कर्नाटक: किसानों ने दाम घटने के बाद कई टन आम कर्नाटक में सड़क किनारे फेंके, तस्वीरें सामने आईं

कर्नाटक - किसानों ने दाम घटने के बाद कई टन आम कर्नाटक में सड़क किनारे फेंके, तस्वीरें सामने आईं
| Updated on: 27-Jun-2021 01:15 PM IST
कोलार: कर्नाटक (Karnataka) के श्रीनिवासपुर, कोलार में किसानों (Farmer) ने कीमतों में गिरावट के कारण कुछ किस्मों के आमों को सड़कों के किनारे फेंक दिया. कोलार मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रमुख चिन्नप्पा रेड्डी ने इसको लेकर कहा, “इस साल आम उत्पादकों को नुकसान हो रहा है. हताशा में वे उपज को फेंक रहे हैं.” खरीदार तोतापुरी और बेनिशान किस्मों की खरीद नहीं कर रहे हैं. पिछले साल बेनिशान आम (Mango) 50,000 रुपये से 80,000 रुपये प्रति टन बेचा गया था, जो इस साल 10000 रुपये से 15000 रुपये तक गिर गया है. कोलार और चिक्काबल्लापुर में, लुगदी एकत्र करने वाली कोई फैक्ट्री नहीं है.

अल्फांसो भारत का सबसे खास किस्म का आम है महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस आम को हापुस के नाम से जाना जाता है. अल्फांसो एक अंग्रेजी नाम है. अल्फांसो का नाम पुर्तगाल के मशहुर सैन्य रणनीतिकार अफोंसो अल्बूकर्क के नाम पर पड़ा है. अफोंसो दि अलबूकर्क को बागबानी का बहुत शौक था. गोवा में जब पुर्तगालियों का शासन था उस समय ही उसने आम का पेड़ लगाए थे. अंग्रेजो को यह खूब पसंद आया था. अफोंसो दि अल्बूकर्क के सम्मान में इस आम का अल्फांसो रखा गया इसके कारण ही आज भी यह आम सबसे ज्यादा यूरोपीय देशों में भेजा जाता है.

यहां पाया जाता है दुनिया का सबसे महंगा आम

दुनिया का सबसे महंगा आम जापान में पाया जाता. इस महंगे आम का नाम मियाजाकी (miyazaki) है. दुनिया के बाजार में इसकी कीमत 2.70 लाख रुपये प्रति किलो है.अब यह आम मध्य प्रदेश के जबलपुर में उगाया जा रहा है. इसकी बागवानी की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जबलपुर के संकल्प परिहार और उनकी पत्नी ने कुछ साल पहले अपने बगीचे में दो पौधे लगाए थे. उन्हें इन पौधों की जानकारी नहीं थी कि ये दुनिया के सबसे महंगे आम लग रहे हैं. इन आमों का रंग गहरा लाल होता है.

आम मालिक का कहना है कि आम का उत्पादन करने वाले कई शौकीनों ने इनकी बड़ी कीमत चुकाने के लिए तैयार हैं. एक कारोबारी ने तो इस एक आम के 21,000 रुपये तक देने के लिए तैयार हो गया था. मुंबई के एक ज्वैलर्स ने तो मुंहमांगी रकम देने के लिए तैयार हो गया. आम के मालिक का कहना है कि इन आमों को अब नहीं बेचा जाएगा. बल्कि इससे अधिक से अधिक पौधे उगाए जाएंगे.

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