Tesla in India: भारत में धाक जमाएंगे एलन मस्क, अंबानी और भारती के सपने होंगे खाक!

Tesla in India - भारत में धाक जमाएंगे एलन मस्क, अंबानी और भारती के सपने होंगे खाक!
| Updated on: 09-Nov-2023 06:00 AM IST
Tesla in India: भारत में टेस्ला आ रही है. उसके सामने आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए कह दिया गया है. इस बात से परेशान भारत के ऑटो जाएंट्स को होना चाहिए. फिर यहां पर अंबनी यानी मुकेश अंबानी और भारती का मतलब सुनील मित्तल का नाम क्यों लिया जा रहा है? इन दोनों दिग्गजों का ऑटो सेक्टर से कोई लेना नहीं है. हम यहां आपको बता दें कि यहां ना तो ऑटो सेक्टर की बात होने वाली है और ना ही टेस्ला की एंट्री की. यहां हम एलन मस्क की सैटेलाइट के थ्रू इंटरनेट देने वाली कंपनी स्टारलिंक की बात कर रहे हैं.

जी हां, अब सभी पाठकों की दिमाग की बत्ती जल गई होगी. मुकेश अंबानी और सुनील मित्तल दोनों 5जी से लेकर फाइबर तक में भारी निवेश कर रहे हैं. दोनों के पास सैटेलाइट से सर्विस देने की सुविधा है. ऐसे में एलन मस्क की स्टारलिंक की एंट्री हो जाए तो टेलीकॉम सेक्टर के लोकल दिग्गजों के लिए परेशानी की बात तो है ही. तो आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर देश के दोनों दिग्गजों की नींद स्टारलिंक की एंट्री से कैसे उड़ी हुई है. आखिर भारत के टेलीकॉम सेक्टर जो स्क्रिप्ट अंबानी-मित्तल लिख रहे थे. इसमें कुदरत के निजाम जैसा स्टारलिंक कैसे प्रकट हो गया?

मुकेश अंबानी और भारती इसलिए हैं परेशान

वर्ल्ड रिचेस्ट पर्सन एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत में बिजनेस करने का लाइसेंस मिलने वाला है. यही बात दोनों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है. लाइसेंस मिलते ही एलन मस्क की स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट के जरिए भारत के लोगों के लिए डाटा और वॉयस सर्विस शुरू कर देगी. जिसके बाद जियो और एयरटेल को एलन मस्क से कड़ी टक्कर मिलेगी. अभी तक भारत में सिर्फ अंबानी और मित्तल के पास ही इस तरह का लाइसेंस है. एलन मस्क की कंपनी को लाइसेंस मिलने के बाद इस सेक्टर में मुकाबला काफी कढ़ा और तीखा होने के आसार हैं. जिसकी वजह से दोनों कंपनियों को काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है. मार्केट शेयरिंग में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.

कैसे मिलता है लाइसेंस?

जानकारी के अनुसार डाटा स्टोरेज और ट्रांसफर नॉर्म से जुड़े कुछ सवाल किए थे. जिनके जवाब कंपनी की ओर से दिए गए. सरकार उन जवाबों से काफी संतुष्ट दिखाई दे रही है. अब सिक्योरिटी चेक होगा. उसके बाद बाद स्टारलिंक को ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन सैटेलाइट सर्विसेज का लाइसेंस दे दिया जाएगा. जिसके बाद स्टारलिंक देश के लोगों को सैटेलाइट ब्रॉडबैंड, वॉइस और मैसेजिंग जैसी फैसिलिटी प्रोवाइड करा पाएगी. आपको बता दें कि स्टारलिंक एलन मस्क की स्पेस कंपनी स्पेसएक्स की सहयोगी कंपनी है.

सिर्फ दो ही कंपनियों को मिला है लाइसेंस

ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन सैटेलाइट सर्विसेज का लाइसेंस अभी तक सिर्फ दो ही कंपनियों को दिया गया है. जिनमें पहला नाम मुकेश अंबानी की जियो की सहयोगी कंपनी सैटकॉम है. दूसरी कंपनी सुनील भारती मित्तल की वनवेब है. वैसे अमेजन के मालिक जेफ बेजोस ने भी इस लाइसेंस के लिए अप्लाई किया हुआ है. लेकिन अभी तक उनके इस आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया है. सैटकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड अथॉराइजेशन सेंटर से भी मंजूरी की जरुरत पड़ती है. जिसके बाद कंपनियों को स्पेक्ट्रम ऐलोकेशन का वेट करना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर सरकार स्पेक्ट्रम ऐलोकेशन के लिए ट्राई की सिफारिशों का वेट कर रही है. जानकारों का कहना है कि जब ट्राई का नया प्रमुख ज्वाइन नहीं कर लेता है तब तक गाइडलाइंस का इंतजार करना पड़ सकता है.

जब मस्क को लौटाना पड़ा था पैसा

स्पेसएक्स की स्टारलिंक ने भारत के सैटेलाइट कंयूनिकेशन मार्केट में दूसरी बार एंट्री करने की कोशिश की है. इससे पहले कंपनी की ओर से प्रयास किया गया था. कंपनी ने सरकार के अप्रूवल मिलने से पहले बुकिंग तक शुरू कर दी थी. उसके बाद कंपनी को लोगों का पैसा लौटा पड़ा. इस मार्केट में कोई तीसरा आकर अपनी जगह बनाने की कोशिश करें जियो और एयरटेल इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश में जुटे है. स्टारलिंक और अमेजन के साथ टाटा भी इस रेस में है. अगले दो सालों में भारत की स्पेस इकोनॉमी के एक लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की हो सकती है.

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