एग्रीकल्चर बिल: कांट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनी के साथ विवाद होने पर कोर्ट नहीं जा सकेंगे किसान

एग्रीकल्चर बिल - कांट्रैक्ट फार्मिंग में कंपनी के साथ विवाद होने पर कोर्ट नहीं जा सकेंगे किसान
| Updated on: 18-Sep-2020 07:12 AM IST
नई दिल्ली। किसानों के तमाम विरोध के बावजूद मोदी सरकार (Modi Government) ने कृषि संबंधी दो बिल (Agri Bill 2020) बृहस्पतिवार को लोकसभा में पास करवा लिया है। एनडीए की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल से आने वाली केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इसके विरोध में इस्तीफा दे दिया।  किसान नेताओं में भी सरकार के खिलाफ काफी गुस्सा है। उनका कहना है कि ये बिल उन अन्नदाताओं की परेशानी बढ़ाएंगे जिन्होंने अर्थव्यवस्था को संभाले रखा है। कांट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) में कोई भी विवाद होने पर उसका फैसला सुलह बोर्ड में होगा। जिसका सबसे पावरफुल अधिकारी एसडीएम को बनाया गया है। इसकी अपील सिर्फ डीएम यानी कलेक्टर के यहां होगी।

राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य बिनोद आनंद के मुताबिक इसमें कांट्रैक्ट फार्मिंग से जुड़े मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा बिल का एक प्रावधान काफी खतरनाक है। जिसमें कहा गया है कि अनुबंध खेती के मामले में कंपनी और किसान के बीच विवाद होने की स्थिति में कोई सिविल कोर्ट (Civil Court) नहीं जा पाएगा। इस मामले में सारे अधिकार एसडीएम (SDM) के हाथ में दे दिए गए हैं


30 दिन के अंदर डीएम के यहां हो सकेगी अपील  

सुलह बोर्ड (Conciliation board) यानी एसडीएम द्वारा पारित आदेश उसी तरह होगा जैसा सिविल कोर्ट की किसी डिक्री का होता है। एसडीएम के खिलाफ कोई भी पक्ष अपीलीय अथॉरिटी को अपील कर सकेगा। अपीलीय अधिकारी कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा तय अपर कलेक्टर होगा। अपील आदेश के 30 दिन के भीतर की जाएगी।


एसडीएम, डीएम का नहीं, कोर्ट पर है भरोसा 

आनंद का कहना है कि एसडीएम बहुत छोटा अधिकारी होता है वो न तो सरकार के खिलाफ जाएगा और न कंपनी के, इसलिए विवाद का निपटारा कोर्ट में होना चाहिए। एसडीएम और डीएम (DM) सरकार की कठपुतली होते हैं। वो सरकार या कंपनी की नहीं मानेंगे तो पैसे वाली शक्तियां मिलकर तबादला करवा देंगी। ऐसे में नुकसान किसानों का होगा। विवाद से जुड़े फैसले कोर्ट में होने चाहिए। आनंद का कहना है कि यह प्रावधान किसानों को बर्बाद कर सकता है। इस प्रावधान कोखत्म किए बिना यह योजना शायद ही सफल होगी।

हालांकि, एक अच्छा प्रावधान यह है कि किसी रकम की वसूली के लिए कोई पक्ष किसानों की कृषि भूमि के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाएगा।


क्या कहती है सरकार?

किसानों के दावे के विपरीत मोदी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि कांट्रैक्ट फार्मिंग से खेती से जुड़ा जोखिम कम होगा। किसानों की आय में सुधार होगा। किसानों की आधुनिक तकनीक और बेहतर इनपुट्स तक पहुंच सुनिश्चित होगी। जिसमें बड़ी-बड़ी कंपनियां किसी खास उत्पाद के लिए किसान से कांट्रैक्ट करेंगी। उसका दाम पहले से तय हो जाएगा। इससे अच्छा दाम न मिलने की समस्या खत्म हो जाएगी।

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