने स्पष्ट रूप से अपने ख़िलाफ़ लगे आरोपों से इनकार किया है।

साथ ही वे ये भी बताते हैं कि उनके प्रशासन पर लगे घोटालों के आरोपों की न्याय विभाग की जांच और इस साल की शुरुआत में उन पर चलाए गए महाभियोग से वो सफलतापूर्वक बरी हो गए। लेकिन, ये सभी जांच और प्रक्रियाएं राष्ट्रपति को अभियोग से मिली सुरक्षा के दौरान हुई थीं। न्याय विभाग बार-बार ये कहता रहा है कि राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ पद

पर रहते हुए आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। विशेषज्ञों ने बताया कि इन जांचों को डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई का आधार बनाया जा सकता है।

बैनेट गर्शमैन कहते हैं कि हम पहले से जानते हैं कि उन पर मतदाता धोखाधड़ी के आरोप लगाए जा सकते हैं क्योंकि मैनहटन के लिए अमेरिकी अटॉर्नी ने ट्रंप को माइकल कोहेन के साथ साज़िश में सहयोगी बताया है। विशेषज्ञ डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व वकील माइकल कोहेन के ख़िलाफ़ हुई जांच की भी याद दिलाते हैं। साल 2018 में माइकल कोहेन को चुनावी गड़बड़ियों के लिए दोषी पाया गया था। उन पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ अफ़ेयर होने का दावा करने वालीं पॉर्न एक्ट्रेस स्टॉर्मा डैनियल्स को 2016 के चुनावों में पैसे देने का आरोप लगा था।

माइकल कोहेन की जांच के दौरान आधिकारिक तौर पर बताया गया था कि राष्ट्रपति पद के एक उम्मीदवार आपराधिक गतिविधि से कथित तौर पर जुड़े हुए थे। अमेरिकी मीडिया ने इस उम्मीदवार को डोनाल्ड ट्रंप के नाम से जोड़ा था। ये ख़बर अमेरिकी मीडिया में बड़े स्तर पर छाई रही थी। 2019 में, स्पेशल काउंसिल रॉबर्ट मूलर ने 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में रूस के दख़ल को लेकर जांच रिपोर्ट सौंपी थी। बैनेट गर्शमैन कहते हैं कि उन पर कथित मूलर रिपोर्ट के नतीज़ों को देखते हुए न्याय में बाधा डालने के आरोप भी लग सकते हैं। 2019 में, स्पेशल काउंसिल रॉबर्ट मूलर ने 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में रूस के दख़ल को लेकर जांच रिपोर्ट सौंपी थी।

उस रिपोर्ट में ट्रंप को क्लीन चिट दे गई थी और बताया गया था कि ट्रंप की प्रचार टीम और रूस के बीच किसी तरह की सांठगांठ के पुख़्ता सबूत नहीं मिले हैं। हालांकि, रिपोर्ट में ये ज़रूर कह गया था कि डोनाल्ड ट्रंप ने जांच में बाधा डालने के प्रयास किए थे। ट्रंप ने मूलर को उनके पद से हटाने की कोशिशें भी की थीं। मूलर ने उस वक़्त कहा था कि अमेरिकी संसद को ये फैसला करना चाहिए कि न्याय में बाधा डालने के लिए डोनाल्ड ट्रंप पर महाभियोग चलाया जाए या नहीं क्योंकि राष्ट्रपति पर न्याय के सामान्य माध्यमों से अभियोग नहीं चलाया जा सकता है। हालांकि, तब संसद ने ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग नहीं चलाया लेकिन महीनों बाद एक अलग मामले में उनके ख़िलाफ़ महाभियोग चलाया गया।

ट्रंप पर आरोप था कि उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन पर जांच शुरु करने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की पर दबाव बनाया था। हालांकि, ट्रंप इससे लगातार इनकार करते रहे हैं।

दिसंबर 2019 में डेमोक्रेट्स के बहुमत वाले हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव में उन पर अभियोग चलाया लेकिन फरवरी 2020 में रिपब्लिकन्स के बहुमत वाले सीनेट ने उन्हें अपराधमुक्त कर दिया। डोनाल्ड ट्रंप तीसरे ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं जिन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा।

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