PAKISTAN: बेकरी ने केक पर Merry Christmas लिखने से किया इनकार, मचा बवाल

PAKISTAN - बेकरी ने केक पर Merry Christmas लिखने से किया इनकार, मचा बवाल
| Updated on: 23-Dec-2021 07:38 AM IST
कराची: पाकिस्तान (Pakistan) में अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार होता है ये एक बार फिर स्पष्ट हो गया है. पाकिस्तान की मशहूर बेकरी (Bakery) के कर्मचारी द्वारा केक पर ‘मेरी क्रिसमस’ (Merry Christmas) लिखने से इनकार करना दर्शाता है कि मुल्क में अल्पसंख्यकों को कोई पसंद नहीं करता, न आवाम और न ही सरकार. सोशल मीडिया पर बेकरी की आलोचना होने के बाद बेकरी मैनेजमेंट ने पूरे मामले की जांच की घोषणा की है. साथ ही प्रबंधन ने यह भी कहा है कि बेकरी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करती.

कर्मी ने आदेश का दिया हवाला 

डीलेजिया बेकरी प्रबंधन ने बताया कि सेलेसिया नसीम खान नामक महिला ग्राहक द्वारा फेसबुक पोस्ट (Facebook Post) में लगाए गए आरोपों की जांच की जा रही है. खान ने आरोप लगाया था कि वह कराची के डिफेंस हाउसिंग सोसाइटी की दुकान से केक लेने गई थीं, लेकिन कर्मचारी ने उस पर ‘मेरी क्रिसमस’ लिखने से इनकार कर दिया. कर्मचारी ने महिला ग्राहक से कहा कि वो यह लिखने के लिए अधिकृत नहीं है, क्योंकि उसे किचन से इसका आदेश मिला है. 

पहले भी हुई थी ऐसी घटना

मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर बेकरी की आलोचना शुरू हो गई. जिस पर बेकरी के प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा कि यह स्पष्ट तौर पर एक व्यक्ति का कृत्य है और हम धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते. हम आरोपी कर्मी के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. यह उसने व्यक्तिगत हैसियत से किया और यह कंपनी की नीति नहीं है. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में भी एक महिला को बेकरी के कर्मचारी ने ‘मेरी क्रिसमस’ लिखा केक देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह कंपनी का निर्देश है.

Imran के राज में कट्टरता बढ़ी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) जब से सत्ता में आए हैं तब से पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता और ज्यादा बढ़ी है. ईशनिंदा के नाम पर हत्याओं की खबरें भी पाकिस्तान में ज्यादा सुनाई देने लगी हैं. दरअसल, इमरान खुद कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकते आए हैं, इसलिए उनसे किसी कड़े कदम की उम्मीद नहीं की जा सकती. इसी साल अक्टूबर में ही प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के समर्थकों की हिंसा में पांच पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी. बाद में इमरान सरकार ने इन उपद्रवियों पर से केस वापस लेते हुए सभी को रिहा कर दिया था.

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