शराब: जहरीली शराब का पर्दाफाश,जानिए कैसे तैयार होती है ये शराब
शराब - जहरीली शराब का पर्दाफाश,जानिए कैसे तैयार होती है ये शराब
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Updated on: 17-Jan-2021 01:54 PM IST
जहरीली शराब आंख और ब्रेन को सबसे पहले प्रभावित करती है, फिर दूसरे ऑर्गन डैमेज हो जाते हैं
हाल में मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जहरीली शराब पीने से 24 लोगों की मौत हो गई। कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में भी 5 लोगों की जान गई थी। ये वो घटनाएं हैं, जो हाल-फिलहाल में हुई हैं और हमें याद हैं। हर साल ऐसी ढेरों घटनाएं होती हैं, सैकड़ों जानें जाती हैं, हजारों लोग बीमार होते हैं। लेकिन जहरीली शराब है क्या? शराब जब जहरीली है तो लोग पीते क्यों हैं? और ये शराब जब जान ले लेती है तो बिकती क्यों है? आइए इसका सच जानते हैं। कैसे शराब बन जाती है जहरीली?दरअसल कच्ची शराब को जब ज्यादा नशीला बनाने के लिए कैमिकल मिलाते हैं तो ये जहरीली हो जाती है। देसी शराब बनाने के लिए पहले गुड़, शीरा से लहान तैयार करते हैं और फिर इस मिट्टी में दबा दिया जाता है। इसे ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें यूरिया, बेसरमबेल और ऑक्सीटोसिन मिलाते हैं। यही मिलावट मौत का कारण बनती है। क्यों देसी शराब पीने से हो जाती है मौत?नई दिल्ली, एम्स से डीएम कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर संजय चुघ कहते हैं कि देसी शराब में अमोनियम नाइट्रेट (यूरिया) और ऑक्सीटोसिन मिलाने से मेथेनॉल (मिथाइल एल्कोहल) बन जाता है। यही बाद में मौत का कारण बनता है। मेथेनॉल की अधिकता से शराब टॉक्सिक बन जाती है। इसके बाद मेथेनॉल जब शरीर में मेटाबोलाइज होता है तो वो फार्मेल्डिहाइड बनाता है और बाद में फॉर्मिक एसिड बन जाता है, जो कि जहर है। इसके शरीर में जाते ही ब्रेन और आंख सबसे पहले प्रभावित होती हैं। इसके बाद बॉडी के दूसरे ऑर्गन काम करना बंद कर देते हैं और व्यक्ति की मौत हो जाती है।
मेथेनॉल की कितनी मात्रा खतरनाक होती है?15 से 500 ML तक की मात्रा लेने पर व्यक्ति की मौत हो जाती है। ऑक्सीटोसिन से नपुंसकता का खतरा:देसी शराब को ज्यादा नशीला बनाने के लिए ऑक्सीटोसिन भी मिलाया जाता है। स्टडी में पता चला है कि ऑक्सीटोसिन से नपुंसकता और नर्वस सिस्टम से जुड़ी बीमारियाें का खतरा रहता है। ऑक्सीटोसिन के सेवन से आंखों और पेट में जलन होती है। आंखों की रोशनी भी जा सकती है। जहरीली शराब पीने वाले का इलाज क्या है?डॉक्टर चुघ कहते हैं कि खास बात है कि जहरीली शराब का इलाज भी शराब (ऐथेनॉल) ही है। इसके अलावा फॉमीपीजोल दवा भी कारगर है। मेथेनॉल के जहर का इलाज एथेनॉल है। जहरीली शराब के एंटीडोट के तौर पर टैबलेट भी मिलते हैं, लेकिन भारत में इनकी उपलब्धता कम है। जहरीली शराब पीने वाले व्यक्ति को तुरंत अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत होती है। इसके बाद जहर को शरीर से निकालने के लिए मरीज का डायलिसिस भी करना पड़ सकता है। मरीज का सिर्फ सपोर्टिव इलाज ही होता है। जैसे- ऑक्सीटोसिन को ठीक करना और मेथाइल एल्कोहल के लिए एंटीडोट देना। कई बार मरीज के पेट की धुलाई (स्टमक वॉश) भी मददगार हो सकता है, लेकिन यदि उसे भर्ती कराने में देर हो गई है तो इसका कोई फायदा नहीं है।
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