US-China Relations: अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में भूचाल सा आ गया है। अमेरिका और चीन के बीच फिर से ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) की संभावना गहराती जा रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर 54% टैरिफ लगाने की घोषणा के जवाब में, चीन ने भी शुक्रवार को अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इस घटनाक्रम का असर केवल अमेरिकी बाजारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका असर वैश्विक कमोडिटी बाजारों में भी स्पष्ट रूप से देखा गया है।
भारत इस पूरे घटनाक्रम पर गहरी नजर बनाए हुए है। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार इस स्थिति का सूक्ष्म विश्लेषण कर रही है और अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि देश इस मामले में कोई भी निर्णय सोच-समझकर लेगा। भारत के लिए यह ट्रेड वॉर एक दोधारी तलवार जैसा है—एक ओर खतरे की घंटी, दूसरी ओर संभावनाओं का दरवाज़ा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि चीन अमेरिकी बाजार में प्रवेश न कर सके, तो वह अपने उत्पादों को भारत जैसे उभरते बाजारों में डंप करने की कोशिश कर सकता है। यह स्थिति भारतीय उद्योगों, खासकर छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर सकती है। यही कारण है कि सरकार पहले से ही डंपिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की तैयारी में है।
जहां एक ओर यह व्यापार युद्ध वैश्विक अस्थिरता को जन्म दे सकता है, वहीं दूसरी ओर भारत के लिए यह एक रणनीतिक अवसर भी हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमेरिका और चीन एक-दूसरे के उत्पादों का बहिष्कार करते हैं, तो भारत उन दोनों बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ा सकता है।
भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार में अपना व्यापार बढ़ा सकती हैं, और जिन वस्तुओं का आयात अमेरिका पहले चीन से करता था, वहां अब ‘मेड इन इंडिया’ प्रोडक्ट्स अपनी जगह बना सकते हैं। इस दिशा में भारत को दोहरी नीति अपनानी होगी—एक ओर वह व्यापारिक अवसरों का लाभ उठाए, वहीं दूसरी ओर किसी भी पक्ष के साथ स्पष्ट रूप से खड़े होने से बचे।
भारत सरकार की मंशा स्पष्ट है—देश की अर्थव्यवस्था को किसी भी बाहरी दबाव से बचाते हुए आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना। इसके लिए सरकार मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने, घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और आवश्यकतानुसार इंपोर्ट पॉलिसी में बदलाव करने पर विचार कर रही है।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, यदि चीन अपने उत्पादों को भारत में डंप करने की कोशिश करता है, तो भारत तुरंत कड़े एंटी-डंपिंग नियम लागू कर सकता है। इसके साथ ही ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों को और तेज किया जा सकता है ताकि देश की मांग घरेलू उत्पादन से पूरी की जा सके।